भारत के उत्तरी और पूर्वी राज्यों में मॉनसून ने कहर मचा रखा है. करीब 45 लाख लोग प्रभावित हैं और हजारों बेघर हो गए हैं. अधिकारियों के अनुसार सात राज्यों में बुधवार से भारी वर्षा और बाढ़ में 51 लोग मारे गए हैं.
विज्ञापन
ताजा घटना में उत्तरी प्रांत हिमाचल प्रदेश में वर्षा के दौरान एक इमारत के गिरने से 8 लोग मारे गए. उनमें सेना के छह जवान और बाकी असैनिक नागरिक थे. हिमाचल के सोलन जिले में हुई इस घटना में 31 लोगों को बचाया गया है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि आधार कमजोर होने के कारण तीन मंजिला इमारत गिरी. वहां के रेस्तरां में सेना के जवान खाना खाने रुके थे.
बाढ़ से सबसे गंभीर रूप से पूर्वोत्तर राज्य असम प्रभावित है. वहां 26 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं. प्रांत के 28 बाढ़ प्रभावित जिलों में 11 लोगों की जानें गई हैं. स्थानीय मीडिया के अनुसार, असम से नौ और मौतों के अलावा मेघालय से पांच और अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम से दो लोगों के मरने की खबर है.
बहुत से लोग बेघर हो गए हैं तो ढेर सारे लोग अपने घरों में फंसे हुए हैं. फसल का भारी नुकसान हुआ है. करीब 17,000 लोगों को सरकारी रिलीफ कैंपों में रखा जा रहा है.
उत्तर प्रदेश और बिहार में 23 लोगों की जान चली गई है. अधिकारियों का कहना है कि बिहार में 19 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए पूर्वोत्तर में और वर्षा की भविष्यवाणी की है. इसलिए स्थिति में सुधार के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं.
भारत में मॉनसून का समय जून से सितंबर महीने तक रहता है. इस दौरान कई इलाकों में भारी वर्षा होती है. वर्षा इन इलाकों में खेती के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन अकसर इसकी वजह से नदियों में बाढ़ आ जाती है और भारी नुकसान भी होता है.
भारत में हर साल कई राज्य बाढ़ से प्रभावित होते हैं. इसे कम करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नदियों को जोड़ने की योजना बनाई थी. आइए जानते हैं कि इन राज्यों में किन कारणों से बार बार आती है बाढ़.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot
बिहार
बिहार के उत्तरी हिस्से में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है. इसकी मुख्य वजह नेपाल से आने वाली नदियां हैं. नेपाल में भारी बारिश के बाद वहां का पानी बिहार आ जाता है. कोसी, सीमांचल सहित मुजफ्फरपुर, शिवहर, पूर्वी चंपारण बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र का एक इलाका जहां सूखा से प्रभावित है, वहीं दूसरी ओर राजधानी मुंबई में हर साल बारिश के मौसम में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसके पीछे की मुख्य वजह जलनिकासी के रास्तों का साफ नहीं होना माना गया है. लोग खुले में कचरा फेंक देते हैं, जो जलनिकासी के रास्ते को अवरूद्ध कर देता है और बाढ़ का कारण बनता है. समुद्री जलस्तर में इजाफा भी बाढ़ का एक कारण है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. D´Souza
असम
असम में बाढ़ की मुख्य वजह मानसून की बारिश के कारण नदियों में पानी का बढ़ जाना है. ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर अचानक बढ़ जाने से ऐसे हालात बनते हैं. धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ, नलबाड़ी, चिरांग, गोलाघाट, माजुली, जोरहाट, डिब्रूगढ़, नगांव, मोरीगांव, कोकराझार, बोंगाईगांव, बक्सा, सोनितपुर, दर्रांग और बारपेटा जिले इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/U. Saikia
त्रिपुरा-मिजोरम
त्रिपुरा और मिजोरम के निचले इलाकों व गांवों में बारिश के कारण आने वाली बाढ़ से लगभग हर साल हजारों लोग प्रभावित होते हैं. ख्वाथलंगतुईपुई नदी और इसकी सहायक नदियों की वजह से कई लोगों का आशियाना छिन जाता है. राज्य के कई इलाकों का देश के बाकी हिस्से से रेल मार्ग से संपर्क टूट जाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Dey
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और कई गांव जलमग्न हो जाते हैं. गंगा और उसकी कई सहायक नदियों सहित सरयू, गोमती, घाघरा के किनारे बसे क्षेत्र ज्यादा प्रभावित होते हैं.
तस्वीर: Getty Images/S.Kanojia
जम्मू और कश्मीर
जम्मू और कश्मीर राज्य में 2014 में भयानक बाढ़ आई थी. उस बाढ़ में दो सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भारी पैमाने पर भूस्खलन हुआ था. सैकड़ों गांव प्रभावित हुए थे. लोगों की मदद के लिए सेना को उतारा गया था. राज्य में बाढ़ की मुख्य वजह भारी बारिश, बादल का फटना, नदियों व तालाबों का अतिक्रमण, भूस्खलन और जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियर पर हो रहा असर है. (रिपोर्ट-रवि रंजन)