ब्रिटेन की मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के बेंगलुरु स्थित दफ्तर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 25 अक्टूबर को छापा मारा. एमनेस्टी सरकार पर उसे डराने का आरोप लगा रही है.
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ईडी का कहना है कि विदेशी फंडिंग में हेरफेर जैसे आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है. ईडी ने अपने बयान में कहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विदेशी फंडिंग नियमों का उल्लघंन करते हुए 36 करोड़ रुपये हासिल किए हैं. वहीं एमनेस्टी का कहना है कि भारत सरकार मानवाधिकार संस्थाओं के भीतर डर पैदा करना चाहती है. संस्था ने ट्वीट कर कहा, "ईडी के ये छापे सरकार का मानवाधिकार संस्थाओं को परेशान करने वाला रवैया दिखाते हैं. यह बात बिल्कुल साफ है कि सरकार ऐसी संस्थाओं में डर पैदा करना चाहती है."
ईडी वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था है. एमनेस्टी से पहले ईडी ने पर्यावरण मुद्दों पर काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस के बेंगलुरु ऑफिस में 11 अक्टूबर को छापे मारे थे. 2015 में ग्रीनपीस के बैंक खाते भी सील कर दिए गए थे. भारत में एमनेस्टी की प्रवक्ता स्मृति सिंह ने कहा, "संस्था को अभी किसी सामान जब्त होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है, फिलहाल वह पूरी घटना का आकलन कर रही है."
एमनेस्टी इंटरनेशनल, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार की मुखर आलोचक रही है. संस्था, कश्मीर मुद्दे से लेकर मध्य भारत में नक्सलवादियों के खिलाफ उठाए गए सरकारी कदमों की आलोचना करता रहा है. इसके पहले 2014 में सत्ता संभालने के फौरन बाद ही भारत की दक्षिणपंथी सरकार ने विदेशी गैरसरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे. उस वक्त गैरकानूनी ढंग से विदेशी फंड पाने के आरोप में तकरीबन 10 हजार एनजीओ बंद कर दिए गए थे.
2014 में सरकारी खुफिया एजेंसियों ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ये एनजीओ, विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत की आर्थिक वृद्धि में रोड़ा पैदा करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी विदेशी फंडों से चलने वाले एनजीओ की आलोचना करते रहे हैं. मोदी इन्हें फाइव स्टार एक्टिविस्ट कहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में कहा है, "राघव बहल, ग्रीनपीस और अब एमनेस्टी इंटरनेशनल. मोदी सरकार आईटी, ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल अपने आलोचकों के खिलाफ करेगी. हमने भारत में कभी इन संस्थाओं का ऐसा दुरुपयोग नहीं देखा है."
एमनेस्टी इंटरनेशनल का मुख्यालय लंदन में हैं.
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
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त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
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मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
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बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
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गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
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हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
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हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
तस्वीर: Getty Images/M. Sharma
गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
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असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
तस्वीर: IANS
मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
तस्वीर: DW/Zeljka Telisman
मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
तस्वीर: IANS
2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.