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भारत देता है जीतने की हिम्मत: लिएंडर पेस

६ जुलाई २०१०

टेनिस स्टार लिएंडर पेस का कहना है कि वह भारत और अपने समर्थकों के लिए खेलते हैं. चौथी बार विम्बलडन जीतने वाले लिएंडर पेस के मुताबिक फाइनल जीतने के बाद उन्हें थोड़ी शर्मिंदगी का एहसास भी हुआ.

जीत गए लिएंडरतस्वीर: UNI

लिएंडर पेस और कारा ब्लैक की जोड़ी ने अमेरिका की लीजा रेमंड और दक्षिण अफ्रीका के वेस्ले मूडी को हराकर विम्बलडन जीता. लीजा रेमंड कभी पेस की जोड़ीदार हुआ करती थीं. लेकिन रविवार को दोनों आमने सामने थे. लिएंडर पेस का कहना है कि जीतकर उन्हें खुशी तो हुई पर लीजा से हाथ मिलाते वक्त बुरा भी लगा. उन्होंने कहा, "1999 में हमने सेंटर कोर्ट पर साथ खेला. इस वजह से जीत के बाद लीजा का चेहरा देखने में और उनसे हाथ मिलाते वक्त बुरा लगा.''

टेनिस जगत के 12 बड़े खिताब जीत चुके पेस अब अमेरिकी ओपन और उसके बाद होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारियों में जुटे हुए हैं. जनवरी में ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतने वाले पेस का कहना है कि दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीतना उनके लिए काफी मायने रखता है. देश और प्रशंसकों को अपनी ताकत बताते हुए उन्होंने कहा, ''आप इसे चाहे देशप्रेम कहें या कुछ और. मैं अपने प्रशंसकों का मनोरंजन करते रहना चाहता हूं. ये देशवासी ही हैं जो एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और यूएस ओपन में मेरा मनोबल बढ़ाते हैं. मुझे और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित करते हैं.''

बीते 20 साल से टेनिस खेल रहे पेस अब 37 साल के हो चुके हैं. ऐसे बहुत कम टेनिस खिलाड़ी हैं जिनका करियर उम्र के इस पड़ाव पर इतनी ऊंचाई पर होता है. इसका श्रेय भी वह अपने जोड़ीदारों को देते हैं. जिम्बाब्वे की कारा ब्लैक की ताऱीफ करते हुए उन्होंने एक भारतीय टीवी चैनल से कहा, ''कारा एक सच्ची चैंपियन ही नहीं बल्कि एक बढ़िया इंसान भी हैं. मार्टिना नवरातिलोवा भी एक अच्छी जोड़ीदार थीं. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसे खिलाड़ियों का साथ मिला.''

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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