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भारत में मानवाधिकारः अमेरिका नाखुश

११ दिसम्बर २०१०

अमेरिका के एक अहम सहयोगी भारत के सामने मानवाधिकार की कई चुनौतियां हैं. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने यह बात कही. साथ ही यह भी कहा कि भारत के साथ मौका मिलने पर वह इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे.

तस्वीर: AP

अमेरिका के मानवाधिकार मामलों के जूनियर मंत्री मिषाएल पोस्नर ने कहा, "भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इस बड़े देश में मानवाधिकार की भी कई बड़ी चुनौतियां हैं. जब भी हम ऐसे किसी मुद्दे पर चिंतित होते हैं तो इस पर भारत सरकार के साथ चर्चा की जाती है." अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पोस्नर ने यह बात कही. पोस्नर ने कहा कि भारत सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं.

एक सवाल के जवाब में पोस्नर ने कहा, "मैं मानवाधिकार के मुद्दे पर बहुत विस्तार में नहीं जाना चाहता. इस तरह की रिपोर्ट के कई पन्ने हैं. हम भारत को अपना एक प्रमुख सहयोगी और मित्र देश मानते हैं." पोस्नर का कहना है कि उनका देश अब अपने दूतावासों के जरिए अलग अलग देशों के संगठनों के साथ इन मुद्दों पर ज्यादा करीब आ गया है और उसकी भूमिका भी बड़ी हो गई है.

मानवाधिकार दिवस के मौके पर पोस्नर ने कहा कि दुनिया में हर देश के दूतावासों को सकारात्मक और रचनात्मक होकर इस दिन को मनाना चाहिए. पोस्नर ने मानवाधिकार की लड़ाई के लिए एक ग्लोबल फंड बनाने की भी बात कही. उन्होंने बताया कि अलग अलग देशों की सरकार के साथ इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है.

इस मौके पर पोस्नर ने यह भी कहा कि अमेरिका को श्रीलंका में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में पता है और उनके देश की सरकार इस मुद्दे पर सीधे श्रीलंकाई सरकार के बातचीत कर रही है. हालांकि उन्होंने माना कि यह श्रीलंका का घरेलू मामला है. उन्होने बताया कि जल्दी ही वह थाईलैंड और बर्मा के सीमावर्ती इलाकों का दौरा करने वाले हैं. इस इलाके में लगातार बढ़ रहे शरणार्थियों की स्थिति के बारे में अमेरिका चिंता में है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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