भारत से 1300 अरब का कारोबारः मैर्केल
१ जून २०११![Indian Prime Manmohan Singh, right, talks with German Chancellor Angela Merkel during the signing ceremony, in New Delhi, India, Tuesday, Oct. 30, 2007. Merkel on Tuesday asked India to help in successfully concluding the World Trade Organization talks and tackling global warming issues as the two countries strive to boost ties in business, science and politics. (AP Photo/Manish Swarup)](https://static.dw.com/image/2858086_800.webp)
भारत की राजधानी में मंत्रियों के समूह को संबोधित करते हुए मैर्केल ने कहा कि दोनों देश कारोबार के क्षेत्र में विकास के लिए मिल कर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम 2012 तक 20 अरब यूरो (1300 अरब रुपये) का कारोबार करना चाहते हैं और हम सही रास्ते पर चल रहे हैं."
दोनों देशों के बीच इस वक्त 15 अरब यूरो का कारोबार होता है और यह हर साल करीब 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. इस्राएल के अलावा भारत सिर्फ दूसरा गैर यूरोपीय देश है, जिसके साथ जर्मनी ने मंत्रिस्तरीय बातचीत की है. मैर्केल के साथ उनके कैबिनेट के चार मंत्रियों और उच्च स्तरीय बिजनेस ग्रुप ने भारत का दौरा किया.
मैर्केल ने कहा, "यह हमारी साझीदारी बढ़ाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है." इस मौके पर भारत के प्रधानमंत्री ने भी जर्मन चांसलर की प्रशंसा की. मैर्केल को उनके भारत दौरे के दौरान ही प्रतिष्ठित नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उनसे पहले जर्मनी के पूर्व चांसलर हेल्मुट कोल, मदर टेरेसा और म्यांमार की आंग सांग सूची को भी यह पुरस्कार दिया जा चुका है.
दोनों देशों ने इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी दावेदारी की कोशिशें भी तेज कीं. भारत और जर्मनी दोनों इस वक्त अस्थायी सदस्य हैं और उन्हें स्थायी सदस्यता का पक्का दावेदार माना जाता है. मैर्केल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में बुनियादी बदलाव की जरूरत है क्योंकि वैश्विक स्तर पर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की स्थिति अब नहीं है. इस मौके पर प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, "अब 1945 की दुनिया नहीं रही."
इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री ने आईएमएफ के नए प्रमुख का भी मुद्दा उठाया और कहा कि कोई जरूरी नहीं कि यह पद सिर्फ यूरोपीय को ही जाए. उन्होंने कहा, "इस पद पर सर्वश्रेष्ठ योग्य व्यक्ति का हक होना चाहिए. यह राष्ट्रीयता के मापदंड पर नहीं परखा जाना चाहिए." हालांकि उन्होंने कहा कि मैर्केल के साथ बातचीत में यह मुद्दा नहीं उठा.
जर्मनी ने देश के सभी परमाणु संयंत्रों को 2022 तक बंद करने का एलान किया है. जबकि भारत अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु बिजली पर जो दे रहा है. इसी संदर्भ में दोनों नेताओं ने अक्षय ऊर्जा पर चर्चा की. भारत मौजूदा स्तर से कई गुना ज्यादा परमाणु बिजली पैदा करना चाहता है.
मैर्केल ने भारत के परमाणु कार्यक्रम की आलोचना किए बगैर कहा, "जर्मन नजरिए से हम पूरी दुनिया से अपील करेंगे कि वह परमाणु बिजली के लिए बेहद उच्च स्तर की सुरक्षा व्यवस्था करे." हालांकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट भी लगाने की योजना बना रहा है, जिसका जर्मनी ने समर्थन किया.
रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल
संपादनः महेश झा