भारत के बाघों के लिए 2016 बेहद जानलेवा साल साबित हुआ. इस दौरान देश भर में 120 बाघ मारे गए. देश भर में सबसे खराब रिकॉर्ड मध्य प्रदेश का रहा.
विज्ञापन
एक दशक के बाद यह पहला मौका है जब साल भर के भीतर इतने ज्यादा बाघ मारे गए हों. 2016 में रिकॉर्ड 120 बाघों की मौत हुई. 2015 के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा. 2017 के पहले महीने में भी एक मौत का मामला सामने आ चुका है.
दुनिया भर में इस वक्त कुल 3,890 बाघ हैं. इनमें से 2,226 भारत में रहते हैं. हाल के बरसों में भारत में बाघों की संख्या बढ़ी है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस दौरान बाघों पर होने वाले इंसानी हमले भी बढ़े हैं. बीते साल बाघ की 22 खालें बरामद हुईं. कुछ बाघों की मौत प्राकृतिक रूप से हुई. वहीं कुछ को जहर देकर मारा गया. कुछ रेल और गाड़ियों के नीचे आकर मारे गए. दो बाघों को आदमखोर होने की वजह से मारा गया.
राजसी बाघ की अद्भुत दुनिया
सुंदरता और सिहरन को एक साथ महसूस करना हो तो बाघ को देखिये. भारत का यह राष्ट्रीय पशु यूं ही दुनिया भर में मशहूर नहीं है. एक नजर बाघों के दुनिया पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Lomka
सबसे बड़ी बिल्ली
बाघ बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है. वयस्क बाघ का वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता है. WWF के मुताबिक एक बाघ अधिकतम 26 साल तक की उम्र तक जी सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F.v. Erichsen
ताकतवर और फुर्तीला
बाघ शिकार करने के लिए बना है. उनके ब्लेड जैसे तेज पंजे, ताकतवर पैर, बड़े व नुकीले दांत और ताकतवर जबड़े एक साथ काम करते हैं. बाघों को बहुत ज्यादा मीट की जरूरत होती है. एक वयस्क बाघ एक दिन में 40 किलोग्राम मांस तक खा सकता है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/N. Armer
अकेला जीवन
बाघ बहुत एकाकी जीवन जीते हैं. हालांकि मादा दो साल तक बच्चों का पालन पोषण करती है. लेकिन उसके बाद बच्चे अपना अपना इलाका खोजने निकल पड़ते हैं. लालन पालन के दौरान पिता कभी कभार बच्चों से मिलने आता है. एक ही परिवार की मादा बाघिनें अपना इलाका साझा भी करती है.
बिल्लियों की प्रजाति में बाघ अकेला ऐसा जानवर है जिसे पानी में खेलना और तैरना बेहद पंसद है. बिल्ली, तेंदुआ, चीता और शेर पानी में घुसने से कतराते हैं. लेकिन बाघ पानी में तैरकर भी शिकार करता है. बाघ आगे वाले पैरों को पतवार की तरह इस्तेमाल करता है.
तस्वीर: picture alliance/blickwinkel/W. Layer
सिकुड़ता आवास
100 साल पहले दुनिया भर में करीब 1,00,000 बाघ थे. वे तुर्की से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैले थे. लेकिन आज जंगलों में सिर्फ 3,000 से 4,000 बाघ ही बचे हैं. बाघों की नौ उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं. यह तस्वीर जावा में पाये जाने वाले बाघ की है.
तस्वीर: public domain
क्यों घटे बाघ
20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुए अंधाधुंध शिकार ने बाघों का कई इलाकों से सफाया कर दिया. जंगलों की कटाई ने भी 93 फीसदी बाघों की जान ली. दूसरे जंगली जानवरों के अवैध शिकार ने बाघों को जंगल में भूखा मार दिया. इंसान के साथ उनका संघर्ष आज भी जारी है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बसे सुंदरबन को ही ले लीजिए, मैंग्रोव जंगलों वाला यह इलाका समुद्र का जलस्तर बढ़ने से डूब रहा है. इसका सीधा असर वहां रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर पर पड़ा है. WWF के शोध के मुताबिक वहां के बाघों को मदद की सख्त जरूरत है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Chowdhury
कैसे बचेंगे बाघ
माहौल इतना भी निराशाजनक नहीं है. संरक्षण संस्थाओं ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में करीब 3,900 बाघ हैं. 2010 में यह संख्या 3,200 थी. भारत जैसे देशों में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छा काम किया जा रहा है. 2019 में भारत में करीब 3000 बाघ हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
8 तस्वीरें1 | 8
बाघों की मौत के मामले में एक बार फिर मध्य प्रदेश का रिकॉर्ड सबसे खराब रहा. राज्य में 32 बाघ मारे गए. वहीं कर्नाटक में 17 और महाराष्ट्र में 16 बाघों की मौत हुई. 2016 के शुरुआती सात महीनों में 73 बाघ मारे गए. इस दौरान मछली और जय नाम के सबसे चर्चित बाघ भी चल बसे. 19 साल की बाघिन मछली की प्राकृतिक मौत हुई. वहीं जय अप्रैल 2016 के बाद नजर नहीं आया.
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है. उसे बचाने के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई थी. इसके तहत देश भर में 50 टाइगर रिजर्व हैं. 2014 में देश में पहली बार बाघों की संख्या में 30 फीसदी का रिकॉर्ड इजाफा हुआ. लेकिन 2016 के आंकड़े अब फिर से शंका पैदा कर रहे हैं.
भारतीय इतिहासकार महेश रंगराजन के मुताबिक 1875 से 1925 के बीच राजाओं, लॉर्ड्स, जनरलों और महाराजों ने 80,000 बाघ मारे. 1947 के बाद हजारों बाघ जंगल उजड़ने से मारे गए. घटते जंगलों के कारण बाघों और इंसानों में टकराव बढ़ा और इसकी कीमत भी बाघों ने ही ज्यादा चुकाई. टाइगर रिजर्व बनाकर सरकार ने इस समस्या को हल करने में काफी हद तक सफलता पाई. इस वक्त भारत के 2.02 फीसदी इलाके में ऐसे रिजर्व हैं. लेकिन अब चीन के बाजार ने बाघों को मुसीबत में डाल रखा है. चीन की पारंपरिक दवाओं में बाघ के करीब हर अंग का इस्तेमाल होता है.
टाइगर मंदिर के पीछे छुपी सच्चाई
आमतौर पर टाइगर या तो आपको चिड़ियाघरों में दिखते हैं या जंगल सफारी पर. लेकिन क्या आपने दक्षिणपूर्व एशिया की इस विवादित जगह के बारे में सुना है, जिसे टाइगर टेंपल कहते हैं.
तस्वीर: Getty Images/T. Weidman
पश्चिमी थाईलैंड के कंचनाबुरी में एक मठ और वन्यजीव पार्क है. पर्यटकों में यह सालों से टाइगर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध रहा है. यहां नारंगी पोशाक पहने बौद्ध भिक्षुओं के आस-पास बाघ या उनके शावकों का दिखना आम बात है.
तस्वीर: Imago/A. Kleb
दूर दूर से पर्यटक यहां भारी कीमत चुका कर टाइगर्स के पास जाने, उन्हें छूने, उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने पहुंचते रहे हैं. इस कारण जंगलों में आजाद रहने के बजाए इन जानवरों को अपना समय कैद में बिताना पड़ता है.
तस्वीर: Getty Images/AFPP. Kittiwongsakul
दुनिया भर के कई वन्यजीव संरक्षक इस मठ पर उंगलियां उठाते रहे हैं. उनका मानना है कि यहां जंगली जानवरों को पालतू बनाने की जबरन कोशिश होती है ना कि किसी तरह की पूजा. इसके अलावा बाघ के अंगों की तस्करी का भी आरोप था.
तस्वीर: Reuters/C. Subprasom
मंदिर से खतरे में पड़ी प्रजातियों के शरीर के हिस्से और उत्पाद भी मिले. कई दशकों से जारी विरोध के स्वरों के कारण अब स्थिति बदल रही है. थाई प्रशासन ने इस मंदिर को दिया गया चिड़ियाघर का लाइसेंस रद्द कर दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जून 2016 में ही थाईलैंड के वन्यजीव विभाग ने मॉनेस्टरी से 137 टाइगरों को जब्त किया. उन्हें वहां 40 फ्रीजर में जमाए हुए और 20 बोतलों में बंद बाघ के बच्चों के शव मिले.
तस्वीर: Getty Images/D. Pignatelli
यहां से टाइगरों को बेहोश कर सरकारी आश्रयों में पहुंचाया जा रहा है. टेंपल प्रशासन सरकार पर उन्हें तंग करने का आरोप लगा रहा है.
तस्वीर: Reuters/C. Subprasom
टाइगर मंदिर पर वन्यजीव तस्करी के आरोप हैं और उस पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है. मंदिर के कर्मचारियों पर बाघों के साथ गलत व्यवहार करने, उनकी हत्या कर बाघ की त्वचा, मांस और हडिडयां बेचने का आरोप है. यह सब थाईलैंड में गैरकानूनी है.