देश में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से साल 2022-23 में कुल 1997 लोगों की जान चली गई. वहीं 30,615 पशुओं की जान गई है और लाखों हेक्टेयर फसलें भी तबाह हुईं.
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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि 2022-23 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से 18,54,901 हेक्टेयर फसलें तबाह भी हुईं. राय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी है कि प्राकृतिक आपदाओं की वजह से जहां देश में 1997 लोगों की मौत हुई है, वहीं 30,615 पशुओं की भी जान गई. आपदाओं की वजह से क्षतिग्रस्त घर और झोपड़ियों की संख्या 3,24,265 है.
राज्यों द्वारा दी गई जानकारी का हवाला देते हुए राय ने कहा कि इन विवरणों में 2022-23 के दौरान 7 मार्च, 2023 तक हुई जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण हुए नुकसान शामिल हैं. राय ने यह भी बताया कि विभिन्न जलवायु संबंधी घटनाओं के कारण आई प्राकृतिक आपदाओं की संख्या, उनसे हुए नुकसान और नागरिकों को हुई क्षति की राज्यवार सूचना गृह मंत्रालय द्वारा केंद्रीयकृत रूप में नहीं रखी जाती है और ये सूचना राज्यों द्वारा दी जाती है.
जान लेती आपदाएं
सरकार ने जो आंकड़ा पेश किए हैं उसके मुताबिक महाराष्ट्र में आपदाओं के दौरान सबसे अधिक 438 लोगों की जान गई, इसके बाद मध्य प्रदेश (284), असम (200), गुजरात (189), कर्नाटक (127), छत्तीसगढ़ (95) और राजस्थान (91) है. इसके बाद उत्तराखंड (86), बिहार (70), मणिपुर और उत्तर प्रदेश में 53-53, हिमाचल प्रदेश में 42, तेलंगाना में 39, मेघालय में 27, अरुणाचल प्रदेश में 23, पंजाब में 22, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में 16-16, त्रिपुरा में 11, ओडिशा में 11, नागालैंड में 10, सिक्किम में आठ, आंध्र प्रदेश में सात और गोवा में एक.
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इसी तरह नागालैंड में 2022-2023 के दौरान इन आपदाओं में कुल 14,077 मवेशियों की जान चली गई, इसके बाद महाराष्ट्र में 4,301, असम में 2043, तेलंगाना में 1,574, गुजरात में 1,457, कर्नाटक में 1,289, पुडुचेरी में 999, केरल में 997, हिमाचल प्रदेश में 940, छत्तीसगढ़ में 533, तमिलनाडु में 508, उत्तराखंड में 407, आंध्र प्रदेश में 291, ओडिशा में 229, पंजाब में 203, राजस्थान में 184, मेघालय में 167, केरल में 161, सिक्किम में 137, उत्तर प्रदेश में 68, आंध्र प्रदेश में 49 और त्रिपुरा में एक.
इन आपदाओं में असम में अधिकतम 2,02,214 घर और झोपड़ियां तबाह हो गई, इसके बाद कर्नाटक में 45,465, तेलंगाना में 14,858, आंध्र प्रदेश में 13,573, ओडिशा में 9,693, गुजरात में 6,762 और मध्य प्रदेश में 6,646.
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जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी आपदाएं
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं और ज्यादा लोगों की जान जा रही है. पिछले साल विज्ञान मंत्रालय ने संसद में एक रिपोर्ट में कहा था लू चलने की घटना आठ गुना बढ़कर 27 पर पहुंच गई. बिजली गिरने की घटनाओं में 111 गुना की वृद्धि हुई. साथ ही 240 तूफान आए, जो पिछले साल के मुकाबले पांच गुना ज्यादा थे.
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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत 2030 तक कड़ाई से कदम नहीं उठाता है तो जलवायु परिवर्तन के नतीजे उस पर बहुत भारी पड़ने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी 2050 तक पानी की किल्लत से जूझ रही होगी.
उसी दौरान देश के तटीय इलाके, जिनमें मुंबई जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं, समुद्र के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हो रहे होंगे. गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी बेसिनों में और बाढ़ आएगी और उसी दौरान सूखे और पानी की किल्लत से फसल उत्पादन भी गिरेगा.
भूकंप, तूफान, सुनामी: 21वीं सदी की सबसे बड़ी आपदाएं
सीरिया और तुर्की में आए भूकंपों में मरने वालों की संख्या 21,000 पार कर चुकी है, जिससे ये भूकंप इस सदी की सबसे बड़ी आपदाओं में शामिल हो चुके हैं. यह हैं 21वीं सदी की सबसे बड़ी आपदाएं.
तस्वीर: Pornchai Kittiwongsakul/AFP/Getty Images
हिंद महासागर सुनामी
26 दिसंबर, 2004 को सुमात्रा के पास आए 9.15 तीव्रता के भूकंप ने एक ऐसी सुनामी को जन्म दिया जिसने इंडोनेशिया, थाईलैंड, भारत, श्रीलंका और इलाके के कई देशों में कम से कम 2,30,000 लोगों की जान ले ली. 43,000 लोग लापता हो गए और कई गांव, कई द्वीप तबाह हो गए.
तस्वीर: Pornchai Kittiwongsakul/AFP/Getty Images
हैती में भूकंप
13 जनवरी, 2010 को 7.0 तीव्रता के एक भूकंप ने हैती की राजधानी पोर्ट-ओ-प्रिंस को तबाह कर दिया. करीब 3,16,000 लोग मारे गए. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि राजधानी और उसके आस-पास के इलाकों में 80,000 इमारतें ढह गईं.
तस्वीर: Juan Barreto/AFP/Getty Images
म्यांमार में चक्रवात
दो मई, 2008 को नरगिस चक्रवात ने म्यांमार के इरावडी डेल्टा और दक्षिणी यांगून में कहर बरपाया. 240 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं की वजह से करीब 1,40,000 लोगों की जान चली गई. 24 लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए.
तस्वीर: IFRC/dpa/picture alliance
चीन में भूकंप
12 मई, 2008 को चीन के शिशुआं राज्य में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने करीब 87,600 लोगों की जान ले ली.
तस्वीर: Shifang/dpa/picture alliance
पाकिस्तान में भूकंप
आठ अक्टूबर, 2005 को इस्लामाबाद से उत्तर पूर्व की तरफ आए 7.6 तीव्रता के भूकंप ने कम से कम 73,000 लोगों की जान ले ली. भूकंप का भारतीय कश्मीर में भी असर हुआ और वहां भी 1,244 लोग मारे गए.
तस्वीर: Farooq Naeem/AFP via Getty Images
ईरान में भूकंप
26 दिसंबर, 2003 को ईरान के दक्षिण पूर्वी राज्य केरमान में आए 6.6 तीव्रता के भूकंप ने बाम नाम के पूरे शहर को ही सपाट कर दिया. कम से कम 31,000 लोग मारे गए.
तस्वीर: Odd Andersen/AFP/Getty Images
जापान में भूकंप/सुनामी
11 मार्च, 2011 को उत्तरपूर्वी जापान में आए 9.0 तीव्रता के भूकंप और उससे जन्मी सुनामी ने करीब 15,690 लोगों की जान ले ली. इस भूकंप की वजह से 1986 में हुए चेर्नोबिल परमाणु हादसे के बाद दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हादसा भी हुआ.
26 जनवरी, 2001 को गुजरात के भुज में आए 7.9 तीव्रता के भूकंप ने कम से कम 14,000 लोगों की जान ले ली. 1,50,000 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए और लाखों लोग बेघर हो गए.
तस्वीर: Arko Datta/AFP/Getty Images
नेपाल में भूकंप
25 अप्रैल, 2015 को 7.8 तीव्रता के एक भूकंप ने नेपाल को हिला कर रख दिया. कम से कम 9,000 लोगों की जान चली गई और 80 लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए.
तस्वीर: Philippe Lopez/AFP/Getty Images
इंडोनेशिया में भूकंप/सुनामी
28 सितंबर, 2018 को इंडोनेशिया के द्वीप सुलावेसी में आए 7.5 तीव्रता के भूकंप की वजह से समुद्र में 1.5 मीटर ऊंची लहरों वाली सुनामी आई, जिसने 4,300 से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली.
तस्वीर: Dita Alangkara/AP Photo/picture alliance
हैती में भूकंप (2021)
14 अगस्त, 2021 को दक्षिणी हैती में आए 7.2 तीव्रता के भूकंप ने कम से कम 2,200 लोगों की जान ले ली और करीब 13,000 मकानों को नष्ट कर दिया.
तस्वीर: Orlando Barria/EFE/IMAGO
कटरीना तूफान
कटरीना तूफान का कहर अमेरिका के न्यू ऑर्लांस पर 29 अगस्त, 2005 को टूटा. शहर के अधिकांश हिस्से 4.57 मीटर पानी में डूब गए और करीब 1,800 लोग मारे गए. मरने वाले अधिकांश लोग लुसिआना राज्य में थे लेकिन पड़ोसी राज्य मिसिसिप्पी में भी तूफान का भारी असर हुआ था. (रॉयटर्स)