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एलएसी पर चीनी सेना की कार्रवाई का सबूत

९ सितम्बर २०२०

एलएसी पर 45 सालों बाद गोली चलाने के लिए भारत और चीन द्वारा एक दूसरे पर आरोप लगाने के बाद, भारत ने मंगलवार को इलाके में चीन की सेना द्वारा आक्रामक कार्रवाई का सबूत जारी किया.

Indien Kaschmir Soldaten an der Grenze zu China
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Hameed

भारतीय मीडिया में सेना के सूत्रों द्वारा दी गई एक तस्वीर सामने आई है जिसमें हथियारबंद 25-30 चीनी सैनिकों की एक टोली नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि सात सितंबर को ली गई यह तस्वीर वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पूर्वी लद्दाख सेक्टर की है.

तस्वीर में चीनी सैनिक बंदूकों और डंडों पर लगाई गई बड़ी छुरी जैसे हथियारों से लैस हैं. सैन्य मामलों के कुछ जानकारों ने इस हथियार का नाम "ग्वानदाओ" बताया है, जो कि एक पारंपरिक चीनी हथियार है. इसमें पांच से छह फुट लंबे लकड़ी या धातु के डंडे पर एक बड़ी छुरी लगाई जाती है.

मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि भारतीय सैनिकों ने जब इन हथियारों से लैस चीनी सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पार करने की कोशिश करते देखा तो उन्होंने चीख कर चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए कहा और अपने हथियार दिखाए. इसके बाद चीनी सैनिक वापस मुड़ गए लेकिन उन्होंने जाते जाते हवा में गोलियां चलाईं.

यह उसी दिन की घटना बताई जा रही है जिस दिन चीन ने भारतीय सैनिकों पर गोली चलाने का आरोप लगाया था और इसके जवाब में भारत ने कहा था कि गोली चीनी सैनिकों ने चलाई थी और इलाके में भारत की कुछ अग्रणी चौकियों को घेरने की कोशिश भी की थी.

20 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों सेनाओं में जो हिंसक मुठभेड़ हुई थी उसमें भी चीनी सैनिकों पर मध्यकालीन युग के जैसे हथियारों से भारतीय सैनिकों पर हमला करने का आरोप लगा था. अगर ताजा तस्वीरें सही हैं तो ये उन दावों का प्रमाण हैं कि चीनी सेना वाकई इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल करती है.

खबर है कि मंगलवार तक तो दोनों तरफ के सैनिक उसी इलाके में थी जहां की यह तस्वीर है. दोनों के बीच बस कुछ सौ मीटर का फासला बताया जा रहा है. इलाके में इस तरह की आमने सामने की तैनाती 30 अगस्त के बाद से ही लगातार चल रही है, जब भारतीय सेना ने अचानक की गई एक कार्रवाई में वहां ऊंचाई पर स्थित कुछ स्थानों पर चढ़ाई कर अपना नियंत्रण जमा लिया था.

जानकारों का कहना है कि तब से चीनी सेना उन्हीं स्थानों पर कब्जा करने की लगातार कोशिश कर रही है और इसी वजह से वहां तनाव बना हुआ है. कई जानकारों ने कहा है कि इस तनाव की वजह से दोनों देश "बारूद के एक ढेर" पर बैठे हैं और ऐसे में कुछ भी हो सकता है. तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्तर पर बातचीत की जरूरत को रेखांकित किया जा रहा है.

दोनों देशों के विदेश मंत्री इस समय शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने रूस की राजधानी मॉस्को के दौरे पर हैं, जहां दोनों मंत्रियों के बीच अलग से बातचीत होने की संभावना है.

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