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भारत से नाराज इटली, राजदूत बुलाया

१९ मई २०१२

इटली ने कहा है कि भारत से राजदूत को वापस बुलाने का उद्देश्य दो इटैलियन नौसैनिकों के मामले में भारत सरकार की कार्रवाई पर गहरी नाखुशी का संकेत देना है. उन पर दो मछुआरों की हत्या का आरोप है. अदालत ने जमानत याचिका ठुकराई.

तस्वीर: AP

शुक्रवार को राजदूत को वापस बुलाए जाने के बाद इटली और भारत के बीच तनावपूर्ण राजनयिक रिश्ते और बिगड़ गए. दोनों नौसैनिक एक व्यावसायिक जहाज की सैनिक सुरक्षा टीम के सदस्य थे. शुक्रवार को एक अदालत में उनके खिलाफ फरवरी में दो भारतीय नाविकों को मारने के आरोप में आरोप पत्र दाखिल किए गए. शनिवार को उन्हें जमानत की सुनवाई के लिए अदालत में पेश किया गया. अदालत ने यह कहकर जमानत याचिका ठुकरा दी कि इससे मुकदमे पर असर पर सकता है.

इटली के उप विदेश मंत्री श्टेफान डी मिस्तूरा नौसैनिकों की रिहाई के लिए तीसरी बार भारत का दौरा कर रहे हैं. वे इस समय केरल में हैं. उन्होंने कहा है कि राजदूत को वापस बुलाने का फैसला राजनयिक प्रयासों के विफल होने के बाद लिया गया है. मिस्तुरा ने कहा कि प्रधानमंत्री मारियो मोंटी मनमोहन सिंह को तीन बार फोन कर चुके हैं, रक्षा मंत्री भारत आ चुके हैं और वे खुद तीसरी बार भारत में हैं. मिस्तुरा ने कहा कि इसके अलावा नियोजित हत्या का बेतुका इल्जाम भी लगाया गया है. "यह गहरी नाखुशी का इजहार है."

तस्वीर: Fotolia/Karsten Thiele

इटली का कहना है कि नौसैनिकों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार क्षेत्र रोम होना चाहिए क्योंकि घटना अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में हुई है. लेकिन भारत सरकार का कहना है कि यह अदालत का मामला है और उसे इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. यह पूछे जाने पर कि क्या इससे इटली और भारत के रिश्ते खराब हुए हैं, मिस्तूरा ने कहा, "हम रिश्तों के खराब होने से बचने के लिए कड़ा संदेश भेज रहे हैं." भारतीय विदेश मंत्रालय ने राजदूत को वापस बुलाने के फैसले के महत्व को कम करते हुए कहा है कि यह ऐसा संकेत नहीं देता कि रिश्ते खराब हुए हैं.

दोनों नौसैनिक भारतीय सीमा के करीब एक व्यावसायिक जहाज को समुद्री डाकूओं से बचाने के लिए तैनात थे. उनका कहना है कि उन्होंने नाविकों के बोट को डाकूओं का बोट समझकर उन पर चेतावनी गोली चलाई थी. इस घटना में दो भारतीय मछुआरे मारे गए थे. दोनों नौसैनिकों के खिलाफ फरवरी में घटना के तुरंत बाद मछुआरों की हत्या का मुकदमा दायर किया गया. भारतीय कानून के अनुसार पुलिस जांच के बाद मुकदमा शुरू होने से पहले आरंभिक आरोपों को औपचारिक आरोप में बदला जाता है.

मुकदमे की सुनवाई की तारीख 25 मई को तय होगी. हत्या के एक आरोप में आजीवन कैद की सजा हो सकती है, जबकि दूसरे आरोप में मृत्यु दंड दिया जा सकता है. हालांकि केंद्र सरकार को इसकी पुष्टि करनी होगी. भारत ने कई सालों से मौत की सजा की तामील नहीं की है.

एमजे/एएम (रॉयटर्स)

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