झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के दो डाइरेक्टर आरएस रुंगटा और आरसी रुंगटा को नई दिल्ली में विशेष जज भरत पराशर की अदालत ने आपराधिक साजिश और घोखाधड़ी का दोषी पाया. अदालत ने कहा कि उन्होंने धोखे से और गैरइमानदार इरादों के साथ सरकार को ठगा. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने दोनों भाईयों पर कोयला खनन करने की क्षमता को गलत ढंग से पेश कर अपनी कंपनी के लिए खनन लाइसेंस लेने का आरोप लगाया था.
अदालत ने पिछले साल मार्च में अभियुक्तों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखा धड़ी और नकली दस्तावजों के इस्तेमाल की धाराओं में आरोप पत्र दर्ज किया था. रुंगटा बंधुओं की सजा 31 मार्च को तय की जाएगी. उन्हें सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है.
करोड़ों डॉलर के कोयला घोटाले के सिलसिले में भारत की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई ने 50 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 19 मामले अभी अदालत के सामने चल रहे हैं. इनमें कई सरकारी अधिकारियों और गैरसरकारी कंपनियों के एक्जक्यूटिवों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. 2012 में राष्ट्रीय ऑडिटर ने कहा था कि बिना किसी न्यायोचिक बंटवारा प्रक्रिया के बहुत सी अयोग्य कंपनियों को कोयला निकालने का मूल्यवान लाइसेंस दिया गया था जिससे सरकारी खजाने को 30 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ. उसके बाद कोयला आबंटन कांड में जांच शुरू हुई.
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दो दशकों में विभिन्न सरकारों द्वारा आबंटित कोयला लाइसेंसों को रद्द कर दिया और सरकार से आबंटन की नई प्रक्रिया शुरू करने को कहा. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बहुत सी कोयला खानों को फिर से ऑक्शन किया.
एमजे/आईबी (डीपीए, पीटीआई)
देश के बेहतरीन कोयले वाला झारखंड का झरिया लोगों की यादों से झर चुका है. काले सोने ने झरिया के लोगों का जीवन भी काला कर दिया है.
तस्वीर: Isabell Zipfelझरिया में पिछले एक दशक से कोयले की खदानों में आग लगी हुई है, जिसका खामियाजा पर्यावरण और वहां रह रहे लोगों की सेहत को उठाना पड़ रहा है. जमीन से लगातार धुआं निकल रहा है.
तस्वीर: Isabell Zipfelझरिया में दो सदियों से कोयला निकाला जा रहा है. लेकिन वहां के लोगों की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है. सरकार ने खनन में निवेश तो किया, पर सामाजिक आर्थिक विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया.
तस्वीर: Isabell Zipfelअमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया में कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक है. झारखंड के झरिया में देश का बेहतरीन कोयला मिलता है. काले सोने ने झरिया के लोगों का जीवन भी काला कर दिया है.
तस्वीर: Isabell Zipfelजिस पैमाने पर वहां आग लगी हुई है उसे बुझाने में बहुत वक्त लगेगा और बहुत पैसा भी. पर्यावरण कार्यकर्ता मानते हैं कि आग पर काबू करना सरकार के लिए कोई आसान काम नहीं है.
तस्वीर: Isabell Zipfelपिछले दो दशकों से लोगों को झरिया से हटा कर कहीं और बसाने पर चर्चा चल रही है, ताकि आग पर काबू पाया जा सके. लेकिन सही योजना के अभाव में अब तक कुछ हो नहीं पाया है.
तस्वीर: Isabell Zipfelदामोदर घाटी के इस इलाके में रहने वाले लोगों को कहीं और बसाने के लिए दस हजार रुपये का मुआवजा देने की बात भी चल रही है. लेकिन लोगों को भविष्य की चिंता सता रही है.
तस्वीर: Isabell Zipfelझरिया का लगभग हर बच्चा दमे का शिकार है. इलाके में और उसके आसपास रहने वाले लोगों को सांस की कई तरह की बीमारियां हैं. इसमें फेफडों का कैंसर भी शामिल है.
तस्वीर: Isabell Zipfelकई दशकों से यहां कोयले का अवैध खनन भी हो रहा है जो बहुत खतरनाक है. इसकी कोई गिनती नहीं है कि कोयले के अवैध खनन के कारण झरिया में अब तक कितने लोगों की जान गई है.
तस्वीर: Isabell Zipfelक्या इंसान, क्या जानवर, झरिया में जीवन दूभर है. यहां के लोग पानी के लिए दामोदर नदी पर निर्भर करते हैं. कोयले के अवैध खनन के कारण यहां पानी की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है.
तस्वीर: Isabell Zipfelसरकार ने योजनाएं जरूर बनाई हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ है. झरिया के लोग बस भगवान भरोसे हैं.
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