करीब चार लाख लोगों को टीका लगने के बाद भारत बायोटेक ने कहा है कि टीका बीमार लोगों और गर्भवती महिलाओं को नहीं लगाया जाना चाहिए. सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे में इस टीके को टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल रखना कितना सही है.
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केंद्र सरकार ने सोमवार 18 जनवरी को बताया कि टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक 3,81,305 लोगों को टीका लग चुका है. हालांकि सरकार यह जानकारी नहीं दे रही है कि कितनों को सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड लगाई गई है और कितनों को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, लेकिन केंद्र सरकार के अस्पतालों में सिर्फ कोवैक्सिन ही लगाई जा रही है. लाखों लोगों को टीका लग जाने के बाद सोमवार को भारत बायोटेक ने कहा कि उसका टीका सबके लिए नहीं है.
कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर एक 'फैक्ट-शीट' जारी की जिसमें बताया गया है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोवैक्सिन नहीं लेनी चाहिए. इसके अलावा जिन्हें कोई अलर्जी हो, बुखार हो, खून बहने से संबंधित कोई बीमारी हो, जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो और इनके अलावा और कोई स्वास्थ्य संबंधी गंभीर शिकायत हो उन्हें कोवैक्सिन नहीं दी जानी चाहिए.
कंपनी के इस बयान को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह जानकारी टीकाकरण शुरू करने से पहले सरकार के पास थी और क्या कोवैक्सिन देने के लिए अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को चुनते समय इन बिंदुओं का ख्याल रखा गया था? सरकार ने अभी इस विषय में कुछ नहीं कहा है. सरकार ने बस इतना कहा है कि इनमें से सिर्फ 580 लोगों में कुछ दुष्प्रभाव देखे गए, लेकिन कोई भी मामला गंभीर नहीं है.
सात लोग अस्पताल में भर्ती हैं. टीका लगने के बाद दो लोगों की मौत भी हो गई, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उनकी मौत का टीके से कोई संबंध नहीं है. लेकिन टीकाकरण अभियान की रफ्तार अब धीमी पड़ रही है. देश के कई हिस्सों में कर्मचारी उतनी संख्या में टीकाकरण केंद्रों में नहीं आ रहे हैं जितनी अधिकारियों को उम्मीद थी.
मीडिया में आई कुछ खबरों के अनुसार दिल्ली के 81 केंद्रों पर सोमवार को तय लाभार्थियों में से सिर्फ 44 प्रतिशत लोग आए. लोक नायक अस्पताल में कार्यक्रम में तीन घंटों की देर हुई क्योंकि वहां सिर्फ दो लाभार्थी टीका लेने आए. एम्स दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर्स संगठन के पूर्व अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने दावा किया है कि एम्स में भी सिर्फ आठ लाभार्थी कोवैक्सिन लेने आए जबकि तय था 100 लोगों का आना.
मांग उठ रही है कि सरकार जल्द इन आशंकाओं को संबोधित करे और इस बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से दे.
वैक्सीन को मंजूरी और कंपनियों के बीच "जुबानी जंग"!
भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने 3 जनवरी 2021 को दो टीकों के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. भारत में बनी कोवैक्सीन और कोविशील्ड को मंजूरी के साथ ही कंपनियों के बीच बयानबाजी शुरू हो गई.
3 जनवरी को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. इसी के साथ ही भारत एक साथ दो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर देश में तैयार किया है. वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है और इसको भारत बायोटेक ने तैयार किया है.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
वैक्सीन पर बयानबाजी
भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला ने कहा है कि वैक्सीन पर राजनीति हो रही है और ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा है. उन्होंने दावा किया कि कौवैक्सीन 200 फीसदी तक सुरक्षित है.
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"पानी जैसी वैक्सीन"
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था अब तक सिर्फ तीन ही वैक्सीन की प्रभावशीलता साबित हुई है. उन्होंने कहा था फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एक्स्ट्राजेनेका ही प्रभावशाली है बाकी सभी वैक्सीन सिर्फ "पानी की तरह सुरक्षित" हैं.
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कोवैक्सीन का बचाव
भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला का कहना है कि कंपनी के पास वैक्सीन बनाने का अनुभव है और लोग ट्रायल पर सवाल ना उठाएं. उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "हम सिर्फ भारत में ही क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर रहे हैं. हमने ब्रिटेन समेत 12 से ज्यादा देशों में ट्रायल किए हैं."
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क्यों उठ रहे हैं सवाल?
कोवैक्सीन पर हेल्थ एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल मध्य नवंबर तक शुरू नहीं हुआ था. जानकारों का कहना है कि कोविड वैक्सीन शॉट्स को लेकर डाटा का अध्ययन करना और उसे नियामक के पास जमा करना नामुमकिन है. भारत बायोटेक ने अपने बयान में कहा है कि उसने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए अब तक 23,000 प्रतिभागियों का सफलतापूर्वक पंजीकरण कर लिया है.
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कोवैक्सीन बैकअप!
भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है. भारत बायोटेक का कहना है कि टीका सुरक्षित और प्रभावी है. वहीं एम्स दिल्ली के निदेशक के मुताबिक कोवैक्सीन के टीके का इस्तेमाल बैकअप के रूप में हो सकता है. इसपर एल्ला कहते हैं, "यह एक वैक्सीन है, ना कि बैकअप, लोगों को इस तरह के बयान से पहले सोच लेना चाहिए." उन्होंने एम्स के निदेशक का नाम नहीं लिया.
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"मिलकर करेंगे काम"
भारत की वैक्सीन कंपनियों ने विवाद के बाद 5 जनवरी को एक साझा बयान जारी कर कहा है कि वे देश और दुनिया तक वैक्सीन पहुंचाने का प्रण लेती हैं. बयान में कहा गया, "हमारे सामने अधिक महत्वपूर्ण काम देश और दुनिया की आबादी और आजीविका को बचाना है."
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सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू करने की तैयारी में जुटा है. टीकाकरण को लेकर पिछले दिनों ड्राई रन भी किया गया था. टीकाकरण के पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों समेत कोरोना महामारी से अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे लोगों और मृत्यु दर के उच्च जोखिम वाले लोगों का टीकाकरण होना है.