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भारत में अचानक चमगादड़ों की मौत

क्रिस्टीने लेनन
१ जून २०२०

जब से कोरोना संकट शुरू हुआ है, तब से चमगादड़ सुर्खियों में हैं. उन्हें भी इस वायरस के संभावित स्रोत के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन भारत में कई जगहों पर अचानक चमगादड़ों के मारे जाने की खबरें है.

चमगादड़
चमगादड़ ज्यादा गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैंतस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/AGAMI/T. Douma

इन दिनों देश के कई क्षेत्रों मे भीषण गर्मी पड़ रही है. कई शहरों मे तापमान 45 डिग्री को पार कर रहा है. ऐसे में सूरज और हवा के गर्म थपेड़ों से बचने के लिए इंसान ही नहीं, पशु और पक्षी भी व्याकुल हैं. गर्मी की प्रचंडता और पानी की कमी पशु और पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है.

गर्मियों के दौरान पशु-पक्षी भी पानी के लिए भटकते रहते हैं. नदी, तालाब या अन्य जल स्रोत सूख जाने के कारण हजारों पशु पक्षी प्यासे मर जाते हैं. खासतौर पर आवारा पशुओं को अपनी प्यास बुझाने मे अत्यधिक मुश्किल होती है. मुंबई स्थित पशु चिकित्सक डॉ. प्राची गायकवाड कहती हैं कि तापमान अधिक होने से पशु पक्षियों मे डिहाइड्रेशन की समस्या आ जाती है. समय से पानी ना मिले तो यह जानलेवा भी साबित होता है.

गर्मियों मे पानी की कमी झेलने वाले महाराष्ट्र के इलाके विदर्भ और मराठवाड़ा मे आवारा पशुओं की मौत के मामले अक्सर सामने आते हैं. पशु चिकित्सक डॉ. केपी सिंह कहते हैं कि गर्मियों मे पशुओं में होने वाले डिहाइड्रेशन के कारण पशु चरना छोड़ देते हैं. लीवर की समस्या भी आ जाती है. वह कहते हैं, "पशु और पक्षी वातावरण के साथ तालमेल बिठा लेते हैं लेकिन तापमान मे अचानक से वृद्धि होने पर इन्हें लू लगने का खतरा रहता है."

गर्मियों में पक्षियों के लिए पानी तलाशना मुश्किल हो जाता हैतस्वीर: Reuters/B. Snyder

चमगादड़ों की मौत

पिछले कुछ दिनों से देश के अलग अलग हिस्सों से चमगादड़ों की मौत के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र से सटे मध्य प्रदेश के बेतूल और सिंगरौली जिले में सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ के मरने की खबर है. वन विभाग की टीम और पशु चिकित्सा विभाग मरे हुए चमगादड़ों को अपने कब्जे में लेकर मौत के कारणों की जांच कर रहा है. रिपोर्ट की अभी प्रतीक्षा है.

जानकारों के अनुसार भीषण गर्मी की वजह से चमगादड़ों की मौत संभव है. चमागादड़ों के मरने के मामले पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया और गोरखपुर से भी आए हैं. इसके अलावा बिहार मे भी कई चमागादड़ों के मरने की खबर है. जानकारों के अनुसार अचानक पारा चढ़ने से चमगादड़ ब्रेन स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं. 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान बर्दाश्त करना चमगादड़ के लिए आसान नहीं होता.

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गोरखपुर के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेंद्र शर्मा का कहना है कि 54 चमागादड़ों के मरने की सूचना आई थी. उनके अनुसार, "प्रथम दृष्टया मामला हीट स्ट्रोक से मौत का लग रहा है. वैसे, इसकी जांच के लिए उनके शव बरेली स्थित इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट भेजे गए हैं."

देखभाल की जरूरत

दिन के समय चल रही गर्म हवाओं या लू से उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत के लोग परेशान हैं. ऐसे में पशु पक्षी भी तेज गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक का शिकार होकर बीमार हो रहे हैं. डॉ. प्राची गायकवाड कहती हैं कि इन पशुओं और पक्षियों को भी देखभाल की जरूरत होती है. वह कहती हैं, "जानवरों को खुले मे रखने की बजाय ढके हुए जगह पर रखना चाहिए. जगह ऐसी हो जहां गर्म हवा उन तक ना पहुंचे. घुमाने या चराने के लिए सुबह या शाम को ले जाना चाहिए."  पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए तालाब या किसी भरे हुए स्थान का पानी पीने के लिए नहीं देना चाहिए.

नांदेड़ के पशुपालक किसान सुखदेव जाधव अपने घरेलू पशुओं के साथ साथ आवारा पशुओं के लिए भी पानी की व्यवस्था कर देते है. वह कहते हैं कि अप्रेल और मई महीने की गर्मी के दौरान सैकड़ों पक्षी और आवारा पशु पानी की कमी से मर जाते हैं. इसलिए वे पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए मकान के बाहर पीने का साफ पानी रखते हैं. पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. अशोक मिश्रा के अनुसार, "ग्रामीण क्षेत्रों मे आवारा पशुओं के प्रति आज भी लोगों मे संवेदना पाई जाती है. इसलिए मौत के मामले इतने ज्यादा नहीं होते."

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