भारत सरकार द्वारा टिक टॉक पर लगाए गए प्रतिबंध को स्थायी बनाने के बाद देश में कंपनी के करीब 2,000 लोगों की नौकरी जा सकती है. कंपनी का कहना है कि प्रतिबंध के हटने को लेकर उसे सरकार से कोई भी जानकारी नहीं मिल पा रही है.
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चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच भारत सरकार ने जिन दर्जनों चीनी ऐपों पर प्रतिबंध लगाया था, उनमें टिक टॉक भी शामिल था. प्रतिबंध के बाद टिक टॉक को बहुत नुक्सान उठाना पड़ा क्योंकि भारत में करोड़ों लोग उसका इस्तेमाल करते थे. नुक्सान उठाने के बाद कंपनी ने एक बयान में कहा है कि वो भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर रही है.
कंपनी ने बयान में कहा, "प्रतिबंध लगने के बाद पिछले सात महीनों में इस मुद्दे के समाधान को लेकर हमें सरकार से कोई जानकारी नहीं मिली है, जिसकी वजह से हमने गहरे दुख के साथ भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या को घटाने का फैसला किया है." बयान में और कोई जानकारी नहीं थी लेकिन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत में कंपनी के 2,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं.
टिकटॉक ने अपने बयान में यह भी कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत में करोड़ों उपभोक्ताओं, कलाकारों, कहानियां सुनाने वालों, शिक्षा देने वालों और अदाकारों के लिए उसे देश में टिक टॉक को फिर से लाने का मौका मिलेगा. भारत सरकार ने जून 2020 में 59 चीनी ऐपों को यह कह कर बैन किया था कि वो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा थे. इसी सप्ताह इन ऐपों पर लगे बन को स्थायी कर दिया गया.
टिक टॉक चीनी इंटरनेट कंपनी बाइटडांस का ऐप है. बाइटडांस के भारत में एक और लोकप्रिय ऐप हेलो पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. यह प्रतिबंध उस समय लगाए गए थे जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे. एलएसी पर गतिरोध अभी भी बना हुआ है और दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने डटी हुई हैं.
चीनी सरकार ने एक ताजा बयान में कहा है कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने चीनी मोबाइल ऐपों को प्रतिबंधित कर रहा है. भारत में 50 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है. इस वजह से देश में ऐप उपभोक्ताओं का बाजार बहुत बड़ा है और तेजी से बढ़ते इस बाजार में चीनी ऐप बहुत लोकप्रिय हुए थे. कुछ कंपनियों ने तो विशेष रूप से भारत के लिए ही ऐप बना दिए थे.
कैसा है टिकटॉक को खरीदने की दावेदार माइक्रोसॉफ्ट का चीन से खास रिश्ता
अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार के सबसे अग्रणी भावी खरीदार के रूप में उभर कर आई है. अगर इन दोनों के बीच सौदा हो जाता है तो ये माइक्रोसॉफ्ट के चीन के प्रति रुख के अनुकूल ही होगा.
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बाकियों से अलग
गूगल और फेसबुक जैसी दूसरी बड़ी अमेरिकी तकनीकी कंपनियां चीन में सरकारी प्रतिबंधों के आगे अपने हाथ खड़े कर चुकी हैं. माइक्रोसॉफ्ट चीन में हर साल दो बिलियन डॉलर कमाता है.
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चीन में माइक्रोसॉफ्ट
चीन में माइक्रोसॉफ्ट के लगभग 6,000 कर्मचारी हैं. देश में विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का काफी इस्तेमाल होता है. कंपनी चीन में अपना ऐज्यूर क्लाउड कंप्यूटिंग उत्पाद भी स्थानीय कंपनी 21वायानेट के साथ मिलकर चलाती है.
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सर्च इंजन और सोशल नेटवर्क
चीन में माइक्रोसॉफ्ट का सर्च इंजन बिंग और सोशल नेटवर्क लिंक्डइन भी चलता है, हालांकि ये अलीबाबा, बाइडू इत्यादि जैसी स्थानीय कंपनियों के सामने छोटे खिलाड़ी हैं.
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आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च एशिया माइक्रोसॉफ्ट का चीन में संभवतः सबसे अहम उत्पाद है. इसकी स्थापना 1998 में जाने माने ताइवानी-अमेरिकी वैज्ञानिक कैफू ली की मदद से हुई थी.
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सेंसरशिप
माइक्रोसॉफ्ट चीन में सर्च के नतीजों और दूसरी सामग्री को सेंसर भी करता है और जिस सामग्री को चीनी सरकार संवेदनशील समझती है उसे हटा देता है.
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गिटहब
सॉफ्टवेयर बनाने की वेबसाइट गिटहब को माइक्रोसॉफ्ट ने 2019 में खरीदा था और वह भी चीन में उपलब्ध है. इसका इस्तेमाल चीन में सरकार द्वारा इंटरनेट पर सामग्री को सेंसर किए जाने से पहले संरक्षित करने के लिए एक्टिविस्ट भी करते रहे हैं.
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सरकार से दो-दो हाथ
चीन में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की जाली प्रतियां धड़ल्ले से बिकती हैं. इसको लेकर कंपनी ने कई बार सरकारी कंपनियों के खिलाफ भी अदालतों में मामले दर्ज किए हैं. 2014 में एक जांच के बीच सरकारी एजेंसियों ने माइक्रोसॉफ्ट के चार दफ्तरों पर छापे मारे थे. उसी साल सरकार ने विंडोज आठ पर प्रतिबंध लगा दिया था. 2015 में माइक्रोसॉफ्ट ने एक स्थानीय कंपनी के साथ मिल कर विंडोज 10 का "चीनी सरकार" संस्करण निकाला था.
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बिल गेट्स और चीन
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स चीन के विषय में आम तौर पर सकारात्मक शब्दों में ही बात करते रहे हैं. वो नवंबर 2019 में राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पत्नी से सार्वजनिक रूप से मिले थे. उन्होंने अमेरिकी सरकार द्वारा चीनी कंपनी हुआवे पर लगाए प्रतिबंधों की आलोचना भी की थी. उन्होंने चीनी सरकार के साथ विंडोज का सोर्स कोड साझा करने की बात भी की थी.
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बिल और मेलिंडा गेट्स संस्थान
ये संस्थान चीन में सक्रिय चुनिंदा विदेशी गैर सरकारी संगठनों में से है. इसने कोविड-19 महामारी संबंधित राहत कार्य के लिए चीन को पांच मिलियन डॉलर धनराशि दान में दी है. बिल गेट्स ने महामारी के प्रति चीन की प्रतिक्रिया की सराहना भी की है, जिसके लिए राष्ट्रपति शी ने सार्वजनिक तौर पर उनका धन्यवाद भी किया था. सीके/आरपी (रॉयटर्स)