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भारत ने दक्षिण सूडान को मान्यता दी

१० जुलाई २०११

भारत उन चंद देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने सबसे पहले दक्षिण सूडान को मान्यता दे दी है. शनिवार को दक्षिण सूडान के तौर पर दुनिया के 193वें देश का जन्म हुआ.

जूबा में आजादी का जश्नतस्वीर: dapd

दक्षिण सूडान की नई नवेली राजधानी जूबा में पहले स्वतंत्रता दिवस पर हुए सम्मेलन में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद सल्वा कीर को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एक पत्र सौंपा गया जिसमें दक्षिण सूडान को एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी गई है. इस पत्र के मुताबिक, "इस ऐतिहासिक मौके पर, भारत सरकार औपचारिक तौर पर दक्षिणी सूडान को मान्यता देती है."

यह पत्र सूडान के लिए भारत के राजदूत एके पांडे ने जनरल कीर को सौंपा. भारत की तरफ से उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने दक्षिण सूडान के स्वतंत्रता समारोह में हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि भारत जल्द ही जूबा में अपना दूतावास खोलेगा. अभी वहां भारत का वाणिज्य दूतावास काम कर रहा है.

तस्वीर: dapd

दो दशकों तक चले गृह युद्ध के बाद शनिवार को सूडान दो हिस्सों में बंट गया. गृह युद्ध में लगभग बीस लाख लोग मारे गए. उत्तरी हिस्से में अरब मुसलमानों की बहुलता है तो दक्षिणी हिस्सा ईसाई आबादी वाला है. शनिवार को जूबा में पहले स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया गया जिसमें सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने हिस्सा लिया. दक्षिण सूडान दुनिया का 193वां जबकि अफ्रीका का 54वां देश है, जिसे जल्द ही संयुक्त राष्ट्र की मान्यता मिल जाएगी.

सूडान में बरसों तक चले गृह युद्ध के बाद 2005 में संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद हिंसा को खत्म करने के लिए एक शांति प्रस्ताव आया, जिसमें दो राष्ट्रों का जिक्र किया गया. शांति संधि में दक्षिण सूडान को नया देश बनाने की बात कही गई. सूडानीज पीपल्स लिबरेशन मूवमेंट (एसपीएलएम) और सूडान सरकार के बीच हुए इस समझौते में जनमत संग्रह कराने पर रजामंदी हुई. जनवरी 2011 में दक्षिण सूडान में जनमत संग्रह हुआ. वहां के लोगों ने बहुमत से अलग देश बनाने के पक्ष में वोट दिया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

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