भारत में रोजाना दर्जनों हत्याओं और दुष्कर्म के केस
१० जनवरी २०२०नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2018 में औसतन हर रोज में 91 महिला ने बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई. आंकड़ों के अनुसार भारत महिलाओं के लिए अब भी सुरक्षित नहीं हो पाया है. 2012 में नई दिल्ली में चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से जघन्य बलात्कार और हत्या के मामले से गुस्साए हजारों लोग न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे. 'निर्भया' कांड के बाद देश में यौन हिंसा के मामले को लेकर सख्त कानून और फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग की गई थी. उसके बाद देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लेकर कानून सख्त किए गए लेकिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा अब भी बेरोकटोक जारी है.
एनसीआरबी के मुताबिक 2018 महिलाओं ने करीब 33,356 बलात्कार के मामलों की रिपोर्ट की. एक साल पहले 2017 में बलात्कार के 32,559 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2016 में यह संख्या 38,947 थी. दूसरी ओर एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में दुष्कर्म के दोषियों को सजा देने की दर सिर्फ 27.2% है. 2017 में दोषियों को सजा देने की दर 32.2% थी. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है. 2018 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर दिन औसतन करीब 80 लोगों की हत्या कर दी जाती है. इसके साथ ही 289 अपहरण और 91 मामले दुष्कर्म के सामने आते हैं.
अधिकार समूहों की शिकायत
महिला अधिकार समूहों का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कई बार कम गंभीरता से लिया जाता है और पुलिस मामलों की जांच में संवेदनशीलता की कमी दिखाती है. राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम कहती हैं, "देश को अब भी पुरुष चला रहे हैं. केवल एक महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के होने से चीजें नहीं बदल जाएंगी. बहुत सारे जज अब भी पुरुष हैं." कुमारमंगलम कहती हैं कि देश में बहुत कम फॉरेंसिक लैब हैं और फास्ट ट्रैक कोर्ट में जजों की संख्या कम हैं.
बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह पर 17 वर्षीय किशोरी से बलात्कार के मामले ने देश भर का ध्यान खींचा. पीड़ित किशोरी ने पुलिस पर कार्रवाई ना करने का आरोप लगाया था और मामला बढ़ने के बाद केस को दिल्ली ट्रांसफर किया गया और कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सजा हुई. 2015 में बैंगलुरु स्थित सेंटर फॉर लॉ एंड पॉलिसी रिसर्च ने अपने अध्ययन पाया था कि फास्ट ट्रैक कोर्ट वास्तव में तेज हैं लेकिन बहुत ज्यादा मामले नहीं संभाल पाते हैं. वहीं दिल्ली स्थित पार्टनर्स फॉर लॉ इन डेवलपमेंट द्वारा 2016 में एक अध्ययन में पाया गया कि फास्ट ट्रैक कोर्ट अभी भी औसतन 8.5 महीने केस निपटाने में लेते हैं जो कि अनुशंसित अवधि से चार गुना से अधिक है.
किसान खुदकुशी के मामलों में कमी
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में देशभर में कृषि से जुड़े 10,349 लोगों ने आत्महत्या की. यह देश में इस अवधि में हुए खुदकुशी के मामलों का 7.7 फीसदी है. 2018 में कुल 1,34,516 लोगों ने आत्महत्या की है. महाराष्ट्र में सबसे अधिक किसान और खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की जिनकी संख्या करीब 3594 है. जबकि 2405 किसानों की खुदकुशी के साथ कर्नाटक दूसरे स्थान पर है. एनसीआरबी के मुताबिक पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा में एक भी किसान खुदकुशी के मामले दर्ज नहीं किए गए.
एए/एमजे (रॉयटर्स)
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