24 जून से शुरू हुआ सप्ताह उत्तरी यूरोपीय देशों के पसीने छुड़ा रहा है. जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में प्रशासन ने गर्मी का अलर्ट जारी कर दिया है. विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया भर में गर्म हवाओं का सिलसिला बढ़ रहा है.
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गर्म हवाओं के चलते जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम जैसे देशों में गर्मी अपने चरम पर है. प्रशासन के मुताबिक आने वाले दिनों में मौसम और भी गर्म रह सकता है. जर्मनी में तापमान 40 डिग्री तक जाने के आसार हैं. अब तक जर्मनी में सबसे अधिक तापमान 38.2 डिग्री साल 1947 के दौरान फ्रेंकफर्ट में दर्ज किया गया था. जर्मनी आमतौर पर यूरोप का एक ठंडा देश माना जाता है, जहां घरों में आम तौर पर पंखे नहीं लगाए जाते लेकिन बढ़ती तपन के चलते अब लोग एसी, पंखे की ओर जाने लगे हैं.
जलवायु रिसर्चर आंद्रेयास मार्क्स ने जर्मनी में चल रही गर्म हवाओं की तुलना साल 2018 में पड़े सूखे से करने को लेकर लोगों को आगाह किया. एक जर्मन टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, "मौसम के लिहाज से 2018 एक भयानक साल था, और भयानक घटनाएं कभी-कभार ही होती हैं." गर्म मौसम के अलावा जंगलों में लगने वाली आग भी उत्तर पूर्वी इलाकों में जर्मन प्रशासन के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. जर्मन मौसम विभाग ने गर्मी के पिछले सभी रिकॉर्ड टूटने का अनुमान जताया है.
ये हैं दुनिया के सबसे गर्म देश
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते दुनिया के कई देश भीषण गर्मी के दौर से गुजर रहे हैं. वेबसाइट स्काइमेटवेदर डॉट कॉम ने दुनिया के दस सबसे गर्म देशों की सूची जारी है. भारत को भी इस सूची में जगह मिली है.
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सूडान
अफ्रीकी देश सूडान में साल भर गर्मी पड़ती है. बरसात के दिनों में भी यहां तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है. सूडान दुनिया का गर्म और सूखा देश है यहां औसतन तापमान 52 डिग्री के आसपास रहता है.
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ओमान
अरब दुनिया में शुमार ओमान दुनिया के रईस देशों में से एक है. अमीर होने के अलावा यह दुनिया में काफी गर्म भी रहता है. साल के पांच से छह महीने ओमान में तापमान 50 से 53 डिग्री के करीब रहता है.
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इराक
युद्धग्रस्त इराक के सामने गरीबी और बदहाली के अलावा गर्मी भी बड़ी समस्या है. मध्य पूर्व के देशों में तापमान औसतन 48 से 54 डिग्री के बीच बना रहता है. हालांकि इराक के उत्तरी इलाके पहाड़ी हैं जिसके चलते सर्दियों के दिनों में यहां बर्फ भी पड़ती है. लेकिन बाकी इराक काफी तपता है.
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भारत
एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले भारत में हर मौसम नजर आता है. कही सर्दी तो कही गर्मी. लेकिन हाल के सालों में देश में गर्मी का प्रकोप बढ़ा है. देश के बड़े हिस्से में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं. उत्तर भारत में तापमान 45 से 48 डिग्री होना अब आम बात है.
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मेक्सिको
मध्य अमेरिकी देश मेक्सिको में भी गर्मियों के दिनों में तापमान 50 डिग्री के पार पहुंच जाता है. बावजूद इसके मेक्सिको के तमाम समुद्री तटों पर दुनिया भर से लोग गर्मियों में छुट्टियां मनाने जाते हैं.
दक्षिणपूर्व एशिया में स्थित मलेशिया भूगौलिक रूप से भूमध्य रेखा के करीब है. इसके चलते यहां तीव्र जलवायु परिवर्तन होता है. साल भर तापमान 25 से 35 डिग्री के करीब बना रहता है लेकिन कभी तापमान 45 डिग्री को भी पार कर जाता है.
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अल्जीरिया
उत्तरी अफ्रीकी देश अल्जीरिया में दिन गर्म और रात बेहद ठंडी होती है. हालांकि यहां हल्की फुल्की बारिश भी होती रहती है. कई बार दिन में तापमान 50 डिग्री के करीब पहुंच जाता है. सर्दियों के दिनों में औसतन तापमान 25 डिग्री के करीब रहता है. यहां गर्मियां बेहद सख्त और उमस भरी होती हैं.
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सऊदी अरब
सऊदी के गर्म मौसम के लिए रेगिस्तान से आने वाली गर्म हवाएं जिम्मेदार हैं. इसलिए साल भर यहां तापमान 50 डिग्री के करीब बना रहता है. अन्य खाड़ी देशों की ही तरह सऊदी अरब में भी कम बारिश होती है और यही इसके उच्च तापमान का कारण है. दिन के वक्त यहां तापमान 52 डिग्री तक पहुंचना आम बात है.
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इथियोपिया
पूर्वी अफ्रीकी में स्थित मुस्लिम बहुल देश इथियोपिया भी गर्मी के कहर से जूझ रहा है. यह अफ्रीका का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. इथियोपिया के नाम ऐसे रिकॉर्ड भी हैं जब तापमान 63 डिग्री तक पहुंच गया है.
लीबिया में तापमान बढ़ने के चलते हर साल लोगों को तमाम तरह की त्वचा संबंधी बीमारियां होती है. गर्मी के दिनों में यहां तापमान 55 डिग्री तक पहुंच जाता है. दुनिया में अब तक का सबसे उच्चतम तापमान लीबिया में ही रिकॉर्ड किया गया था. साल 1922 में लीबिया में 57.8 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था.
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फ्रांस का हाल भी काफी कुछ जर्मनी जैसा ही है. फ्रांस के मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि तापमान 40 डिग्री तक पहुंच सकता है. फ्रांस के मौसम विभाग के इमानुएल दुमाएल ने कहा, "ये अभूतपूर्व मौसम है क्योंकि गर्मी जून में जल्दी शुरू हो गई. हमने साल 1947 के बाद से ऐसा कभी नहीं देखा."
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने भी लोगों से अतिरिक्त एतियात बरतने की अपील की है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक यूरोप में गर्म हवाएं बढ़ गई हैं, जो जलवायु परिवर्तन का परिणाम हैं. पोस्टडाम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च से जुड़े स्टेफान राह्मस्टोर्फ ने कहा, "गर्मी में इजाफा वैसा ही है जिसकी घोषणा जलावायु विज्ञान ने ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों के रूप में की थी. ग्लोबल वार्मिंग ग्रीनहाउस गैसों के चलते होती हैं."
अमेरिकी मेक्सिको बॉर्डर
गर्मी अमेरिका और उसके आसपास के इलाकों में भी परेशान कर रही है. अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक अमेरिकी-मेक्सिको बॉर्डर के पास गर्मी के चलते करीब सात प्रवासियों की मौत हो चुकी है. मध्य अमेरिकी देशों के कई परिवार अमेरिका में शरण चाहते हैं. मरने वालो में एक औरत और तीन बच्चे भी शामिल थे.
भारत में मरते बच्चे
वहीं भारत के बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम के चलते करीब 129 बच्चों की मौत हो चुकी है. स्थानीय भाषा में इसे चमकी बुखार भी कहा जाता है. प्रचंड गर्मी के मौसम में बीमारी फैलाने वाला वायरस ज्यादा सक्रिय होता है जिसके चलते ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे थे. हाल में हुई बारिश से इसके मामले कुछ थमते जरूर नजर आए हैं.
हाथ के पंखे नायाब होते जा रहे हैं. किसी जमाने में ऐसे पंखे बनाना हुनर माना जाता था. देखिए कुछ हाथ से चलने वाले नायाब पंखे.
तस्वीर: DW/J. Akhtar
19वीं सदी का पंखा
जाने माने पेंटर जतिन दास ने भुवनेश्वर में पंखों का एक म्यूजियम बनाया है. इसमें दुनिया भर से जमा किए गए 8.5 हजार से ज्यादा हाथ के पंखे हैं. इनमें से पांच सौ चुनिंदा पंखों को दिल्ली की प्रदर्शनी में पेश किया गया है. राधा और कृष्ण की तस्वीर वाला यह पंखा 19वीं सदी का है, जो कभी राजस्थान के नाथद्वार मंदिर में इस्तेमाल होता था.
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डांसिंग डॉल
फिल्म अभिनेत्री नंदिता दास के पिता जतिन दास के पंखों के कलेक्शन में भारत के अलावा चीन, जापान, कोरिया, बर्मा, बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया, अफ्रीका और मिस्र जैसे देशों के पंखे भी शामिल हैं. उनके मुताबिक इन पखों की कीमत दो हजार से लेकर बीस लाख रुपये तक है. यह तस्वीर एक जापानी पंखे की है जिसे डांसिंग डॉल का नाम दिया गया है.
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दुनिया भर के पंखे
76 वर्षीय जतिन दास कहते हैं कि वे जब भी किसी देश की यात्रा पर जाते हैं, तो वहां के पंखे हासिल करने की कोशिश करते हैं. उनके मुताबिक, "मैं भारत में किसी चौकीरदार, बावर्ची या चपरासी से कहता हूं कि वह अपनी मां के बनाए पंखे मुझे लाकर दे. पहले तो वे हंसते हैं लेकिन फिर अपने घर से पंखे लाकर देते हैं और वे नायाब होते हैं. इस तस्वीर में मौजूद पंखा चीन का है."
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इस्तांबुल का शाही पंखा
ये पंखा तुर्की के बादशाह के पंखे की नकल है. इसे इस्तांबुल के सोफिया म्यूजियम से हासिल किया गया. इस पंखे में मोती जड़े हैं और यह 18वीं सदी के आखिर का है. इस तरह के शाही पंखों में खालिस सोने का इस्तेमाल होता है और उनके किनारों पर मोती लगे होते हैं. इस पंखे को सफेद बत्तख और मोर के पंखों से तैयार किया जाता है.
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परों वाले पंखे
खूबसूरत परों वाले इन पंखों का इस्तेमाल कभी शाही परिवारों या फिर धार्मिक स्थलों पर किया जाता था. ये पर मोर, शुतुरमुर्ग, हंस या फिर दूसरे पक्षियों के होते हैं. परों को मिलाकर सिलाई की जाती है और उनके चारों तरफ बेहतरीन कपड़े या कीमती पत्थर लगाए जाते हैं. इन पंखों का इस्तेमाल मंदिरों में मूर्तियों को पंखा झलने में भी होता था.
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ताड़ के पंखे
ताड़ के पत्तों से बने पंखों का इस्तेमाल अब भी भारत और पाकिस्तान में खूब होता है. यहां तस्वीर में दिखाया गया पंखा मंदिरों के शहर बनारस से है. इन पंखों को खूबसूरत बनाने के लिए इन पर पेंटिग भी की जाती है. जतिन दास कहते हैं कि इस संग्रह को उन्होंने पिछले 40 बरसों के दौरान जमा किया है.
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कसीदाकारी वाले पंखे
कभी कभी कसीदाकारी को भावनाएं व्यक्त करने का माध्यम भी बनाया जाता है. खूबसूरत डिजाइन और दिलचस्प पैटर्न वाले ये पंखे दस्तकारों के महारथ का सबूत है. इनमें अलग अलग की तरह की सिलाई होती है. इन्हें शीशों और पत्थरों से सजाया जाता है. अपनी खूबसूरती की वजह से यह कई बार दुल्हन के दहेज का भी हिस्सा होते हैं.
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खस के पंखे
खस एक किस्म की घास है, जो भींगने के बाद बहुत अच्छी खुशबू देती है. इसीलिए इन पंखों को इस्तेमाल करने से पहले पानी से भिगोया जाता है. एक जमाने में घरों में खस के पंखे बहुत आम थे, लेकिन अब ये कहीं कहीं ही दिखाई देते हैं. ऐसे पंखों के दस्ते यानी उनके पकड़ने वाली जगह आम तौर पर बांस की बनी होती है.
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रंग बिरंगे पंखे
दस्ती पंखे कई तरह की घास के बनाए जाते हैं. अलग अलग रंगों का इस्तेमाल कर इन्हें खूबसूरत बनाया जाता है. उप महाद्वीप में यह हुनर मां से बेटी को मिलता है. भारत के उत्तर प्रदेश और उड़ीसा राज्यों में इस तरह की घास के पंखे बनाए जाते हैं. आम तौर पर गांवों में बिजली गुल रहने की वजह से इन पंखों का खूब इस्तेमाल होता है.
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जरदोजी वाले पंखे
जरदोजी एक तरह की कसीदाकारी ही है लेकिन इसमें मखमल के कपड़े पर चांदी या सोने के धागे से कढ़ाई की जाती है. इसके लिए एक खास तरह की सुई इस्तेमाल की जाती है. किसी पेंसिल या स्टेंसिल के जरिए डिजाइन उतारा जाता है और फिर उस पर जरदोजी की जाती है. इसे और खूबसूरत बनाने के लिए इसमें मोती या पत्थर लगाए जाते हैं.
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मोतियों वाले पंखे
इस तरह के मोतियों वाले पंखे तैयार करने में काफी मेहनत लगती है. ऐसे पंखे गुजरात के कच्छ इलाके में बनाए जाते हैं. आदिवासी महिलाओं को इन्हें तैयार करने में महारथ है. वे पंखों पर डिजाइन बनाने के लिए प्लास्टिक के धागों का इस्तेमाल करती हैं. पंखे के किनारों को सुंदर बनाने के लिए आम तौर पर ऊन या धागे का इस्तेमाल किया जाता है.
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चमड़े के पंखे
ये पंखे आम तौर पर भारत के पश्चिमी हिस्से में मिलते हैं. पुरूष इन पंखों को खास तौर पर पसंद करते हैं. एक खास तकनीक से इन पर पैटर्न बनाए जाते हैं. शीशे और पत्थर भी लगाए जाते हैं. ऐसे पंखे बनाने के लिए आम तौर पर ऊंट का चमड़ा इस्लेमाल होता है. अफ्रीका और इंडोनेशिया में भी चमड़े के पंखे लोकप्रिय हैं.
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धातु के पंखे
धातु के इस्तेमाल से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है. इससे पंखे भी बनाए जाते हैं. ऐसे पंखे तैयार करने में आम तौर पर चांदी या तांबे का इस्तेमाल किया जाता है. इन पंखों को शाही या धार्मिक कार्यक्रमों में प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इन पर बेहद बारीकी से नक्काशी की जाती है.
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यादगार पंखे
किसी जमाने में खास कार्यक्रमों के लिए विशेष पंखे तैयार किए जाते थे. ये अलग अलग साइज और डिजाइन के होते हैं. इन पर कई बार विशेष कार्यक्रमों के आयोजकों का नाम भी होता है, ताकि उन्हें बाद में भी याद रखा जा सके. यह तस्वीर इसी तरह के एक यादगार पंखे की है.
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बांस के पंखे
बांस का इस्तेमाल अलग अलग चीजें तैयार करने के लिए किया जाता है. दुनिया के बहुत से हिस्सों में बांस के पंखे लोकप्रिय हैं. इसके लिए पहले बांस से पतली तैयार की जाती हैं. उन्हें अलग अलग रंगों में रंगा जाता है और फिर अपनी पसंद के डिजाइन के हिसाब से उनसे पंखे तैयार किए जाते हैं.