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भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी

१ जून २०१०

भारत में गरीबों की संख्या बढ़ने के साथ साथ प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ रही है. देश में अब प्रति व्यक्ति आय 44,345 रुपये हुई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछली तिमाही में अर्थव्यवस्था में अनुमान से ज्यादा तेजी आई.

तस्वीर: AP

वित्त वर्ष 2009-2010 में भारतीय अर्थव्यस्था ने वैश्विक मंदी से निकलने के संकेत देते हुए 7.4 फीसदी तेजी हासिल की. सरकार का अनुमान था कि विकास दर 7.2 प्रतिशत होगी लेकिन नतीजे इससे ज्यादा उत्साहजनक रहे. इसमें औद्योगिक उत्पादन का बड़ा हाथ रहा है. कृषि क्षेत्र में हल्की सी तेजी आई है. कृषि की विकास दर 0.2 से 0.7 फीसदी रही

अर्थव्यवस्था की तेजी अब और रफ्तार पकड़ती दिख रही है. जनवरी से मार्च की तिमाही में देश की इकोनमी 8.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ी है. तीन साल पहले विकास दर नौ फीसदी थी. सरकार को उम्मीद है कि वैसे दिन लौट आएंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष (2010-11) में विकास दर 8.5 फीसदी के ऊपर ही रहेगी.

गरीबी भी बढ़ीतस्वीर: AP

अर्थव्यवस्था की इस तेजी से कागजों में प्रति व्यक्ति भी बढ़ी है. भारत में अब वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 44,345 रुपये हो गई है. यानी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर भारतीय को एक महीने में करीबन 3700 रुपये मिलने लगे हैं. लेकिन प्रति व्यक्ति आय के साथ देश में महंगाई और पूंजी के असमान वितरण की तस्वीर भी फैली है.

आलोचकों का कहना है कि भारत में गरीब और गरीब होता जा रहा है, अमीरों का पैसा लगातार बढ़ता जा रहा है. सरकार खुद भी मान चुकी हैं कि देश में गरीबी घटने के बजाए बढ़ रही है. अर्थव्यवस्था के सरकारी आकंड़ों से भी अब साफ हो रहा है कि बढ़ती प्रतिव्यक्ति का फायदा गरीबों तक को नहीं ही पहुंच रहा है.

रिपोर्ट: पीटीआई/ ओ सिंह

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

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