भारत में चीन से कम हुआ भ्रष्टाचार
२९ जनवरी २०१९गैर लाभकारी एनजीओ ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 2018 की करप्शन परसेप्सन इंडेक्स रिपोर्ट जारी की है. भारत, अर्जेंटीना, आइवरी कोस्ट और गुयाना जैसे देशों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है. 2018 की रिपोर्ट में भारत को 41 अंक के साथ 78वें पायदान पर रखा गया है. 2017 के इंडेक्स में भारत के 40 अंक थे और देश 81वें नबंर पर था. बीते 10 साल में यह पहला मौका है जब भारत इस जगह पहुंचा है. वैसे 2008 से लेकर अब तक भारत का प्रदर्शन धीमे धीमे, लेकिन बेहतर हुआ है.
इन कुछ प्रगतियों के अलावा ज्यादातर रिपोर्ट निराश करने वाली है. 2017 की इंडेक्स में भारत से ऊपर रहने वाला चीन 2018 में फिसलकर 87वें स्थान पर पहुंचा है. पिछले साल चीन 79वें नंबर पर था. साथ ही सबसे कम भ्रष्ट देशों के अंक भी 2018 की रिपोर्ट में गिरे हैं.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की मैनेजिंग डायरेक्टर पैट्रिशिया मोरेइरा ने इस मौके पर कहा, "दुनिया भर में कई लोकतांत्रिक संस्थान खतरे में हैं- ज्यादातर मौकों पर अधिकारवादी नेताओं की वजह से या फिर बहुलतावादी रूझानों के चलते- ऐसे में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमें निगरानी और संतुलन को मजबूत करने की ज्यादा कोशिशें करनी चाहिए."
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की वार्षिक रिपोर्ट सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार के प्रति लोगों के नजरिए को दर्शाती है. इंडेक्स में देशों को शून्य से 100 के बीच अंक दिए जाते हैं. अंक जितने कम होंगे, भ्रष्टाचार उतना ज्यादा होगा. 100 अंकों का मतलब है कि भ्रष्टाचार से मुक्त देश.
बीते काफी समय से डेनमार्क और न्यूजीलैंड सबसे कम भ्रष्ट देशों की सूची में सबसे ऊपर बने हुए हैं. 2018 भी इसका अपवाद नहीं. 88 अंकों के साथ डेनमार्क पहले स्थान पर है और 87 अंकों वाला न्यूजीलैंड दूसरे नंबर पर. फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, कनाडा, लक्जमबर्ग, जर्मनी और ब्रिटेन भी इसी क्रम में टॉप 10 में शामिल हैं. तुर्की और हंगरी जैसे लोकतांत्रिक देशों के खराब प्रदर्शन को लेकर चिंता भी जताई जा रही है. साथ ही अमेरिका और ब्राजील की स्थिति भी खराब हुई है. यह पहला मौका है जब भ्रष्टाचार इंडेक्स में अमेरिका सबसे खराब स्कोर के साथ खड़ा है. वह टॉप-20 में भी नहीं है.
कैसे तैयार किया जाता है इंडेक्स
करप्शन परसेप्शन इंडेक्स तैयार करने के लिए 13 अलग सर्वेक्षणों का सहारा लिया जाता है. सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार के प्रति लोगों के नजरिए का डाटा एक साथ जमा किया जाता है. तीन अलग अलग स्रोतों की जानकारी का इस्तेमाल कर हर देश को अंक दिए जाते हैं. आम तौर पर विशेषज्ञों और कारोबारी मैनेजरों के बीच प्राथमिक सर्वे किया जाता है.
डाटा जिन 13 स्रोतों से आते हैं, उनमें अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक, द बेर्टेल्समन फाउंडेशन, द इकोनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट, फ्रीडम हाउस, ग्लोबल इनसाइट, द इंटनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलमेंट, द पॉलिटिकल एंड इकोनोमिक रिस्क कंसल्टेंसी, पीआरएस ग्रुप, वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम, वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट और वैराइटीज ऑफ डेमक्रैसी शामिल हैं.
हालांकि करप्शन परसेप्शन इंडेक्स को तैयार करने के तरीकों की आलोचना भी होती रही है. 2016 में वैज्ञानिक डैन हग ने अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट में लिखा कि भ्रष्टाचार के प्रति नजरिए में और भ्रष्टाचार के उदाहरणों का दस्तावेज तैयार करने में फर्क है. हग के मुताबिक ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की इंडेक्स संघर्षशील इलाकों के बारे में नकारात्मक पूर्वाग्रहों को मजबूत करता है.
भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कैसे कदम
निराशजनक नतीजों के बावजूद रिपोर्ट में भ्रष्टाचार कम करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं. सरकारों से इन अपील की गई है कि अगर वे इन चार क्षेत्रों में काम करें तो काफी हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है.
1. राजनीतिक ताकत की निगरानी रखने वाली और उसे संतुलित रखने वाली संस्थाओं की मजबूती.
2. भ्रष्टाचार विरोधी कानून, उसकी प्रैक्टिस और उसे लागू करने के बीच के अंतर को पाटना.
3. राजनीतिक सक्रियता और सरकारी खर्च पर नजर रखने वाली सिविल सोसाइटी संस्थाओं की मदद करना.
4. मुक्त और स्वतंत्र मीडिया का समर्थन.
(दुनिया के सबसे ज्यादा भ्रष्ट देश)
ओएसजे/एनआर (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)