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भारत में तेज़ी से ख़त्म हो रहे हैं तेंदुए

२० मई २०१०

बाघों के बाद अब भारत के तेंदुए ख़त्म होने की कगार पर आ गए हैं. इस साल अब तक के पांच महीनों में ही 160 से ज़्यादा तेंदुए मारे गए हैं. भारत में पिछले 16 साल में 3,189 तेंदुएं मारे गए.

तस्वीर: AP

भारतीय वन्यजीव संरक्षण के मुताबिक भारत में तेंदुए तेज़ी से ख़त्म हो रहे हैं. अनुमान है कि देश में अब 7 से 10 हज़ार तेंदुए ही बचे हैं. संस्थान की प्रमुख बेलिंडा राइट के मुताबिक, ''शिकारियों ने बाघ की जगह तेंदुएं मारने शुरू कर दिए हैं. तेंदुओं की खाल और हड्डियां का इस्तेमाल चीन जैसे देशों में पारंपरिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है.'' भारत में 2009 में 290 तेंदुए मारे गए. यह संख्या आधिकारिक है. वन्य जीव संरक्षण से जुड़े लोग कहते हैं असल में ज़्यादा तेंदुए मारे गए. 290 मामले तो नज़र में आए.

तेंदुए की खाल और हड्डियों को तिब्बत या नेपाल की सीमा के ज़रिए बाहर भेजा जाता है. राइट का कहना है कि तिब्बत में खुले बाज़ार में इन चीज़ों को बेचा जाता है. भारत के अलग अलग हिस्सों में हाल के दिनों में कई शिकारी और तस्कर पकड़े जा चुके हैं.

शिकारियों का शिकारतस्वीर: WWF/Michael-Evers

मार्च में उत्तर प्रदेश में दो लोगों को गिरफ़्तार किया. तमिलानाडु में भी तीन लोग पकड़े गए. इन लोगों ने माना कि वह तेंदुए का शिकार करते हैं और फिर उसकी खाल और हड्डियां बेचते हैं. बाघ के उलट तेंदुए को मारने के लिए शिकारी बंदूक का इस्तेमाल कर रहे हैं. भारतीय वन्यजीव संरक्षण के एक अधिकारी का कहना है, ''इन मामलों से साफ पता चलता है कि शिकारी कितने सक्रिय हैं.''

कुछ दशक पहले तक भारत में बड़ी संख्या में तेंदुए पाए जाते थे. तेंदुए वन्यजीव संक्षरण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित जीवों में आते हैं. लेकिन अब हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में दूर दराज़ के इलाकों में भी इनका नामो निशान मिट रहा है.

दुर्लभ हिम तेंदुआतस्वीर: AP

कटते जंगल और बढ़ते इंसानी दख़ल ने भी इस ख़ूबसूरत शिकारी को जिंदगी का मोहताज बना दिया है. हाल के समय में 72 तेंदुओं को वन विभाग के अधिकारियों ने पकड़ा लेकिन उनमें से भी ज़्यादातर की बाद में मौत हो गई.

भारत में बाघों की गिनती होती है लेकिन तेंदुओं की संख्या का सरकार को भी सही पता नहीं है. तेंदुए अकसर दिन भर पेड़ पर आराम करते हैं और रात में शिकार करते हैं. तेंदुए को बड़ी बिल्लियों की प्रजाति में सबसे अचूक शिकारी माना जाता है. तेंदुए के बारे में यह बात बेहद कम लोग जानते है कि यह जानवर सूखे पत्तों पर भी बिना किसी आवाज़ के अपने शिकार पर हमला कर सकता है. यही वजह है कि दुनिया भर में बाघों और तेंदुओं के सबसे बड़े विशेषज्ञ माने जाने वाले जिम कॉर्बेट ने कभी कहा था, ''तेंदुआ इस दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत और शांत शिकारी है. वह एक ख़ामोश मौत की तरह है.''

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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