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समाज

फर्जी खबरों की बाढ़ से परेशान है सरकार

प्रभाकर मणि तिवारी
५ मार्च २०१९

अब तक इस बात पर कयास ही लगाए जा रहे थे. लेकिन अब माइक्रोसॉफ्ट के एक सर्वेक्षण ने इसकी पुष्टि कर दी है कि फर्जी खबरों यानी फेक न्यूज के मामले में भारत अव्वल है.

Symbolbild Fake News
तस्वीर: Imago/ZumaPress

हाल में सर्जिकल स्ट्राइक और वायुसेना का पायलट अभिनंदन के मुद्दे पर पर भी सोशल मीडिया में फेक न्यूज का बाजार काफी गर्म रहा. बच्चा चोरी की अफवाहों की वजह से बीते एक साल में देश में कम से कम 40 लोगों की भीड़ की पिटाई से मौत हो चुकी है. पश्चिम बंगाल में इसी महीने ऐसी एक घटना में एक युवक की मौत हो गई. इसके अलावा अलग-अलग हादसों में कम से कम आधा दर्जन लोग घायल हो चुके हैं. अब लोकसभा चुनावों से पहले महामारी की शक्ल लेते फेक न्यूज पर अंकुश लगाना एक बड़ी चुनौती है. इस समस्या के चलते ही व्हाट्सएप ने बीते दिनों मैसेज फारवर्डिंग की अधिकतम सीमा पांच तय कर दी थी.

सर्वेक्षण की रिपोर्ट

माइक्रोसॉफ्ट की सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं को फर्जी खबरों का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है. देश में फर्जी खबरों का प्रसार वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है. कंपनी की ओर से दुनिया के 22 देशों में किए गए सर्वेक्षण के बाद तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि 64 फीसदी भारतीयों को फर्जी खबरों का सामना करना पड़ रहा है. वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 57 फीसदी का है. माइक्रोसॉफ्ट ने एक बयान में कहा है कि भारत इंटरनेट पर फेक न्यूज के मामले में वैश्विक औसत से कहीं आगे है. सर्वे में शामिल 54 फीसदी लोगों ने इसकी सूचना दी. इसके अलावा 42 फीसदी ने कहा कि उन्हें फिशिंग जैसी वारदातों से भी जूझना पड़ा है. फर्जी खभरों के प्रचार-प्रसार में परिवार या दोस्तों की भी अहम भूमिका होती है. ऐसा करने वालों का आंकड़ा 9 फीसदी बढ़कर 29 फीसदी तक पहुंच गया है.

बीते दिनों भारत-पाक के बीच बढ़े तनाव और उस दौरान सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों की बाढ़ के बाद सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में अदालत से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल नीडिया पर फेक न्यूज के प्रचार-प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश तय करने की अपील की गई है. अनुजा कपूर की ओर से दायर उक्त याचिका में कहा गया है कि फर्जी खबरों की बाढ़ ने सोशल मीडिया को युद्ध का मैदान बना दिया था.

सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का अंबारतस्वीर: DW/Vladdo

बढ़ते उपभोक्ता

भारत इंटरनेट व स्मार्टफोनों के सबसे बड़े बाजार के तौर पर विकसित हो रहा है. अमेरिकी कंपनी सिस्को के मुताबिक, वर्ष 2021 तक देश में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों की तादाद दोगुनी होकर 82.9 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है. इसके साथ ही कंपनी ने वर्ष 2022 तक भारत में डाटा की खपत भी पांच गुनी बढ़ने की बात कही है. मोटे आंकड़ों के मुताबिक भारत में फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की तादाद 30 करोड़ है जबकि व्हाट्सएप के मामले में यह तादाद 20 करोड़ है. इन दोनों के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है. ट्विटर के उपभोक्ताओं की तादाद भी बढ़ कर तीन करोड़ से ज्यादा हो गई है. बीते दिनों यहां एक संसदीय समिति के समक्ष पेश होने वाले ट्विटर के ग्लोबल वाइस प्रेसीडेंट (पब्लिक पालिसी) कोलिन क्रोवेल ने कहा था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है. ऐसे में ट्विटर के लिए इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव काफी अहम होंगे. उनका कहना था कि कंपनी अपनी सेवाओं का दुरुपयोग रोकने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है.

लोकसभा चुनाव व सोशल मीडिया

आगामी लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों की बाढ़ पर अंकुश लगाने के लिए चुनाव आयोग ने फेसबुक, ट्विटर और गूगल से बातचीत की है. सरकार ने इन कंपनियों से चुनावों के दौरान पोस्ट किए जाने वाले तमाम राजनीतिक कंटेट पर नजर रखने और फेक न्यूज को बढ़ावा देने वाले पोस्ट को 24 घंटे के भीतर हटाने को कहा है. हाल में इन कंपनियों के प्रतिनिधियों की चुनाव आयोग के साथ एक बैठक हुई थी. बैठक में चुनाव आयोग ने इन कंपनियों को इस बात का ध्यान रखने का निर्देश दिया कि चुनाव प्रचार खत्म होने से लेकर मतदान तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई भी पार्टी किसी भी तरह का कोई राजनीतिक प्रचार नहीं कर सके.

चुनाव आयोग ने कहा कि वोटिंग से पहले राजनीतिक प्रचार पर रोक लगने के बाद भी राजनीतिक दल सोशल मीडिया को पैसे देकर प्रचार करने का प्रयास कर सकते हैं. ऐसे मामलों पर निगाह रखनी होगी. इन कंपनियों ने आयोग को चुनावों के दौरान भड़काऊ और नकारात्मक राजनीतिक प्रचार से जुड़ी खबरों को तत्काल हटाने का भरोसा दिया है. चुनाव आयोग ने कहा कि तमाम राजनीतिक दल अपने प्रचार के लिए बड़े पैमाने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि आसानी से लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें.

विशेषज्ञों में इस बात पर आम राय है कि अबकी लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका बेहद अहम होगी. उनका कहना है कि भारत इंटरनेट के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. यहां सोशल मीडिया अब दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच रहा है. ऐसे में इस पर फर्जी खबरों के प्रचार-प्रसार पर रोक की दिशा में ठोस उपाय जरूरी है. मुंबई स्थित डिजिटल कंपनी माइंडशिफ्ट इंटरेक्टिव के चीफ क्रिएटिव आफिसर रेंडल गोम्स कहते हैं, "भारत में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. इससे लोगों में किसी खास पार्टी या नेता की नकारात्मक छवि गढ़ना आसीन हो गया है.” सोशल व आनलाइन मीडिया एनालिटिक्स कंपनी मेल्टवाटर इंडिया के प्रबंध निदेशक नितिन भाटिया कहते हैं, "सोशल मीडिया की पहुंच को ध्यान में रखते हुए लोकसभा चुनावों से पहले भारत सरकार की ओर से एहतियाती उपाय जरूरी हैं.”

 

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