भारत में कम हो सकती है ओला, उबर जैसी कंपनियों की कमाई
२९ नवम्बर २०१९
भारत सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए ओला, उबर जैसी ऐप आधारित कार रेंटल कंपनियों द्वारा कंट्रोल रूम बनाने और उनके कमीशन को कम करने की योजना बनाई है. साथ ही ड्राइवरों के काम करने के अधिकतम घंटे भी तय किए जाएंगे.
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भारत ने ऐप आधारित टैक्सी सेवा जैसे उबर और ओला के कमीशन को अधिकतम 10 प्रतिशत तय करने की योजना बनाई है. इस प्रस्ताव पर उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसा करने पर राजस्व और संचालन पर काफी असर पड़ेगा. इस तरह के कानून से सैन फ्रांसिस्को आधारित कंपनी उबर के लिए एक और झटका होगा. वजह ये है कि बीते सोमवार को यात्रियों की सुरक्षा में विफलता को लेकर लंदन में उबर के लाइसेंस को बीते दो साल के अंदर दूसरी बार छीन लिया गया.
वर्तमान में ऐप आधारित ये कंपनियां करीब 20 प्रतिशत कमीशन लेती हैं. भारत सरकार के 23 पन्नों के निर्देश के अनुसार इसे कम करने का प्रस्ताव रखा गया है. साथ ही सरकार ने ड्राइवरों के लिए सख्त सुरक्षा जांच और एक दिन में अधिकतम 12 घंटे काम करने का भी प्रस्ताव दिया है. यह सब यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है. भारत के सड़क परिवहन मंत्रालय ने काम के घंटों को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया है. उबर और ओला ने भी नई योजना पर कोई जवाब नहीं दिया.
यह प्रस्ताव अभी बदल सकता है लेकिन उद्योग विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे से उबर और सॉफ्टबैंक समर्थित ओला के राजस्व में कमी आ सकती है. पूरी दुनिया में उबर के माध्यम से जितने लोग सवारी करते हैं, उसमें 11 प्रतिशत भारत का योगदान है.
ओला के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जॉय बनडेकर कहते हैं, "10 प्रतिशत कमीशन व्यवहारिक नहीं है. यह 20 प्रतिशत के आसपास होना चाहिए. इतने कम रेट में सिस्टम नहीं चल सकता है." भारत सवारी करने वाली कंपनियां के लिए उभरता हुआ बाजार है. यहां के लोग संकरी सड़कों की वजह से खुद गाड़ी नहीं चलाना चाहते हैं. भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कैब कंपनियों के बढ़ते बाजार को ऑटो की कम होती बिक्री के लिए जिम्मेदार ठहरा चुकी हैं. कंपनियों द्वारा ड्राइवरों की इनसेंटिव कम करने और किराया बढ़ाने से भी कुछ ड्राइवर नाराज हैं.
सरकार द्वारा तैयार किए गए मसौदे में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कंपनियों द्वारा कंट्रोल रूम बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. इस कंट्रोम रूम के माध्यम से वाहनों को ट्रैक किया जा सके और हर तीन घंटे पर ड्राइवरों के चेहरे की पहचान की जा सके. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि कंपनियां ड्राइवरों और सवारियों का बीमा उपलब्ध करवाए और ऐप पर मौजूद सभी डाटा को दो साल के लिए सुरक्षित रखा जाए.
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एस्टन मार्टिन
इस लग्जरी कार का नाम इसके संस्थापक लियोनेल मार्टिन और एस्टन हिल के नाम पर पड़ा. साल 1914 में जब कंपनी का मुख्यालय लंदन में हुआ करता था तब कंपनी का नाम रखा गया.
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बीएमडब्लयू
तीन कंपनियों के विलय के बाद साल 1912 में अपना परिचालन शुरू करने वाली कंपनी बीएमडब्लयू का पहला नाम बायरिषे फ्लूगसॉएगवेर्के (बवेरियन एयरप्लेन वर्क्स) था जिसे बाद में बदलकर बायरिषे मोटोरेनवेर्के (बवेरियन मोटर वर्क्स) किया गया.
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पोर्शे
लग्जरी स्पोर्ट कार के लिए दुनिया में मशहूर पोर्शे का नाम भी कंपनी के संस्थापक फेर्डिनेंड पोर्शे के नाम पर पड़ा. कंपनी की स्थापना साल 1931 में जर्मनी के स्टुटगार्ट में की गयी.
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रोल्स-रॉयस
इंग्लैंड की इस कंपनी का परिचालन साल 1906 में कारोबारी हेनरी रॉयस और चार्ल्स रोल्स ने किया. दोनों मिलकर दुनिया की बेहतरीन कारों का निर्माण करना चाहते थे.
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डैटसन
कंपनी का नाम पहले डैट था. इसे शुरू करने वाले तीनों पाटनर्स के उपनाम केंजिरो डेन के डी, रोकोरू आओयामा के ए और मेइतारो टाकेची के टी से बना डैट. बाद में निसान ने इसे खरीद लिया और डैटसन बना दिया.
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फरारी
फरारी का नाम अपने इतालवी संस्थापक एनजो फरारी के नाम पर पड़ा. एनजो एक रेस ड्राइवर थे लेकिन साल 1939 में उन्होंने अपनी कंपनी बनाने के लिए रेसिंग को अलविदा कह दिया.
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फोर्ड
हेनरी फोर्ड ने साल 1903 में अमेरिका के मिशिगन में फोर्ड मोटर्स कंपनी की स्थापना की थी. फोर्ड ने अपनी नौकरी छो़ड़कर 28 हजार डॉलर के साथ कंपनी की नींव रखी थी.
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मर्सिडीज
पेट्रोल से चलने वाली पहली कार मर्सिडीज-बेंज को साल 1886 में तैयार किया गया था. कार का नाम जर्मन कंपनी के संस्थापक कार्ल बेंज के नाम पर पड़ा. लेकिन ऑस्ट्रियन ऑटोमोबाइल इंजीनियर ऐमिल येलेनेक जिसने डेमलर मोटर ग्रुप का ट्रेडमार्क तैयार किया था, उसने उत्पादों की मार्केटिंग अपनी बेटी मर्सिडीज येलेनेक के नाम पर की.
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शेवरले
शेवी नाम से जानी जाने शेवरले का नाम कंपनी के सहसंस्थापक लुइ शेवरले के नाम पर पड़ा. उन्होंने विलियम सी डुरेंट के साथ कंपनी शुरू की.
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होंडा
इसका नाम संस्थापक सोइचिरो होंडा के नाम पर पड़ा. पेशे से मैकेनिक रहे सोइचिरो को कार रेसिंग का बेहद शौक था. साइचिरो ने पहले लंबे समय तक टोयोटा के लिए काम भी किया.
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टोयोटा
जापानी कंपनी टोयोटा की स्थापना साल 1937 में कीचिरो टोयोटा ने की थी. कंपनी ने ऑटो इंडस्ट्री में बड़े बदलाव किए.
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फोल्क्सवागेन
जर्मन भाषा में फोल्क्सवागेन का अर्थ होता है, "लोगों की गाड़ी". साल 1937 में स्थापिक फोल्क्सवागेन आज दुनिया की बड़ी ऑटो कंपनियों में से एक है. कंपनी के पास कई अहम कार ब्रांड स्कोडा, ऑडी, बेंटले आदि हैं.