सीरम इंस्टीट्यूट ने बताया भारत में कब मिलेगी कोविड वैक्सीन
२० नवम्बर २०२०
भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक राहत भरी खबर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने दी है. उसने बताया कि देश में कब तक वैक्सीन उपलब्ध हो पाएगी. साथ ही कंपनी ने दो जरूरी खुराक की कीमत भी बताई है.
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भारत में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने गुरुवार को दावा किया कि ऑक्सफोर्ड कोविड-19 वैक्सीन स्वास्थ्य कर्मचारियों और बुजुर्गों के लिए फरवरी 2021 तक उपलब्ध हो जाएगी और आम नागरिकों के लिए यह वैक्सीन अप्रैल तक मिलने लगेगी. साथ ही उन्होंने इसकी कीमत के बारे में भी बताया है, उनके मुताबिक वैक्सीन की दो जरूरी खुराक के लिए अधिकतम कीमत एक हजार रुपये होगी लेकिन यह परीक्षण के अंतिम नतीजों और नियामक की मंजूरी पर निर्भर करेगा. उनके मुताबिक उनकी वैक्सीन अन्य वैक्सीन के मुकाबले में काफी सस्ती होगी.
पूनावाला ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि 2024 तक हर भारतीय को वैक्सीन लग जाएगी. पूनावाला के मुताबिक, "मुमकिन है कि भारत में हर व्यक्ति को टीका लगने में दो या तीन साल लग जाएंगे, न केवल सप्लाई की कमी के कारण, बल्कि इसलिए कि आपको बजट, उपकरण, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे की जरूरत है. लोगों को टीका लगवाने के लिए भी राजी होना होगा. यह वे कारक हैं जो पूरी आबादी के 80-90 प्रतिशत लोगों को टीकाकरण के लिए जरूरी है."
उन्होंने आगे कहा, "यह सभी के लिए 2024 तक उपलब्ध हो जाएगी, अगर लोग वैक्सीन की दो खुराक लेने के लिए राजी हैं." वैक्सीन की कीमत पर कंपनी के सीईओ ने कहा कि इसकी कीमत 5-6 अमेरिकी डॉलर प्रति खुराक होगी और भारतीय रुपये में करीब एक हजार रुपये जरूरी दो खुराक के लिए बनते हैं. देश में कुल सात वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के अलग-अलग चरण में हैं. इनमें पांच ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल और दो प्री-क्लीनिकल ट्रायल स्टेज में है.
पूनावाला के मुताबिक ऑक्सफोर्ड वैक्सीन सस्ती, सुरक्षित और इसे दो से चार डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जा सकता है, जो कि भारत के कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए आदर्श तापमान है. उन्होंने बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया अगले साल फरवरी से 10 करोड़ प्रति खुराक तैयार करने की योजना बना रही है.
किसे पहले मिलेगी वैक्सीन
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को बताया कि कोरोना वैक्सीन आते ही प्राथमिकता के मुताबिक इसे दी जाएगी. उन्होंने कहा वैक्सीन आते ही सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों और 65 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को प्राथमिकता के आधार पर दी जाएगी. हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड वैक्सीन के वितरण में प्राथमिकता दिया जाना स्वाभाविक है और जब कोई वैक्सीन उपलब्ध होगी तो सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को वरीयता दी जाएगी.
भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोविड-19 की वैक्सीन पर काम चल रहा है. अब तक कुछ सफलता जरूर मिली है लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट को ले कर चिंता भी जताई जा रही है.
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साइड इफेक्ट
इस वक्त पूरे दुनिया की उम्मीदें कोविड-19 की वैक्सीन पर टिकी हैं. लेकिन यह टीका कोई जादू का घोल नहीं होगा. हर दवा की तरह इसके भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं. जरूरी नहीं कि ये हर व्यक्ति पर बुरा असर करे. लेकिन कुछ खास किस्म की एलर्जी रखने वालों को इससे खतरा हो सकता है.
ब्राजील में चीन की कंपनी सिनोवैक की वैक्सीन पर ट्रायल चल रहे थे जिन्हें 9 नवंबर को रोकना पड़ा. ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने "एक बेहद गंभीर घटना" को इसके लिए जिम्मेदार बताया है लेकिन इस पर और जानकारी नहीं दी है. इन ट्रायल के दौरान एक व्यक्ति की मौत होने के बाद से इस पर विवाद खड़ा हुआ.
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जॉन्सन एंड जॉन्सन
11 अक्टूबर को जॉन्सन एंड जॉनसन को भी अपने ट्रायल रोकने पड़े. इस वैक्सीन पर चल रहे शोध में हिस्सा लेने वाले 60 हजार वॉलंटियर में से एक की तबियत बिगड़ने के बाद यह फैसला लिया गया. हालांकि जॉन्सन एंड जॉन्सन ने यह भी बयान दिया कि यह ब्रेक भी उनके शोध का ही हिस्सा है.
यह वही कंपनी है जिसकी एंटीबॉडी कॉकटेल अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को उनके इलाज के दौरान दी गई थी. ट्रंप ने इसकी काफी तारीफ भी की थी लेकिन दूसरे चरण की टेस्टिंग के बाद इसे भी रोका गया. कंपनी ने "सुरक्षा कारणों" को इसकी वजह बताया था.
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ऑक्सफोर्ड एस्ट्रा जिनेका
इस वैक्सीन से काफी ज्यादा उम्मीदें लगाई गई थीं. भारत में भी इस पर ट्रायल चल रहे थे. लेकिन टेस्टिंग के दौरान एक वॉलंटियर ने कुछ अस्पष्ट लक्षणों के बारे में बताया, जिसके बाद ट्रायल को रोकना पड़ा.
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बायोनटेक+फाइजर
जर्मन कंपनी बायोनटेक और अमेरिकी कंपनी फाइजर ने दावा किया है कि उसने तीसरे चरण की टेस्टिंग को सफलतापूर्वक पूरा किया है और उन्हें 90 फीसदी से ज्यादा नतीजा मिला है. इस शोध में 43 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया और 28 दिनों में 93 फीसदी लोग वायरस से सुरक्षित पाए गए.
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स्पुतनिक
रूस की वैक्सीन स्पुतनिक शुरू से ही विवादों में रही, लेकिन फाइजर की खबर आने के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उनकी वैक्सीन ने भी 90 फीसदी का असर दिखाया. उन्होंने कहा कि रूस में बनी हर वैक्सीन विश्वसनीय है. स्पुतनिक वैक्सीन पर भारत में भी टेस्ट किया जा रही है.
कोरोना वायरस से निपटने के लिए सब कंपनियां आनन फानन में नतीजों तक पहुंचने की कोशिश में तो लगी हैं लेकिन कोई भी वैक्सीन कितनी कारगर है यह समझने में सालों लगता है. बायोनटेक और फाइजर के टीके को लेकर भी अभी यह पता नहीं है कि अलग अलग लोगों पर इसके क्या अलग अलग असर देखने को मिलेंगे.
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लैब से बाजार
यूरोपीय संघ में जनवरी 2021 से लोगों को वैक्सीन देने की बात की जा रही है. लेकिन पहले वैक्सीन किसे मिलेगी, इस पर नियम तय होना बाकी है. अगर जनवरी से टीका बाजार में आता भी है, तो भी पूरी जनता तक पहुंचने में साल भर लग सकता है.