राजनैतिक संकट के बीच मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुला यामीन ने अपने मंत्रियों को चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब भेजा है. लेकिन यामीन ने भारत की साफ तौर पर अनदेखी की है.
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संकट में घिरे मालदीव के राष्ट्रपति ने अपने दूत उन देशों में भेजे हैं, जहां लोकतंत्र के लिए बहुत ज्यादा सम्मान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई विपक्षी नेताओं की रिहाई के फैसले से नाराज अब्दुल्ला यामीन ने विदेशों से समर्थन जुटाने के लिए आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद को बीजिंग भेजा है. विदेश मंत्री मोहम्मद आसीम पाकिस्तान रवाना हुए हैं और कृषि और मत्स्य पालन मंत्री सऊदी अरब पहुंचे हैं. यामीन को लग रहा है कि इन देशों के समर्थन से वह विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट को दबा सकेंगे.
राष्ट्रपति कार्यालय की वेबसाइट के मुताबिक, "कैबिनेट के सदस्यों को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन गय्यूम के निर्देश पर मित्र देशों में भेजा गया है, वे मौजूदा हालात की जानकारी देंगे."
1988 में ऑपरेशन कैक्टस के जरिये मालदीव की तख्तापलट को रोकने वाले भारत ने अब तक इस विवाद में सीधे दखल नहीं दिया है. लेकिन यामीन ने जिस तरह दूत न भेजकर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र की अनदेखी की है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. संयुक्त राष्ट्र समेत इन देशों ने मालदीव के राष्ट्रपति से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने के लिए कहा है. लेकिन यामीन ने कोर्ट के फैसले को मानने के बजाए देश में 15 दिन के लिए इमरजेंसी लगा दी और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया.
नई दिल्ली में तैनात मालदीव के राजदूत के मुताबिक भारतीय विदेश मंत्रालय के साथ तारीखों पर सहमति न बन पाने की वजह से कोई मंत्री नई दिल्ली नहीं भेजा गया है.
लक्जरी टूरिस्ट रिजॉर्टों के लिए विख्यात मालदीव अब दक्षिण एशिया में भारत और चीन की होड़ का इलाका बन चुका है. अब्दुल यामीन के कार्यकाल में मालदीव चीन के काफी करीब आया है. वह चीन के वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट में भी शामिल हुआ है.
भारतीय तट से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर 1,200 द्वीपों वाले देश मालदीव के नई दिल्ली के साथ बड़े गहरे रिश्ते रहे हैं. अब तक दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी साझेदारी चली आ रही थी. बीते 10 साल में यह काफी कमजोर पड़ी है. मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने चीन पर मालदीव में जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है. लंदन में निर्वासन में रह रहे नशीद ने भारत से सीधे सैन्य दखल की मांग की.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत मालदीव में 1988 की तरह सीधे सैन्य दखल के बजाए दूसरे विकल्प तलाश रहा है. नई दिल्ली कूटनीतिक और आर्थिक दबाव के जरिये संकट को हल करना चाहती है. इस बीच चीन ने बाकी देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे मालदीव के भीतरी मामले में दखल न दें.
भारत के आस पास के देश कब हुए आजाद
1947 में जब भारत आजाद हुआ तो एशिया और उसके बाहर भी मुल्कों के आजाद होने का एक सिलसिला चल रहा था. देश आजाद हो रहे थे और एक दूसरे की आजादी में मदद कर रहे थे. देखिये भारत के आसपास के मुल्कों को आजादी कब मिली.
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भूटान 17 दिसंबर 1907
भूटान दुनिया के उन देशों में हैं जो इतिहास में ज्यादातर आजाद रहे. भूटान पर किसी का शासन नहीं था लेकिन ऐसा कहा जाता है कि तिब्बत के कामरूप शासन ने उन्हें कुछ वक्त तक अपने अधीन रखा था. 1907 की इस तारीख से ही वांगचुक वंश ने देश की बागडोर अपने हाथ में ली. भूटान इसे ही अपना राष्ट्रीय दिवस मानता है.
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इंडोनेशिया 17 अगस्त 1945
इंडोनेशिया ने डच शासन से खुद को इसी दिन आजाद घोषित किया था और तब ब्रिटिश इंडिया उन शुरूआती देशों में था जिसने इसे मान्यता दी थी. हालांकि तब भारत खुद अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था.
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पाकिस्तान 14 अगस्त 1947
भारत का बंटवारा करके पाकिस्तान का जन्म हुआ और भारत की आजादी से ठीक एक दिन पहले ये नया देश अस्तित्व में आया. इस आजादी में विभाजन का दर्द छिपा था जो 70 साल के बाद भी दोनों मुल्कों के लोगों को तकलीफ देता है.
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म्यांमार 4 जनवरी 1948
भारत के पड़ोसी देश म्यांमार को 1948 में आजादी मिली तब इसका नाम बर्मा था. आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज बर्मा के रास्ते ही भारत आई थी.
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श्रीलंका 4 फरवरी 1948
श्रीलंका को इसी दिन ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली. इस दिन को यहां राष्ट्रीय छुट्टी रहती है और पूरे देश में समारोह मनाया जाता है.
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चीन 1 अक्टूबर 1949
चीन हर साल एक अक्टूबर को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है. इसी दिन थियानमेन चौक पर सेंट्रल पीपुल्स गर्वनमेंट का गठन हुआ था. हालांकि पीपुल्स रिपबल्कि ऑफ चाइना की स्थापना 21 सितंबर को ही हो गई थी लेकिन सरकार के गठन को ही चीन की सरकार ने आपना राष्ट्रीय दिवस घोषित किया.
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मलेशिया 31 अगस्त 1957
मलेशिया की आजादी आसपास के दूसरे देशों की तुलना में इसलिए थोड़ी अलग है क्योंकि इस मुल्क को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये हासिल हो गई. एक साल पहले तय हुए समझौते का इसी दिन सार्वजनिक एलान हुआ था.
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बांग्लादेश 26 मार्च 1971
पाकिस्तान का हिस्सा रहे इस धरती को शेख मुजीबुर रहमान ने आजाद घोषित कर दिया. इसके बाद 9 महीने के खूनी संघर्ष और भारत से मिले सैनिक सहयोग की बदौलत बाग्लादेश अपनी आजादी हासिल करने में कामयाब हुआ.
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नेपाल
हिमालय की तलहटी में बसा छोटा सा पहाड़ी देश नेपाल दुनिया का इकलौता मुल्क है जो कभी भी गुलाम नहीं रहा. यह अपने पूरे इतिहास में हमेशा आजाद रहा है.