भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक सेक्स को अपराध बताने वाले कानून के खिलाफ अपील सुनने से मना कर दिया है. इसे समलैंगिक अधिकारों के लिए लड़ रहे एलजीबीटी समुदाय के कार्यकर्ताओं के लिए नाकामी माना जा रहा है.
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अपनी अपील में कई जाने माने लेस्बियन, गे और बाइसेक्सुअल भारतीयों ने कहा था कि भारत की अपराध संहिता की धारा 377 उनकी यौन प्राथमिकताओं की सुरक्षा को नजरअंदाज कर मौलिक अधिकारों का हनन करती है. इस धारा के तहत पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध पर रोक है और इसके लिए 10 साल की कैद की सजा हो सकती है. एक आवेदनकर्ता के वकील अरविंद दत्तर ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनने से मना कर दिया और आवेदनकर्ताओं से मुख्य न्यायाधीश के पास जाने को कहा."
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पहले से ही प्रतिबंध को खत्म किए जाने की एक अपील सुन रहे हैं. अदालत ने पहले कहा है कि कानून में बदलाव का हक सिर्फ संसद को है. एलजीबीटी कम्युनिटी के लिए सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला समलैंगिक सेक्स को कानूनी बनाने के उनके संघर्ष में ताजा विफलता है.
समलैंगिकता की आजादी वाले इस्लामी देश
कई इस्लामी देश ऐसे भी हैं जहां समलैंगिकता अपराध नहीं है. हालांकि कानूनी दर्जा मिलने के बावजूद भेदभाव इनके हिस्से में आ ही जाता है...
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तुर्की
1858 में ओटोमन खिलाफत ने समान सेक्स संबंधों को मान्यता दी थी. तुर्की आज भी उसपर कायम है. यहां समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के अधिकारों को मान्यता दी जाती है. हालांकि संविधान से रक्षा ना मिलने के कारण इनके साथ भेदभाव आम है.
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माली
माली उन चुनिंदा अफ्रीकी देशों में से है जहां एलजीबीटी संबंधों को कानूनी दर्जा प्राप्त है. हालांकि यहां के संविधान में सामाजिक स्थलों पर यौन संबंध पर मनाही है. लेकिन माली में भी एलजीबीटी समुदाय के साथ बड़े स्तर पर असामनता का व्यवहार किया जाता है.
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जॉर्डन
एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की दिशा में जॉर्डन का संविधान सबसे प्रगतिशील माना जाता है. 1951 में समान सेक्स संबंधों के कानूनी होने के बाद सरकार ने समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के सम्मान के लिए होने वाली हत्याओं के खिलाफ भी सख्त कानून बनाए.
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इंडोनेशिया
1945 का कानून साफ तौर पर यौन संबंध पर पाबंदी नहीं लगाता. इंडोनेशिया में एशिया की सबसे पुरानी एलजीबीटी संस्था है जो कि 1980 से सक्रिय है. भेदभाव के बावजूद यहां का समलैंगिक समुदाय अपने अधिकारों के लिए लड़नें में पीछे नहीं रहता.
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अलबेनिया
हालांकि अलबेनिया मुस्लिम देश है, इसे दक्षिणपूर्वी यूरोप में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए अहम माना जाता है. इस गरीब बालकान देश में समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों को असमानता से बचाने के लिए भी कई अहम कानून हैं.
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बहरैन
इस खाड़ी देश में समान सेक्स के बीच संबंध को 1976 में मान्यता मिली. हालांकि अभी भी बहरैन में क्रॉस ड्रेसिंग यानि लड़कों का लड़कियों की तरह कपड़े पहनना मना है.
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फलीस्तीन
गाजा पट्टी में समान सेक्स के बीच संबंध आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित हैं. लेकिन ऐसा पश्चिमी छोर पर नहीं है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि यहां समलैंगिकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है. फलीस्तीन में एलजीबीटी पर पाबंदी हमास से नहीं इंगलैंड से आई थी जब यह इलाका ब्रिटिश कॉलोनी हुआ करता था.
तस्वीर: Shadi Hatem
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2013 में सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से चले आ रहे प्रतिबंध को बहाल कर दिया था. इससे पहले हाई कोर्ट के एक फसले के बाद चार साल तक समलैंगिक सेक्स अपराध नहीं था. इस अवधि में बहुत से लोगों ने अत्यंत पुरातनपंथी भारत में अपनी समलैंगिकता के बारे में बताने की हिम्मत की थी.
समलैंगिक समुदायों को दुनिया भर में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. इसकी एक बहुत ही भयानक मिसाल इस महीने अमेरिका में देखने को मिली जब एक बंदूकधारी ने फ्लोरिडा में एक गे क्लब पर हमला कर 49 लोगों की हत्या कर दी. पिछले सालों में पश्चिमी देशों में समलैंगिकता को कानूनी रूप से स्वीकार किया जाने लगा है और कुछ देशों ने भारत पर भी समलैंगिक सेक्स पर प्रतिबंध हटाकर मानवाधिकारों का आदर करने के लिए दबाव डाला था. नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत के रिचर्ड वर्मा के निवास को ऑरलैंडो हत्याकांड के शिकारों के साथ एकजुटता में इंद्रधनुषी रंगों से सजाया गया था.
एमजे/आईबी (रॉयटर्स)
प्राथमिकता बन रहे समलैंगिक अधिकार
कैथोलिक आयरलैंड में एक जनमत संग्रह में समलैंगिक अधिकारों पर भारी बहुमत के बाद यूरोप के दूसरे देश भी दबाव में हैं. जर्मनी में भी समलैंगिकों को पार्टनरशिप में बराबरी का हक देने की मांग जोर पकड़ रही है.
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जर्मन संसद में बहस
जर्मन संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट ने एक प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार से समलैंगिक पार्टनरशिप में जारी भेदभाव को खत्म करने की मांग की है. इसमें समलैंगिक जोड़ों को शादी की संभावना देना और गोद लेने का अधिकार देना भी शामिल है.
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सहमति की ओर
आयरलैंड में हुए फैसले ने जर्मनी में भी समलैंगिक विवाह की बहस तेज कर दी है. अब तक जर्मनी में समलैंगिक पार्टनरशिप को पंजीकृत कराने की सुविधा है. चांसलर अंगेला मैर्केल की कंजर्वेटिव पार्टी के बहुत से नेता समलैंगिक विवाह के खिलाफ हैं.
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मूल्यों की बात
लेकिन बहुत से नेता यह समझने लगे हैं कि परिवार खून के रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण मूल्यों का रिश्ता है. पार्टनरशिप में एक दूसरे के लिए जिम्मेदारी, चिंता, एक दूसरे का ख्याल रखना और सुरक्षा जरूरी है. बवेरिया की सीएसयू अभी भी विरोध कर रही है.
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अदालत का समर्थन
जर्मनी की संवैधानिक अदालत ने पिछले सालों के अपने फैसलों में समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों को बढ़ाया है. लगातार अपने कई फैसलों में अदालत ने कई इलाकों में समलैंगिक पार्टनरशिप को विवाह के बराबर करार दिया है.
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विरोध का सामना
रूस में समलैंगिकों के साथ भेदभाव जारी है. पश्चिमी देशों के साथ रूस के रिश्तों के तल्ख सवालों में एक सवाल समलैंगिकों के अधिकारों का भी है. यहां मई 2015 में मॉस्को में एलजीबीटी प्रदर्शन के दौरान विरोधियों के साथ एक झड़प.
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व्यापक अधिकार
डेनमार्क में समलैंगिकों को व्यापक अधिकार हैं. डेनमार्क में समलैंगिक सेक्स 1933 से ही वैधानिक है और 1977 से ही यौन संबंधों में सहमति की आयु 15 साल है, जो किसी भी लिंग या यौन प्राथमिकता वाले व्यक्ति के लिए एक जैसी है.