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भारत में कोरोना: केरल का मॉडल कितना सफल?

तनिका गोडबोले
५ अगस्त २०२०

कोरोना महामारी से निपटने के लिए दक्षिण भारतीय राज्य केरल की देश विदेश में तारीफ हुई है. हालांकि, हाल के दिनों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि ने कोरोना के खिलाफ राज्य सरकार के कदमों पर सवाल उठाए हैं.

Indien Kochi | Coronavirus
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. S. Iyer

दिल्ली की वकील मुकुंद पी उन्नी ने मई में केरल में अपने गृहनगर वापस जाने का फैसला किया. भारत में कोरोना वायरस के कारण कुछ हफ्तों तक हवाई यात्रा को रोके जाने के बाद उसे फिर से शुरू किया गया था. 28 वर्षीय उन्नी ने डीडब्ल्यू से कहा, "जब मैं घर पहुंची, तो एक स्वास्थ्य प्रशासक मुझसे मिलने आया और घर पर आइसोलेशन के नियमों की जानकारी दी. मुझे ये भी बताया कि बीमारी के लक्षण दिखने पर मैं किससे संपर्क कर सकती हूं." उन्होंने कहा, "एक मानसिक काउंसलर ने भी मुझसे संपर्क किया. मैंने यहां खुद को बहुत सुरक्षित महसूस किया."

केरल में जनवरी में कोविड-19 के पहले तीन मामले दर्ज किए गए. राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बाद में संपर्कों का पता लगाया और उन 3,000 से अधिक लोगों को अलग थलग कर दिया जो रोगियों के संपर्क में आए थे. वे चीन के वुहान शहर से लौटे छात्र थे जहां महामारी शुरू हुई थी. शुरू में, ऐसा लग रहा था कि केरल में कोविड-19 पूरे नियंत्रण में था. ऐसे कई दिन आए जब राज्य की कम्युनिस्ट सरकार ने बताया कि नए मामलों की संख्य़ा शून्य है. यह भारत के बाकी हिस्सों के विपरीत था, जहां मामले तेजी से बढ़ रहे थे. संक्रमण की कुल संख्या के मामले में भारत अब केवल अमेरिका और ब्राजील से पीछे दुनिया का तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है.

जब यह साफ हुआ कि केरल वायरस के फैलाव को रोकने में कामयाब रहा है, तो राज्य की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रशंसा हुई. महामारी के बाद की दुनिया पर "केरल संवाद" शीर्षक वाली एक चर्चा श्रृंखला में, नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने राज्य की सफलता के लिए शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने को जिम्मेदार ठहराया.

मास्क पहनते और सोशल डिस्टेंस रखते केरलवासी तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. S. Iyer

मामलों में उछाल

जुलाई में केरल में कोविड-19 मामलों ने जुलाई में उछाल शुरू हुआ. शुरू में इसके लिए भारत और विदेशों से श्रमिकों की वापसी को जिम्मेदार ठहराया गया, विशेष रूप से खाड़ी राज्यों में निर्माण परियोजनाओं पर काम करने वाले मजदूरों की वापसी को. फिर केरल में सामुदायिक संक्रमण का पता चला. राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि राजधानी तिरुवनंतपुरम के पास दो तटीय गांवों में जो संक्रमण हुआ था, वह बाहर से आए लोगों के कारण नहीं था. केरल अब क्षेत्रीय लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रहा है. अधिकारी मास्क लगाने और शारीरिक दूरी रखने जैसे उपायों पर जोर दे रहे हैं.

जब ये पता चला कि 70 लोगों का संक्रमण शादियों और अंतिम संस्कार में शामिल होने के कारण हुआ है, सरकार ने किसी भी आयोजन में भाग लेने वाले मेहमानों की संख्या को 20 तक सीमित रखने के निर्देश जारी किए. 28 जुलाई को, केरल ने 1,167 मामलों के साथ एक दिन में अब तक के सबसे ज्यादा संकमण की रिपोर्ट दी. राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 21,000 से पार चली गई. स्वास्थ्य शोधकर्ता अनंत भान ने एपी समाचार एजेंसी को बताया, "भारत कई ऊंचाइयों का अनुभव करेगा." येनपोया मेडिकल कॉलेज मंगलुरु के प्रोफेसर ने कहा कि भारत को परीक्षण बढ़ाने की जरूरत है.

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और अधिक परीक्षण

केरल के अधिकारियों का कहना है कि उनके सक्रिय सार्वजनिक सूचना अभियानों और रोकथाम के उपायों ने मामले की संख्या को कम रखने में मदद दी है. केरल में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी रिसर्च के एक अर्थशास्त्री रीजो एम जॉन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि टेस्ट के बाद राज्य की 4.6% की पॉजिटिव परीक्षण दर भारत के औसत 11.7% की तुलना में बहुत बेहतर है. ये आंकड़े इसलिए भी जरूरी है कि पता लगे कि क्या अधिकारी पर्याप्त रूप से परीक्षण कर रहे हैं. उच्च कोरोना पॉजिटिव दर वाले देश या राज्यों के संक्रमण का पता लगाने के लिए पर्याप्त परीक्षण करने की संभावना नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टेस्ट के बाद 3-12% की सकारात्मक दर को बेंचमार्क बताया है.

केरल में लगभग 0.30% की मृत्यु दर है जो देश में सबसे कम है. हालांकि, रीजो जॉन का कहना है कि केरल में और अधिक परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि संक्रमण बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "यह भी अशुभ है कि अब 10 से 11 दिनों में संक्रमण के मामले दोगुने हो रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 18 से 20 दिन है." पश्चिम बंगाल और असम के अलावा केरल उन तीन भारतीय राज्यों में एक है, जिन्होंने आधिकारिक तौर पर सामुदायिक संक्रमण की घोषणा की है. केंद्र सरकार अभी भी कह रही है कि देश में कोरोना का सामुदायिक प्रसार नहीं हो रहा है.

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