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भारत में गरीबी घटीः वाह रे आंकड़े

२० मार्च २०१२

भारत में अजीबोगरीब आंकड़ों के सहारे दावा किया गया है कि देश में गरीबों की संख्या 30 फीसदी से भी कम हो गई है. लेकिन योजना आयोग ने इसके लिए जो मानक तय किया है, वह है प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 रुपये प्रति दिन की खपत.

तस्वीर: AP

वित्त मंत्रालय ने अभी हाल में स्वीकार किया था कि विकास की दर इस साल सात प्रतिशत नहीं छू पाई है और महंगाई का बढ़ना भी लगातार जारी है. इसके बावजूद सरकार का दावा है कि देश में गरीबी कम हुई है. भारत के योजना आयोग ने कहा है कि गरीबी रेखा शहरी इलाके में प्रति व्यक्ति खपत 28.65 रुपये और ग्रामीण इलाके में 22.42 रुपये है. इन आंकड़ों के हिसाब से भारत में गरीबी 30 प्रतिशत से कम हो गई है, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2009-10 में 70.2 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से ऊपर चले गए और सिर्फ 29.8 फीसदी लोग गरीब थे. इसका दूसरा पक्ष यह है कि अभी भी भारत में 30 फीसदी यानी लगभग 36 करोड़ भारतीय अपने ऊपर हर दिन 28 रुपये भी खर्च नहीं कर सकते. जाहिर है कि सामाजिक संगठन इस मुद्दे पर बवाल करने वाले हैं.

योजना आयोग का जो विवादित फॉर्मूला है, उसके मुताबिक शहरी इलाके में अपने ऊपर प्रति महीने 859.6 रुपये और ग्रामीण इलाके में 672.8 रुपये खर्च करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा में नहीं आता. यह आंकड़ा पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दिए गए आंकड़े से भी कम है. पिछले साल सरकार ने हलफनामा देकर अदालत को कहा था कि जो व्यक्ति 32 रुपये प्रति दिन कमाता है, उसे गरीब नहीं माना जाता है.

कैसा है फॉर्मूला

समाजसेवी संगठनों ने सरकार पर सवाल उठाया था और पूछा था कि यह किस फॉर्मूले से तय किया गया है. इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए तेंदुलकर समिति ने जो फॉर्मूला दिया है, उसके मुताबिक भारत में पिछले छह साल में लगभग छह करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल गए हैं. इस समिति में प्रति व्यक्ति कैलोरी के हिसाब के अलावा सेहत और शिक्षा पर खर्च को भी जोड़ा गया है.

तस्वीर: AP

इन आंकड़ों को समझने के लिए अगर एक मामूली मिसाल ली जाए तो सरकार जिन शहरी इलाकों की बात करती है, उसी के एक शहर दिल्ली के परिवहन किराए की चर्चा की जा सकती है. सबसे सस्ते साधन मेट्रो में औसत दूरी तय करने के लिए 15 रुपये किराया लगता है. यानी अगर कोई कामगार घर से काम के लिए दूसरी जगह जाता है, तो उसे 30 रुपये किराए के तौर पर खर्च करना होगा. और सरकार का दावा है कि खुद पर 28 रुपये की खपत कर लेने वाला गरीब नहीं है.

मजेदार बात यह कि आंकड़ों के साथ भारत की महंगाई दर के ताजा आंकड़े भी आ गए. इसके मुताबिक रिटेल सेक्टर में महंगाई 8.83 प्रतिशत बढ़ गई. दूध, अंडे, मीट और मछली की कीमत बढ़ गई. जनवरी में रिटेल महंगाई की दर 7.56 प्रतिशत थी.

पूरी दुनिया भारत के विकास की तुलना चीन से करती है. अब इन दोनों देशों में तुलना की जा सकती है. चीन में प्रति व्यक्ति औसत आय 4720 डॉलर है, करीब ढाई लाख रुपये. भारत में यह 911 डॉलर है (करीब 45,000 रुपये). जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है, चीन की इकोनॉमी 5745 अरब डॉलर की है और 196 अरब डॉलर के निर्यात फायदे में है. भारत की इकोनॉमी एक चौथाई करीब 1430 अरब डॉलर की है और इसका व्यापार घाटा 90 अरब डॉलर है. यानी मौद्रिक और आर्थिक नजरिए से भारत कहीं भी चीन के आस पास नहीं टिकता.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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