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भारत में प्लास्टिक के कूड़े से जुड़ी हुई जरूरी बातें

३ अक्टूबर २०१९

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्लास्टिक का कचरा घटाने की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहे हैं. लक्ष्य है 130 करोड की आबादी वाले देश से 2022 तक एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक को पूरी तरह से हटा देना.

Indien Kalkutta | Indien verbietet Plastik zum Geburtstag von Ghandi
तस्वीर: DW/P. Samanta

ये है भारत में प्लास्टिक के कूड़े और पुनर्चक्रण से जुड़ी हुई पांच जरूरी बातें. भारत में प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत 11 किलोग्राम है, जबकि अमेरिका में ये 109 किलोग्राम है. भारत के एक उद्योग संगठन फिक्की द्वारा 2017 में जारी आंकड़ों के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत अमेरिका में ही है. भारत सरकार का अनुमान है कि देश में प्लास्टिक की खपत 2022 तक बढ़ कर 20 किलोग्राम हो जाएगी. वैश्विक औसत लगभग 28 किलोग्राम है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत, जो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, सालाना लगभग 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़े का उत्पादन करता है.

प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की चीजें, जैसे बैग, छुरी-कांटे और पीने के पाइप की खपत में कमी आए. भारत में जितना भी प्लास्टिक इस्तेमाल होता है उसमें से आधा तो सामान पैक करने के काम आता है और वो ज्यादातर एक बार इस्तेमाल किया जाने वाला होता है. भारत के कई राज्यों ने पहले ही प्लास्टिक के थैले बंद कर दिए हैं. हालांकि बैन का पालन करवाने की व्यवस्था ढीली है. जहां मोदी व्यवसायियों को भी इस अभियान से जुड़ने की अपील कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया और अमेजॉन और वालमार्ट नियंत्रित फ्लिपकार्ट जैसे इ-कॉमर्स के बड़े खिलाड़ियों ने कहा है कि वो आने वाले सालों में सामान की पैकिंग के लिए एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक का उपयोग बंद कर देंगे. सरकारी जानकारी के अनुसार भारत में पूरे ठोस कूड़े का लगभग 8% सिर्फ प्लास्टिक ही है.

तस्वीर: picture-alliance/Zuma Press/S. Sharma

प्लास्टिक कूड़े का असर भारत की दो बड़ी नदी व्यवस्थाओं में भी दिखता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सिंधु नदी (164, 332 टन) और मेघना-ब्रह्मपुत्र-गंगा (72, 845 टन) से समुद्र में जाने वाला प्लास्टिक विश्व की सबसे अधिक मात्राओं में से है. भारत में कूड़ा इकठ्ठा करते समय अलग नहीं किया जाता है और प्लास्टिक बड़ी मात्रा में सार्वजनिक जगहों और झील, तालाबों में भी फैला रहता है.

भारत में जो कूड़े को अलग और रिसाइकल करने की प्रणाली है वो एक अनौपचारिक श्रृंखला के जरिये चलती है. इसमें कूड़ा बीनने वालों से लेकर फैक्टरियों को प्लास्टिक बेचने वाले व्यापारी तक शामिल हैं. अलग अलग अनुमानों के अनुसार भारत में लगभग 60% प्लास्टिक कूड़े की रिसाइक्लिंग होती है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पूरे विश्व में आज तक जितना प्लास्टिक कूड़ा बना है उसमें से सिर्फ कुल 9% का ही आज तक रिसाइक्लिंग हो पाई है.

सीके/एमजे (एएफपी)

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