भारत सरकार ने कोविड-19 के खिलाफ दो वैक्सीनों को मंजूरी दी है लेकिन उसके पीछे की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं. जानकारों का कहना है कि बिना वैक्सीनों की उपयोगिता का डाटा सार्वजनिक किए मंजूरी देना संदेह पैदा करता है.
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भारत सरकार ने अभी तक पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका की वैक्सीन और हैदराबाद स्थित भारत-बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी है. सीरम की वैक्सीन का नाम कोविशील्ड है और भारत बायोटेक की वैक्सीन का नाम कोवैक्सीन है. जानकारों का कहना है कि दोनों टीकों की उपयोगिता को लेकर जितनी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए थी, उतनी नहीं की गई है.
किसी भी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के डाटा को महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें कुछ लोगों को वैक्सीन दी जाती है और कुछ को नहीं और फिर दोनों समूहों में बीमारी के फैलने की दर की तुलना की जाती और इस जानकारी को सार्वजनिक किया जाता है. सीरम की दवा अंतरराष्ट्रीय है और उसने ब्रिटेन और ब्राजील में हुए तीसरे चरण के ट्रायल का डाटा तो जारी किया है, लेकिन भारत में हुए ट्रायल का डाटा सार्वजनिक नहीं किया है.
सीरम ने भारत में 1,600 लोगों पर वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किया था लेकिन इस ट्रायल के क्या नतीजे सामने आए यह जानकारी इंस्टीट्यूट ने नहीं दी है. इससे भी बड़े सवाल कोवैक्सीन को लेकर उठ रहे हैं. जानकारों का कहना है कि भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को अभी पूरा तक नहीं किया है. बल्कि अभी तक इस ट्रायल के लिए वॉलंटियरों की भर्ती ही चल रही है.
जानकार पूछ रहे हैं कि ऐसे में इस वैक्सीन को जल्दबाजी में अनुमति क्यों दी गई है. जानी मानी वैक्सीन वैज्ञानिक डॉक्टर गगनदीप कांग ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि नियामक संस्था ड्रग कंट्रोलर जनरल ने बहुत स्पष्ट दिशा निर्देश दिए थे कि इस तरह की जानकारी देना आवश्यक है, लेकिन इसके बावजूद कोवैक्सीन के बारे में आवश्यक डाटा अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ है.
हालांकि कोवैक्सीन को लेकर सरकार ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि इसे अनुमति एक बैकअप के तौर पर दी गई है और इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा अगर ऑक्सफोर्ड के टीके की खुराकें कम पड़ जाएंगी या अगर संक्रमण के मामले अचानक बढ़ने लगेंगे. सरकार ने यह भी बताया है कि तब तक कोवैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल मोड पर रहेगी.
जानकारों का कहना है कि इतना काफी नहीं है क्योंकि अगर वैक्सीनों की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठते हैं तो इससे महामारी के खिलाफ लड़ाई को तो नुक्सान पहुंचेगा ही, यह भारत की छवि और इन कंपनियों की साख के लिए भी अच्छा नहीं होगा.
किन किन देशों में लग रहा है कोरोना का टीका?
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कई देशों ने टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है. उम्मीद है कि टीकाकरण अभियान दुनिया को महामारी से मुक्ति दिलाएगा.
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मेक्सिको
मेक्सिको में सेना टीकाकरण अभियान की कमान संभाल रही है. मेक्सिको ने बायोनटेक-फाइजर की 1,25,000 डोज खरीदी हैं. शुरुआती चरण में वैक्सीन सिर्फ राजधानी मेक्सिको सिटी और दक्षिणी राज्य कोआइला के मेडिकल स्टाफ को दी जा रही है.
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इस्राएल
इस्राएल ने 20 दिसंबर को टीकाकरण अभियान शुरू किया. पहले दिन स्वास्थ्य कर्मचारियों, प्रधानमंत्री और सैनिकों को टीका लगाया गया. एक दिन बाद 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को बायोनटेक-फाइजर का टीका दिया गया. 88 लाख की आबादी वाले इस्राएल ने जनवरी के अंत तक 20 लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा है.
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अमेरिका
अमेरिका ने बायोनटेक-फाइजर और मॉर्डेना की कोरोना वैक्सीनों को मंजूरी दी है. अमेरिका में 14 दिसंबर से टीका लगाया जा रहा है. नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी टीका लगवाया और टीकाकरण की तैयारियों के लिए वर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की तारीफ भी की.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन टीकाकरण शुरू करने वाला पहला यूरोपीय देश है. वहां सात दिसंबर 2020 से बायोनटेक-फाइजर का टीका लगाया जा रहा है. पहले चरण में चार लाख लोगों को टीका लगाया जाना है. हेल्थ वर्कर्स और 80 साल साल से ज्यादा उम्र के लोग प्राथमिकता सूची में हैं. लेकिन इस बीच ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट भी सामने आया है.
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कनाडा
कनाडा के हेल्थ रेग्युलेटर ने दिसंबर की शुरुआत में बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन को आपातकालीन मंजूरी दी. दिसंबर में कनाडा को 2,49,000 डोज मिलनी हैं. कनाडा में सबसे पहले टीका स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े स्टाफ को दिया जा रहा है.
तस्वीर: Adrian Wyld/REUTERS
रूस
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दिसंबर की शुरुआत में टीकाकरण अभियान शुरू करने का एलान किया था. अब रूस में डॉक्टरों, टीचरों और सोशल वर्करों को रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 का टीका दिया जा रहा है. राजधानी मॉस्को में आम क्लीनिक भी टीका ऑफर कर रहे हैं.
बहरीन अरब जगत में टीकाकरण अभियान शुरू करने वाला पहला देश है. वहां बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन दी जा रही है. टीका लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया है. बहरीन चीनी वैक्सीन भी इस्तेमाल करेगा.
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स्विटजरलैंड
दो महीने लंबी समीक्षा के बाद 19 दिसंबर को स्विटजरलैंड में भी बायोनटेक-फाइजर के टीके को मंजूरी दे दी गई. पहले चरण में हेल्थ और इमरजेंसी स्टाफ के साथ उम्रदराज लोगों को टीका लगाया जा रहा है. 85 लाख आबादी वाला स्विटजरलैंड तीन अलग अलग कंपनियों से 1.58 करोड़ डोज खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट कर चुका है.
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चीन
चीन ने 18 दिसंबर को एलान किया कि वह जोखिम वाले ग्रुप में शामिल पांच करोड़ लोगों को टीका लगाएगा. पहले चरण में 15 जनवरी तक ढाई करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा. चीन ने खुद अपनी वैक्सीन तैयार की है. चीन की वैक्सीन पाकिस्तान और यूएई में भी टेस्ट की जा रही है.