नेपाल पहली बार भारत में काम करने वाले नागरिकों के लिए नियम बनाने जा रहा है. प्रधानमंत्री के मुताबिक इन नियमों से नेपाली नागरिकों को सुरक्षा मिलेगी.
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1950 में भारत के साथ हुई शांति और मैत्री संधि के बाद पहली बार नेपाल सरकार भारत में काम करने वाले अपने नागरिकों के लिए नियम बनाने जा रही है. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने विदेशों में काम करने वाले नेपाली नागरिकों के लिए एक योजना शुरू करने का एलान किया है. प्रधानमंत्री के मुताबिक अब नेपाल सरकार भारत में काम करने वाले नेपाली कामगारों को संख्या को नियंत्रित करेगी. भारत में काम करने के इच्छुक नेपाली नागरिकों को भविष्य में सरकार से परमिशन लेटर लेना होगा. परमिशन लेटर लेने वाले नागरिकों को बीमे की सुविधा भी मिलेगी.
योजना के मुताबिक, "अब से भारत जाकर काम करने वालों को जिला प्रशासनिक ऑफिस (डीएओ) से अनुमति लेनी होगी. ऐसी अनुमति देने से पहले डीएओ को उन्हें अनिवार्य बीमा और कल्याण फंड में रजिस्टर करना होगा." योजना 12 फरवरी से शुरू होगी. बीमा स्कीम के तहत 12.50 नेपाली रुपये का इश्योरेंस कवर लिया जा सकता है.
21वीं सदी के "गुलाम"
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने मानवाधिकारों के हनन के लिए एक बार फिर कतर की आलोचना की है. फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी करने जा रहे कतर में विदेशी मजदूरों की दयनीय हालत है.
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ (फीफा) ने विवादों के बावजूद कतर को 2022 के वर्ल्ड कप की मेजबानी सौंपी. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि कतर में स्टेडियम और होटल आदि बनाने पहुंचे विदेशी मजदूरों की बुरी हालत है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल भी कतर पर विदेशी मजदूरों के शोषण का आरोप लगा चुका है. वे अमानवीय हालत में काम कर रहे हैं.
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एमनेस्टी के मुताबिक वर्ल्ड कप के लिए निर्माण कार्य के दौरान अब तक कतर में सैकड़ों विदेशी मजदूरों की मौत हो चुकी है.
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मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक कतर ने विदेशी मजदूरों की हालत में सुधार का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया है.
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वर्ल्ड कप के लिए व्यापक स्तर पर निर्माण कार्य चल रहा है. उनमें काम करने वाले विदेशी मजदूरों को इस तरह के कमरों में रखा जाता है.
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स्पॉन्सर कानून के तहत मालिक की अनुमति के बाद ही विदेशी मजदूर नौकरी छोड़ या बदल सकते हैं. कई मालिक मजदूरों का पासपोर्ट रख लेते हैं.
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ब्रिटेन के "द गार्डियन" अखबार के मुताबिक कतर की कंपनियां खास तौर नेपाली मजदूरों का शोषण कर रही हैं. अखबार ने इसे "आधुनिक दौर की गुलामी" करार दिया.
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अपना घर और देश छोड़कर पैसा कमाने कतर पहुंचे कई मजदूरों के मुताबिक उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि हालात ऐसे होंगे.
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कई मजदूरों की निर्माण के दौरान हुए हादसों में मौत हो गई. कई असह्य गर्मी और बीमारियों से मारे गए.
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कतर से किसी तरह बाहर निकले कुछ मजदूरों के मुताबिक उनका पासपोर्ट जमा रखा गया. उन्हें कई महीनों की तनख्वाह नहीं दी गई.
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कुछ मजदूरों के मुताबिक काम करने की जगह और रहने के लिए बनाए गए छोटे कमचलाऊ कमरों में पीने के पानी की भी किल्लत होती है.
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मजदूरों की एक बस्ती में कुछ ही टॉयलेट हैं, जिनकी साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
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नेपाल के हजारों नागरिक काम की तलाश में भारत जाते हैं. दोनों देशों की बीच खुली सीमा होने की वजह से उन्हें भारत में कहीं भी जाकर काम करने की आजादी रहती है. लेकिन इसी मुक्त आवाजाही की आड़ में अपराध और हादसे भी होते हैं. भारत में हर साल दर्जनों नेपाली कामगार मारे जाते हैं, सैकड़ों घायल होकर घर लौटते हैं. नौकरी का झांसा देकर भारत तक लाई गई महिलाओं को देह व्यापार में भी धकेला जाता है. समाजिक संगठनों के मुताबिक तस्कर हर साल नेपाल और बांग्लादेश से 500 से 28,000 लड़कियां भारत पहुंचाते हैं.
लेकिन क्या नेपाल सरकार की नई योजना अपने नागरिकों की हिफाजत कर पाएगी. इस पर संदेह बना हुआ है. खुली सीमा पार कर हर दिन भारत जाने वाले नागरिकों को रोकने के लिए कोई ढांचा नेपाल के पास नहीं है.
भारत और चीन के बीच बसे नेपाल में रोजगार के बहुत कम मौके हैं. यही वजह है कि नेपाली नागरिक रोजी रोटी की तलाश में दूसरे देशों का रुख करते हैं. दुनिया के 110 देशों में इस वक्त 50 लाख नेपाली नागरिक काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री कहते हैं बीमा योजना प्रवासी कामगारों को सुरक्षा देगी. वहीं अधिकारियों को लगता है कि पहले से गरीबी से जूझ रहे नागरिक कैसे महंगा बीमा खरीदेंगे.
सबसे ज्यादा न्यूनतम मजदूरी
ओईसीडी के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा न्यूनतम मजदूरी देने वाले 15 देश ये हैं.