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सात दशक बाद नागरिकता लेने का मौका

३१ जुलाई २०१५

भारत और बांग्लादेश अपने 68 साल पुराने द्विपक्षीय सीमा विवाद को पीछे छोड़ते हुए नया इतिहास रच रहे हैं. दशकों से राज्यविहीन रहे बांग्लादेश के भारतीय एनक्लेव के करीब एक हजार निवासियों को भारत की नागरिकता मिलने जा रही है.

तस्वीर: AFP/Getty Images

दुनिया के कुछ सबसे जटिल सीमा विवादों में से एक भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर अब डेढ़ सौ से भी अधिक एनक्लेवों की अदला बदली हो रही है. यह एनक्लेव उन छोटे छोटे टापुओं जैसे हैं जो एक देश की सीमा में स्थित हैं लेकिन उन पर मिल्कियत दूसरे देश की है. इस अदल बदल का असर करीब 51,000 निवासियों पर पड़ेगा. करीब सात दशकों तक राज्यविहीन रहने के बाद अंतत: इन्हें अपनी राष्ट्रीय पहचान और नागरिकता हासिल होगी.

दोनों देशों के अधिकारी इन 162 एनक्लेवों में अपने अपने राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे. इनमें से 111 बांग्लादेश में हैं और 51 भारत में. 6 जून को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से इस सीमा विवाद का हल निकाला, जिसके क्रियान्वयन के लिए 31 जुलाई रात 12 बजकर एक मिनट पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम होना है. इस पल के साथ ही सभी एनक्लेवों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. इसमें रहने वाले लोगों को भारत या बांग्लादेश की नागरिकता चुनने का अधिकार होगा और साथ ही सरकारी स्कूलों, स्वास्थ्य और बिजली जैसी सुविधाओं तक पहुंच भी. 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत के बाद से अब तक बीते हर साल की याद में मध्यरात्रि समारोह में 68 मोमबत्तियां जलाई जाएंगी.

1974 में ही तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान ने लैंड एकॉर्ड पर सहमति बनाई थी. 1975 में शेख मुजीब की हत्या हो जाने के बाद यह प्रक्रिया लंबे समय तक ठंडी पड़ गई और बाद की सरकारें एनक्लेवों की अदला बदली के मुद्दे पर सहमति बनाने में असफल रहीं. एनक्लेवों का अस्तित्व कई सदियों से है. इस पर पहले स्थानीय रजवाड़ों की मिल्कियत हुआ करती थी और वह परंपरा 1947 में ब्रिटिश शासन के अंत में हुए विभाजन से लेकर 1971 में बांग्लादेश और पाकिस्तान युद्ध के बावजूद बरकरार रही.

6 जून को मोदी की बांग्लादेश यात्रा में हुआ ऐतिहासिक समझौतातस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A.M. Ahad

जून में द्विपक्षीय समझौते के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के अधिकारियों ने एनक्लेवों में सर्वे कर लोगों से किसी एक देश की नागरिकता चुनने को कहा. बांग्लादेश के भारतीय एनक्लेवों में रहने वाले ज्यादातर लोगों ने बांग्लादेश की ही नागरिकता लेने की इच्छा जताई है. लेकिन ऐसे करीब एक हजार लोग हैं जो भारतीय नागरिकता लेना चाहते हैं और इसके लिए नवंबर तक भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में उनका पुनर्वास होना है. दूसरी तरफ, भारतीय सीमा में स्थित सभी 51 बांग्लादेशी एनक्लेवों के निवासी भी भारत की नागरिकता लेना चाहते हैं.

आरआर/एमजे (एएफपी, पीटीआई)

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