भारत में सख्त कानूनों के बावजूद महिलाओं पर अपराध रुक नहीं रहे. राजधानी नई दिल्ली के निकट अपराध का शिकार हुई एक लड़की की अस्पताल में मौत हो गई है, जिसे बलात्कार के बाद जला दिया गया था.
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जब 15 वर्षीया लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया तो उसकी 95 प्रतिशत त्वचा जल चुकी थी. पुलिस ने 20 साल के संदिग्ध अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया है जिसपर लड़की के घर में घुसकर उस पर हमला करने का आरोप है. उस पर कई महीनों से उस लड़की को तंग करने का भी आरोप है.
लड़की के परिवार वालों ने कहा है कि अभियुक्त कई महीनों से लड़की का पीछा कर रहा था. लड़की के पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी और पुलिस ने अभियुक्त को पिछले साल चेतावनी भी दी थी. पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार करने के बाद मंगलवार पर उस पर बलात्कार और हत्या की कोशिश के आरोप लगाए. पुलिस का कहना है कि अब उसे बदल कर हत्या की धाराएं लगाई जाएंगी.
भारत के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2010 से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बलात्कार की शिकायतों में भी इजाफा हुआ है. बलात्कार का शिकार होने वाली महिलाओं में करीब एक तिहाई 18 साल से कम उम्र की हैं जबकि 10 प्रतिशत पीड़ितों की उम्र 14 से कम है. आंकड़ों के अनुसार हर 20वें मिनट एक महिला के साथ बलात्कार होता है.
तीन साल पहले दिल्ली में एक छात्रा के बलात्कार और हत्या के बाद भारी विरोध हुआ था. उसके बाद बलात्कार कानून और सख्त बना दिया गया लेकिन महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़खानी, हिंसा और बलात्कार के मामले कम होते नहीं दिख रहे.
एमजे/आईबी (डीपीए, एपी)
क्यों होते हैं बलात्कार?
भारत में रोजाना औसतन 92 महिलाओं का बलात्कार होता है. जब भी किसी महिला के साथ यह जघन्य अपराध होता है, कभी सवाल उसके कपड़ों तो कभी देर रात घर से बाहर रहने पर उठाए जाते हैं. क्या महिलाओं पर बंदिशें लगाना ही है उपाय?
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तन ढकने की जरूरत
मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों?
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अंग प्रदर्शन यानि बलात्कारियों को न्यौता
भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उनपर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख के कारण संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का ध्यान नहीं गया.
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कानून का डर नहीं
संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में एशिया प्रशांत क्षेत्र में किए अपने सर्वे में पाया गया कि सर्वे में शामिल हर चार में एक पुरुष ने अपने जीवन में कम से कम एक बार किसी महिला का बलात्कार किया है. इनमें से 72 से लेकर 97 फीसदी मामलों में इन पुरुषों को किसी कानूनी कार्यवाई का सामना नहीं करना पड़ा था.
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मनोरंजन का साधन हैं यौन अपराध
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ इतने ज्यादा यौन अपराधों का कारण प्रदेश की पुलिस ने वहां मोबाइल फोनों के बढ़ते इस्तेमाल, पश्चिमी देशों के बुरे असर और छोटे कपड़ों को ठहराया. लोगों को सुरक्षा देने की अपनी जिम्मेदारी में पूरी तरह विफल पुलिस का कहना है कि मनोरंजन के बहुत कम साधन होने के कारण पुरुष यौन अपराधों को अंजाम देने लगते हैं.
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महिलाओं से मिल रही है चुनौती
सड़कों, ऑफिसों या किसी सार्वजनिक स्थान पर कई बार महिलाओं के कपड़े नहीं बल्कि उनके चेहरे से झलकता आत्मविश्वास, स्वच्छंद रवैया और अब तक पुरुषों के कब्जे में रहे कई क्षेत्रों में उनकी पहुंच कई पुरुषों को बौखला रही है. सदियों से स्थापित पुरुषसत्तात्मक समाज के समर्थक ऐसी औरतों को सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने का जिम्मेदार मानते हैं और यौन हिंसा कर उन्हें समाज में उनकी सही जगह दिखाने की कोशिश करते हैं.
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महिलाओं को ज्यादा बड़ा खतरा किससे
दुनिया के सबसे युवा देश में आज बलात्कार महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध बन चुका है. नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2013 रिपोर्ट बताती है कि साल दर साल दर्ज होने वाले इन करीब 98 फीसदी मामलों में बलात्कारी पीड़ित का जानने वाला था. ज्यादातर मामले जो प्रकाश में आते हैं वे सार्वजनिक जगहों पर अनजान लोगों द्वारा किए गए होते हैं जिस कारण इस सच्चाई पर ध्यान नहीं जाता.
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एक कदम आगे, दो कदम पीछे
एक ओर पहले के मुकाबले ज्यादा लड़कियां पढ़लिख रही हैं और कार्यक्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. दूसरी ओर इस कारण वे शादी और बच्चे देर से पैदा कर रही हैं. भारत में शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाने के मामले समाज के लिए असहनीय और खतरा बताए जाते हैं. इस कारण बहुत से युवा पुरुष को अपनी यौन इच्छा पूरी करने का कोई स्वस्थ तरीका नहीं मिलता और कई बार यही यौन हिंसा का कारण बनता है.
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हिंसा का चक्र गर्भ से ही शुरु
भारत में अजन्मे बच्चे की लिंग जांच कर मादा भ्रूण को गर्भ में ही मार देने की घटनाएं आम हैं. जो लड़कियां जन्म ले पाती हैं वे संख्या में इतनी कम हैं कि समाज का संतुलन बिगड़ गया है. स्त्री-पुरुष अनुपात के मामले में भारत 1970 से भी नीचे आ गया है. इसके अलावा बाल विवाह, कम उम्र में मां बनना, प्रसव से जुड़ी मौतें और घरेलू हिंसा के लिए भी क्या छोटे कपड़ों को ही जिम्मेदार मानेंगे.