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भारत में अपनी जान खुद बचाओ

३० अक्टूबर २०१२

अपराधों में तेजी और आतंकवादी हमलों के डर ने भारत में सुरक्षा उपकरणों का धंधा चमका दिया है. स्वतंत्र और आधुनिक पुलिस के अभाव में पैसे वाले अपनी हिफाजत का इंतजाम खुद कर रहे हैं.

तस्वीर: AP

भारत में सुरक्षा उपकरणों का बाजार 25 फीसदी की तेजी से बढ़ रहा है. फिलहाल इतनी तेजी और किसी मार्केट में नहीं देखी जा रही है. सुरक्षा उपकरणों के बाजार में यह तेजी तीन साल से बरकरार है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ये छलांग जारी रहेगी.

आईएफएससीसी इंडिया एंड होमलैंड सिक्योरिटी इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पंकज जैन कहते हैं, "भारत में सुरक्षा उपकरणों का बाजार 5,000 करोड़ रुपये का है. वैश्विक बाजार सात फीसदी की दर से बढ़ रहा है जबकि बीते तीन साल में भारतीय बाजार 25 से 30 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ा है."

तस्वीर: ekey biometric

पंकज के मुताबिक 2008 के मुबंई हमलों के बाद सुरक्षा उपकरणों की मांग में भारी तेजी आई. सबसे ज्यादा बिक्री क्लोज सर्किट कैमरों, एक्सेस कंट्रोल, बायोमेट्रिक उपकरणों और अर्लामों की हो रही है.

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी अंबादास पोटे इसे जागरुकता बता रहे हैं. कहते हैं, "मुझे लगता है कि देश के पूरे विकास में सुरक्षा बहुत जरूरी है. इन दिनों सुरक्षा पर हो रहे खर्च को निवेश की तरह देखा जा रहा है, सिर्फ खर्च की तरह नहीं. सच तो यह है कि भविष्य में इसकी मांग और बढ़ सकती है."

तस्वीर: AP

मुंबई फायर ब्रिग्रेड के प्रमुख सुहास जोशी मानते हैं कि लोग अपनी सुरक्षा को अब तरजीह देने लगे हैं, "सरकार ने भी सभी दफ्तरों में ऐसे उपकरणों लगाना अनिवार्य कर दिया है. इसके कारण भी मांग बढ़ी है. नई ईमारत (को क्लीयरेंस) या कारोबारी सर्टिफिकेट तब तक नहीं दिया जा रहा है जब तक यह नियम पूरे न हों. इनमें आग बुझाने के उपकरण और अन्य सुरक्षा उपकरण शामिल हैं."

अधिकारियों के इन दावों के पीछे एक बड़ा विरोधाभास भी है. जागरुकता जरूर होनी चाहिए लेकिन लोकतंत्र और संप्रभु देश में 'अपनी हिफाजत खुद करें' का नारा नहीं दिया जा सकता. सरकार और प्रशासन का काम दूरदर्शी ढंग से योजनाएं बनाना और उन्हें अमल में लाना भी है.

ओएसजे/ एमजी(पीटीआई)

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