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भारत-पाकिस्तान, आपस में मदद लेने की समस्या

१८ अगस्त २०१०

पाकिस्तान में दो सप्ताह से भी ज्यादा समय से 20 फीसदी से ज्यादा जमीन बाढ़ के पानी में डूबी हुई है. 80 साल में पाकिस्तान में आई यह सबसे भयावह बाढ़ है. पूरी दुनिया मदद दे रही है, लेकिन भारत की मदद पाकिस्तान को नहीं चाहिए.

तस्वीर: AP

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने पाकिस्तान यात्रा के दौरान 46 करोड़ डॉलर की तुरंत सहायता की घोषणा की ताकि बाढ़ से पीड़ित दो करोड़ लोगों को अगले तीन महीने में जरूरी सुविधाएं दी जा सकें. भारत ने भी पाकिस्तान को 50 लाख डॉलर की तुरंत सहायता की पेशकश की, लेकिन पाकिस्तान भारत की मदद लेने में हिचक रहा है. लाहौर में राजनीतिक मामलों के जानकार सज्जाद नसीर इसका कारण बताते हैं, "देश के लिए सम्मान की बात शायद बीच में आ जाती है. जो तूफान बाढ़ आई है उसके कारण सरकार की विश्वसनीयता पर असर पड़ा है. वो भी काफी कमज़ोर है, व्यवस्था के मुद्दे भी मीडिया में आ रहे हैं. ऐसे समय में अगर भारत से मदद ले ली जाए तो सरकार की साख पर कहीं असर न पड़ जाए."

तस्वीर: AP

लेकिन सभी तनावों और मतभेदों के बावजूद भारत और पाकिस्तान पिछले दस साल में प्राकृतिक आपदा के समय एक दूसरे की मदद करते आए हैं. 2001 में गुजरात के भुज में भूकंप आया था जिसमें 25 हज़ार लोग मारे गए थे. उस वक्त पाकिस्तान ने मदद के तौर पर टेंट, खाने का सामान और कंबल भेजे थे.

2005 में पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर में आए भूकंप में 80 हज़ार लोग मारे गए थे. तब भारत ने तुरंत हेलिकॉप्टर पाकिस्तान को देने की पेशकश की ताकि पहाड़ी इलाकों में लोगों तक तुरंत मदद पहुंचाई जा सके, लेकिन तात्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इसे ठुकरा दिया. उनकी मांग थी कि पाकिस्तानी पायलट इस हेलिकॉप्टर को उड़ाएं क्योंकि कश्मीर सैन्य दृष्टि से एक संवेदनशील इलाका है. नसीर मानते हैं कि लोगों के बीच रिश्ते अच्छे होने चाहिए. "कुछ भारतीय पत्रकार लाहौर में माल रोड पर आए और उन्होंने बाढ़ पीड़ितों के लिए चंदा इकट्ठा किया. लोगों के बीच इस तरह का सयोग जारी रहना चाहिए. हो सकता है कि कुछ समय में इसी कारण सरकारों पर इतना दबाव बढ़े कि लोग कहें अब आप बेहतरी के लिए बातचीत करें."

तस्वीर: AP

लेकिन उस वक्त अच्छी बात ये हुई कि कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने वाली नियंत्रण रेखा को खोल दिया गया ताकि दोनों तरफ के लोग पुनर्निमाण में मदद दे सके. पाकिस्तान के राजनीति मामलों के जानकार नसीर कहते हैं कि इस तरह की पहल मायने रखती है.

1947 में बंटवारे के बाद से पाकिस्तान और भारत के बीच तीन लड़ाइयां हुई हैं. शांति वार्ता की अब तक की कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है. नवंबर 2008 में मुंबई हमले के कारण दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया. पाकिस्तान के लोगों को सहायता से कोई समस्या नहीं है. भारत और पाकिस्तान के बीच दीवारें कितनी ही ऊंची हों लेकिन कई सुराख ऐसे हैं जहां से दोनों तरफ के लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आते हैं और नेकनीयती के साथ.

रिपोर्टः प्रिया एसेलबॉर्न/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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