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भारत में नहीं खुलेंगे ईरानी बैंक

२० जुलाई २०१२

भारतीय गृह मंत्रालय ने ईरान के तीन बैंको को भारत में शाखा खोलने से रोक दिया है. कहा जा रहा है कि शाखा खोलने से रोकने के पीछे यह डर है कि इसका इस्तेमाल पैसों के अवैध लेनदेन औऱ आतंकवाद के लिए धन जुटाने में हो सकता है.

तस्वीर: AP

गृह मंत्रालय के इस कदम से ईरान को तेल के भुगतान मामले को सुलझाने की कोशिश में दिक्कत आ सकती है. भारत के एक प्रमुख अखबार ने गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से इस बारे में खबर छापी है. गृह मंत्रालय ने ईरान के पर्शियन बैंक, बैंक कारगाद और एहतेसाद ए नोविन बैंक के आवेदनों पर सुरक्षा जांच की मुहर लगाने से मना कर दिया. गृह मंत्रालय ने फिलहाल इस खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

तस्वीर: AP

ईंधन की कमी से जूझ रहा भारत इस साल ईरान से 1.55 करोड़ टन तेल मंगाने की योजना बना रहा है. पिछले दिनों भारत को ईरान से मंगाए तेल का भुगतान करने में भारी समस्या हुई क्योंकि अमेरिका के लगाए आर्थिक प्रतिबंधों के बाद डॉलर में भुगतान के रास्ते बंद हो गए हैं. इस समस्या से निबटने के लिए दोनों देशों ने नया करार किया जिसके तहत आधी से ज्यादा कीमत का भुगतान भारतीय रुपये में करने का फैसला किया गया है. करीब 45 फीसदी रकम रुपये में भारत के यूको बैंक से और बाकी का हिस्सा यूरो के रूप में तुर्की के बैंक के जरिये की जाती है.

भारत अगर ईरान के बैंक को अपने यहां शाखाएं खोलने की इजाजत दे देता, तो इससे भारतीय कंपनियों के लिए चाय, तेल, रेशा, खाद और कपड़ा निर्यात करने की सुविधा बढ़ जाती. इसके साथ ही इंजीनियरिंग और दूसरे साझा प्रोजेक्ट के लिए भी साथ काम करने में सुविधा होती. नए करार के मुताबिक तेल के बदले मिलने वाले रुपये का इस्तेमाल ईरान भारत से चीजों को खरीदने में करेगा. कारोबार की संभावनाएं तलाशने के लिए दोनों देशों ने एक दूसरे देश में प्रतिनिधियों के बड़े बड़े दल भेजे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत का वित्त मंत्रालय गृह मंत्रालय को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहने की तैयारी कर रहा है. वित्त मंत्रालय "रणनीतिक मजबूरी" के नाम पर ईरानी बैंक को शाखाएं खोलने की मंजूरी दिलाना चाहता है.

ईरान भी कपड़ा उद्योग से जुड़ी नई तकनीकों और ईरान को कैस्पियन सागर के देशों से जोड़ने वाले रेलवे कॉरीडोर में निवेश के लिए भारत की ओर आशाभरी नजरों से देख रहा है. भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का एक बड़ा हिस्सा ईरान से आयात करता है. उसका कहना है कि वह अमेरिका के परमाणु संवर्धन विरोधी लक्ष्यों को मानता है लेकिन इसके साथ ही उसका यह भी मानना है कि अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में ईरान एक बड़ा स्रोत है. इसके साथ ही अणेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से चले जाने के बाद वहां स्थिरता लाने में भी भारत ईरान की बड़ी भूमिका देखता है.

अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बम बनाने की तैयारी के रूप में देखता है जबकि ईरान उसे शांतिपूर्ण कामों के लिए उर्जा का स्रोत बताता है. इस मसले पर दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है. नतीजा यह हुआ है कि अमेरिका प्रतिबंधों की बौछार किए जा रहा है और ईरान भी अपने परमाणु कार्यक्रम पर आगे बढ़ता जा रहा है.

एनआर/एजेए (एएफपी)

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