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भारी दबाव में काम करते थे न्यूज ऑफ द वर्ल्ड के पत्रकार

१८ जुलाई २०११

रेबेका ब्रुक्स गिरफ्तारी के बाद भी इस बात पर जोर दे रही हैं कि उन्हें फोन हैकिंग की कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन न्यूज ऑफ द वर्ल्ड के कुछ पूर्व पत्रकारों के न्यूजरूम के तनाव के बारे में खुलासे कुछ और ही तस्वीर दिखाते हैं.

A News of the World sign is seen by an entrance to a News International building in London, Wednesday, July 6, 2011. Britain's tabloid phone hacking scandal dominated the airways Wednesday as it swelled to allegedly involve more missing schoolgirls and the families of London terror victims. News International, the British linchpin of Rupert Murdoch's global News Corp. media empire, was under intense pressure due to its News of the World tabloid, which has admitted hacking into the phones of celebrities but now stands accused of possibly interfering with police investigations into missing girls who were found murdered. (Foto:Matt Dunham/AP/dapd)
तस्वीर: dapd

न्यूज ऑफ द वर्ल्ड के न्यूजरूम के बारे में एक पूर्व रिपोर्टर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "वह एक ऐसी जगह थी जहां से जब आप एक बार बाहर आ जाएं, तो आपका दोबारा वहां जाने का मन ही नहीं करेगा." अपनी पहचान न बताने की शर्त पर इस पत्रकार ने बताया कि न्यूजरूम में माहौल हमेशा तनाव से भरा होता था और रिपोर्टरों पर नई और सनसनीखेज कहानियां लाने का दबाव बना रहता था.

एक अन्य पूर्व पत्रकाए ने बताया, "हम पेशेवर मुजरिमों से बात किया करते थे. हमारे लिए यह शान की बात होती थी. हम एक दूसरे से कुछ इस तरह बात करते थे, मेरा सूत्र तुम्हारे सूत्र से ज्यादा खतरनाक है, मेरे वाले ने तो खून भी किए हैं. हां, इसका एक यह फायदा जरूर होता था कि हम रौब जमा सकते थे कि जरूरत पड़ने पर हम गुंडों को भी बुला सकते हैं, क्योंकि हमारे उनसे अच्छे संबंध हैं."

रेबेका ब्रुक्सतस्वीर: picture alliance/dpa

ब्रुक्स खुद बांटती थी काम

रॉयटर्स ने न्यूज ऑफ द वर्ल्ड के चार पूर्व पत्रकारों से बात की. उन्होंने बताया कि 2000 से 2003 के बीच जब रेबेका ब्रुक्स संपादक के रूप में काम कर रही थी, तब वह खुद इस बात का ध्यान रखती थी कि कौन सा पत्रकार कितनी संसनीखेज कहानी पर काम कर रहा है. यदि पत्रकार अपने सूत्रों से कहानियां निकलवाने में कामयाब न हो, तो उसे जवाबदेही के लिए बुलाया जाता था, "वो अंदर जाते थे और हर रोज दो घंटों तक उनसे सवल जवाब होता था. इस पूरे समय में उनसे केवल कहानी पर ही चर्चा होती थी." सात साल तक न्यूज ऑफ द वर्ल्ड में काम करने वाले इस पत्रकार ने कहा कि ब्रुक्स का हैकिंग के बारे में कुछ न जानने का दावा बिलकुल गलत है. जो हुआ वो उन्हीं के इशारों पर हुआ.

न्यूज ऑफ द वर्ल्ड की रिपोर्टों पर पहली बार सवाल तब उठे जब प्रिंस विलियम के घुटने की चोट के बारे में खबर छपी. इस खबर से पहली बार इस बात पर शक गया कि अखबार फोन हैक करा रहा है. पूर्व पत्रकारों का कहना है कि ऐसा मुमकिन ही नहीं है कि संपादक की जानकारी के बिना ही कहानियां छप गईं. उनका कहना है कि कोई भी कहानी करने से पहले अनुमति लेनी पड़ती थी और इनके लिए बजट भी अलग से ही रखा जाता था, क्योंकि अखबार के पास उतना पैसा नहीं था जितना लोग सोचते हैं. इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि कहानियों के लिए पत्रकारों को पैसा दिया गया और इस बात पर किसी का ध्यान ही नहीं गया.

तस्वीर: picture alliance/dpa

नौकरी खोने का डर

ब्रुक्स के संपादक बनने के बाद से अखबार के पहले पन्ने पर सेलेब्रिटीज की निजी जिंदगी के बार में मसालेदार खबरों की संख्या बढ़ने लगी. एक पूर्व पत्रकार ने बताया कि वे जानते थे कि वो जो कर रहे हैं वह गैरकानूनी है, "वहां बस एक ही नियम था- कुछ भी करो, बस पकड़े मत जाओ. वहां कोई उठ कर यह नहीं कह सकता था कि यह मेरे विचार में अनैतिक है. अगर आप ऐसा कहते तो सब आप पर हंसते."

पत्रकार ने बताया कि सेलेब्रिटी शो 'बिग ब्रदर' की कहानियां निकलवाने के लिए न्यूज ऑफ द वर्ल्ड के दफ्तर में फॉर्म बांटे गए थे और हर कर्मचारी से कहा गया था कि वे शो में जाने के लिए फॉर्म भरें, ताकि यदि किसी एक को भी अंदर जाने का मौका मिल जाए तो वहां की पूरी जानकारी अखबार तक पहुंच सके.

पत्रकार ने यह भी बताया कि सभी कर्मचारियों में इस बात का डर था कि अगर वे सनसनीखेज खबरें नहीं लाएंगे, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा. साथ ही अगर कोई कहानी को लेकर कहीं अटक जाए या सूत्रों से जानकारी न निकलवा पाए तो उसे मदद भी मिलती थी, "आपके डेस्क पर सामान कहां से आ गया, यह न तो आपको पता होता था और ना ही पूछते थे. हर हफ्ते किसी के मोबाईल के या घर के फोन के रिकॉर्ड या फिर मेडिकल रिकॉर्ड आपकी टेबल पर होते थे. यह एक आम चलन था."

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ ईशा भाटिया

संपादन: ओ सिंह

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