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भारत में पॉप कल्चर की संस्कृति नहीं: लकी अली

२० जुलाई २०११

गायकी से सालों गायब रहने के बाद लकी अली अपना नया एल्बम लेकर आ रहे हैं. 'रास्ता मन' एल्बम के जरिए अपने करियर को एक बार फिर धक्का देने की कोशिश में जुट गए हैं लकी अली.

तस्वीर: Fotolia/Yuri Arcurs

90 के दशक के आखिर में हिंदी पॉप जगत में धमाकेदार तरीके से अपनी एल्बम 'सुनो' के जरिए छाने वाले लकी अली का मानना है कि भारत में पॉप म्यूजिक की तहजीब नहीं है. अली कहते हैं, "भारत में पॉप म्यूजिक की संस्कृति कभी रही ही नहीं. रीमिक्स करना अद्भुत है. यह पश्चिमी विचार है. मैं इस संस्कृति का कभी हिस्सा नहीं रहा. हमारे देश में वैकल्पिक संगीत बनते हैं. मैं वैकल्पिक संगीत के साथ आया था और उन आवाजों के साथ प्रयोग किए जो मुझे पसंद थे. मैं उस तरह की संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करता." 52 वर्षीय अली कहते हैं कि उनका नया एल्बम 'रास्ता मन' उनके खानाबदोश जिंदगी के अनुभव का नतीजा है. लकी अली ने बॉलीवुड में अपने गायकी से कामयाबी पाई थी. उनके गाने 'ना तुम जानो ना हम' और 'इक पल का जीना' लोगों को खूब पसंद आए थे. अली के नए एल्बम में कुल 11 गाने हैं. 'रास्ता मन' में एक ऐसे इंसान को दर्शाया गया है जो प्यार की तलाश में भटकता रहता है. एल्बम के गाने न्यूजीलैंड, चीन, मॉरीशस,चेन्नई, बैंगलोर और मुंबई में शूट किए गए हैं. लकी अली बॉलीवुड के मशहूर हास्य कलाकार महमूद के बेटे हैं. वह कहते हैं कि एक्टिंग उनके बस की बात नहीं है.

रिपोर्ट:पीटीआई/आमिर अंसारी

संपादन: ईशा भाटिया

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