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भारत में महंगी हो सकती है मोबाइल सेवा

२९ जनवरी २०११

भारत सरकार ने दूरसंचार नीति में एक बड़ा फेरबदल करने का फैसला किया है. मोबाइल सेवा दे रही कंपनियों को अब स्पेक्ट्रम के लिए बाजार भाव से कीमत चुकानी होगी. दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने किया एलान.

तस्वीर: picture alliance/Dinodia Photo Library

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बाद सरकार ने स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की नीति में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है. अब स्पेक्ट्रम का लाइसेंस देना ही बंद किया जा रहा है. टेलिकॉम ऑपरेटरों को एकीकृत लाइसेंस मिलेगा जिससे वो तमाम तरह की सेवाएं दे सकेंगे. कपिल सिब्बल ने कहा,"अगर कोई लाइसेंसधारी कंपनी वायरलेस सेवा देना चाहती है तो उसे बाजार भाव से कीमत चुका कर स्पेक्ट्रम हासिल करनी होगी."

अभी तक ये व्यवस्था थी कि टेलिकॉम ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस के साथ ही मिल जाता था. इसका नतीजा ये हुआ कि सेवा देने वाली कंपनियों के बीच कम कीमत में सेवा देने की होड़ लग गई और मोबाइल से फोन करना भारत में इतना सस्ता हो गया. अब नए ऑपरेटरों को अगर उनका लाइसेंस वैध है तो अतिरिक्त 1.8 मेगाहर्ट्ज के 2जी स्पेक्ट्रम के लिए उन्हें बाजार भाव से कीमत चुकानी होगी. इस वजह से मोबाइल फोन सेवा देने वाली कंपनियों का खर्च बढ़ जाएगा. जाहिर है कि इसका बोझ मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों पर पड़ेगा.

तस्वीर: UNI

भारती, वोडाफोन और आइडिया जैसे पुराने ऑपरेटरों को भी अब अगर 6.2 मेगाहर्ट्ज के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम चाहिए तो बाजार भाव से कीमत चुकानी होगी. कपिल सिब्बल ने कहा कि इन बदलावों को तुरंत प्रभाव से लागू किया जा रहा है.

नए ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार की नई नीति से पुराने ऑपरेटरों को बड़ा फायदा होगा. पुराने ऑपरेटरों को 6.2 मेगाहर्ट्ज का स्पेक्ट्रम रखने की इजाजत दे दी गई है जबकि नए ऑपरेटरों को 1.8 मेगाहर्ट्ज का स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए भी बड़ी कीमत चुकानी होगी. उनका कहना है कि ऐसे वक्त में जब नए ऑपरेटर ग्राहक बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं उन पर नए खर्च का बोझ बुरा असर डालेगा.

उधर कपिल सिब्बल का कहना है कि नई नीति से बाजार में सभी कंपनियों को मुकाबला करने के समान अवसर और समान परिस्थितियां मिलेंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया

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