इस फोन की कीमत 100 डॉलर यानि केवल 6,000 रुपये के अंदर होगी. एंड्रॉयड पर आधारित इस फोन की स्क्रीन बड़ी, पांच इंच से थोड़ी कम होगी. फोन में एफएम, दो सिम और एसडी कार्ड जैसी सुविधाएं भी होंगी. बाजार में स्मार्टफोन की बढ़ रही मांग को देखते हुए गूगल ने यह अहम घोषणा की है. कंपनी का कहना है कि उनका मकसद है भारत के कोने कोने तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचाना.
गूगल के वरिष्ठ उपनिदेशक सुंदर पिचाई ने बताया कि गूगल इसे सारी दुनिया की बाजारों में लाने की तैयारी में है, लेकिन इसकी शुरुआत भारत से इस साल के अंत तक होगी. सैन फ्रांसिस्को में हुई सालाना दो दिवसीय डेवलपर कॉन्फ्रेंस में कंपनी ने यह घोषणा की. साथ ही दावा किया कि इस समय दुनिया भर में करीब एक अरब लोग एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल कर रहे हैं.
स्मार्टफोन ने लोगों का जीवन बदल कर रख दिया है. अब हर छोटी बड़ी चीजों में स्मार्टफोनों की मदद ली जा रही है. आईए नजर डालते हैं कुछ अहम ऐप पर.
तस्वीर: Mobisante/Sailesh Chutaniअगर रास्ते में किसी को पैसे देने पड़ जाएं, तो फिर यह आईसेटेल तो बड़े काम का साबित हो सकता है. इस ऐप की मदद से क्रेडिट कार्ड पेमेंट किया जा सकता है. हालांकि इसके लिए फोन में एक उपकरण और जोड़ना पड़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaभला भाषा सिखाने के लिए ऐप क्यों न हो. जर्मन भाषा यूं तो मुश्किल मानी जाती है लेकिन अगर इस ऐप की मदद ली जाए, तो शायद आसानी हो सकती है.
ऐसी तकनीक तैयार कर ली गई है, जिसे आईफोन से जोड़ दिया जाए, तो अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है. आम तौर पर अल्ट्रासाउंड की मशीनें एक लाख डॉलर तक में मिलती हैं और यह छोटा अल्ट्रासाउंड सिर्फ 8000 डॉलर में लिया जा सकता है. अलबत्ता इसमें तस्वीरें बहुत अच्छी नहीं आतीं.
तस्वीर: Mobisante/Sailesh Chutaniअमेरिका में ताजा रिसर्च बताती है कि दुनिया भर के लोग अब मोबाइल फोन से अपनी सेहत का ख्याल रखने लगे हैं. हालांकि उनकी संख्या फिलहाल बहुत कम है लेकिन 2015 तक दुनिया भर के 30 फीसदी लोग मोबाइल फोन से सेहत के राज समझने में मदद लेने लगेंगे.
तस्वीर: Messe Düsseldorf/ctillmannआपका मोबाइल ऐसे ऐप से सज सकता है, जो आपको बताता रहेगा कि हफ्ते में किस दिन आपने कसरत की, कितनी कैलोरी बढ़ाया या घटाया. यानी आपकी सेहत पर रहेगी फोन की नजर.
तस्वीर: Nike Fuelbandदिल्ली बलात्कार कांड के बाद भारत में निर्भया ऐप तैयार किया गया है, जिसमें जरूरतमंद औरतें फोन कर सकती हैं और हेल्पलाइन से मदद ले सकती हैं.
तस्वीर: Nirbhayaसिर्फ जिस्म ही नहीं, जेब की सेहत के लिए भी ऐप तैयार हैं. पेट्रोल की घटती बढ़ती कीमतों को बताने के लिए खास ऐप बाजार में आ चुका है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaदेखने से लाचार लोगों के लिए भी तकनीक की मदद ली जा सकती है. नीयर फील्ड कम्युनिकेशन के बनाए गए ऐप की मदद से ऑडियो और टेक्स्ट को सुना जा सकता है.
तस्वीर: DW/M. Grosserऔर ये कुछ जरूरी ऐप. हर स्मार्टफोन में इस तरह के सोशल मीडिया ऐप तो भरे ही रहते हैं, जिनसे दूर रहना आजकल संभव नहीं.
अगर संगीत में रुचि है, तो यह ऐप बड़ा कारगर है. अपना संगीत खुद तैयार करने के लिए एक शानदार ऐप.
तस्वीर: Palm Products GmbHकहीं जाना हो या पता करना हो कि फलां जगह जाने में कितने पैसे लगेंगे, तो फिर इस्तेमाल कीजिए टैक्सी का ऐप. दुनिया के कई शहरों में इस तरह का ऐप इस्तेमाल में आ रहा है.
तस्वीर: Robin Powell
उन्होंने बताया कि गूगल पहले से ही भारत में कई ऐसी योजनाओं पर काम कर रहा है जिनसे लोगों को स्मार्टफोन पर सस्ता इंटरनेट मुहैया कराया जा सकेगा. गूगल एंड्रॉयड वन को माइक्रोमैक्स, कार्बन और स्पाइस के साथ मिलकर बनाएगी. पचाई ने कहा, "अरबों लोग हैं जिनके पास स्मार्टफोन रखने की सुविधा नहीं है. हम इसे बदलना चाहते हैं."
आईटी रिसर्च कंपनी गार्टनर के निदेशक ब्रायन ब्लाउ भी मानते हैं कि कम कीमत वाले उत्पादों के बढ़ रहे बाजार को देखते हुए गूगल को ऐसा कुछ करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "हालांकि इस क्षेत्र में जगह बनाना मुश्किल होगा, अरबों लोगों को इंटरनेट पर लाना लंबा रास्ता तय करने जैसा है."
इस बारे में पिचाई ने कहा, "हम इस बात के कयास लगाते आ रहे हैं कि कैसा होगा अगर हर किसी के पास इंटरनेट की सुविधा और दुनिया भर की जानकारी होगी. अब यह देखने का समय आ गया है."
स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के लिए विकासशील देशों की खास अहमियत है. हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों के लिए एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर के मुफ्त होने से भी गूगल को फायदा मिला है. एंड्रॉयड सस्ते फोनों पर भी लोगों के बीच खासा लोकप्रिय हो चुका है.
एसएफ/आईबी (एएफपी)