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'भारत विरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं करेंगे'

२१ नवम्बर २०११

बांग्लादेश भारत विरोधी गतिविधियां कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. ढाका ने यह कहा है कि उल्फा के महासचिव अनूप चेतिया को जल्द से जल्द भारत के हवाले किया जाएगा. पड़ोसियों में इन दिनों प्रेम बढ़ता जा रहा है.

शेख हसीना और मनमोहन सिंहः बढ़ती नजदीकियांतस्वीर: dapd

नई दिल्ली में भारत और बांग्लादेश के गृह सचिवों की बातचीत के बाद दोनों देशों ने साझा बयान जारी किया. बांग्लादेश के गृह सचिव मंजूर हुसैन ने भारतीय गृह सचिव आरके सिंह के सामने कहा, "बांग्लादेश में भारत विरोधी तत्व सक्रिय नहीं हैं. हम उन्हें कोई भी ऐसी हरकत नहीं करने देते हैं. लेकिन कभी कभार कुछ हो जाता है, यह एक अलग मुद्दा है. लेकिन उन्हें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."

दोनों को भरोसा

हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश जल्द से जल्द असम में सक्रिय अलगाववादी संगठन उल्फा के महासचिव अनूप चेतिया को भारत के हवाले कर देगा. उन्होंने कहा, "कानूनी मसले हमारे हाथ में नहीं हैं. हम उन पर टिप्पणी नहीं कर सकते, वे अदालत में हैं. एक बार जब कार्रवाई पूरी हो जाएगी तो हम जरूरी कदम उठाएंगे, वह भी जल्द से जल्द." चेतिया 1997 से ढाका की जेल में बंद हैं.

सीमा विवाद को झेलते हैं मासूमतस्वीर: picture alliance/dpa

चेतिया के प्रत्यर्पण की कोशिशों को लेकर भारतीय गृह सचिव आरके सिंह ने बांग्लादेश के प्रयासों की तारीफ की. सिंह ने बांग्लादेश को भी सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाया और कहा कि भारत की जमीन से ढाका विरोधी गतिविधियां नहीं होने दी जाएंगी. भारतीय गृह सचिव ने कहा, "हम बांग्लादेश को अपने सबसे करीबी मित्रों में से एक मानते हैं. बीते डेढ़ साल में सहयोग घनिष्ठ हुआ है, बहुत ही घनिष्ठ. हम बहुत खुश हैं. दोनों देश मौजूदा सहयोग से काफी प्रसन्न हैं. हम चाहते हैं कि यह सहयोग आगे भी जारी रहे."

तीन दिन की सचिव स्तर वार्ता के दौरान दोनों पड़ोसी देशों ने कई समझौते को अमल में लाने की बात भी की. इनमें साझा कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी), कैदियों की अदला बदली, संगठित अपराध और तस्करी रोकने के समझौते शामिल हैं. ये संधियां जनवरी 2010 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान हुई थीं.

नई दिशा की ओर संबंध

जुलाई में भारतीय गृह मंत्री पी चिदंबरम भी बांग्लादेश गए थे. उस दौरान दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि और बॉर्डर प्रबंधन को लेकर सहयोग का समझौता हुआ. गृह सचिव इस समझौते को अमल में लाने कौ तैयार हो गए हैं. सिंह ने कहा, "मसौदे का आदान प्रदान हो चुका है. हम इसका अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें वक्त लग रहा है. हम हर बारीकी को देख रहे हैं."

शेख मुजीबुर्रहमानतस्वीर: dpa

ढाका चाहता है कि भारत बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के हत्यारों को खोजने, पकड़ने और प्रत्यर्पित करने में मदद करे. हुसैन ने कहा, "हम भारत से जरूरी कदम उठाए जाने की अपेक्षा करते हैं. हमें उम्मीद है कि ज्यादा जानकारी आते ही उनकी कानून व्यवस्था को लागू करने वाली एजेंसियां आरोपियों पर शिकंजा कस पाएंगी और उन्हें बांग्लादेश के हवाले कर सकेंगी. हम भारत के प्रयासों की सराहना करते हैं."

भारत ने भी पूरी मदद का वादा किया है. शेख मुजीबुर्रहमान की 15 अगस्त 1975 को हत्या कर दी गई थी. बांग्लादेश की सेना के जूनियर अधिकारियों का एक समूह राष्ट्रपति कार्यालय में टैंकों के साथ घुसा. सैनिकों ने मुजीब, उनके परिवार और सहायकों की हत्या कर दी. मुजीब की दो बेटियां ही किसी तरह जान बचा सकीं. बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना मुजीब की ही बेटी हैं. हत्याकांड के बाद दोनों बेटियों ने जर्मनी में शरण ली. हसीना 1981 में बांग्लादेश लौटीं. आरोप हैं कि खूनी तख्तापलट की साजिश मुजीब की आवामी लीग पार्टी के असंतुष्ट नेताओं ने सेना के साथ मिलकर रची.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: वी कुमार

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