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भारी बारिश में डूबा डरबन, 59 लोगों की मौत

१३ अप्रैल २०२२

भारी बरसात में डूबे दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में बड़े पैमाने पर राहत और बचाव का काम शुरू हुआ है. भारी बारिश में पहाड़ के आसपास की बस्तियां और घर बह गए हैं, दर्जनों लोग लापता हैं और कम-से कम 59 लोगों की मौत हो चुकी है.

पहाड़ी ढलान वाले इलाकों में काफी नुकसान हुआ है
पहाड़ी ढलान वाले इलाकों में काफी नुकसान हुआ हैतस्वीर: ROGAN WARD/REUTERS

बीते 60 सालों की सबसे भयानक बारिश के बाद उप सहारा अफ्रीका के सबसे बड़े बंदरगाह पर कामकाज ठप्प हो गया है क्योंकि यहां तक लाने वाली मुख्य सड़क को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. हालत यह है कि शिपिंग कंटेनर जहां-तहां बिखरे पड़े हैं और बह कर आए कंटेनर जगह-जगह जमा होकर धातु का पहाड़ बन गए हैं. कई सारी सड़कों के तो बड़े हिस्से बह गए हैं और जमीन पर बड़े ट्रक समा जाएं, इतने बड़े गड्ढे बन गए हैं.

लोगों ने बह कर आए शिपिंग कंटेनरों से लूटपाट भी की हैतस्वीर: ROGAN WARD/REUTERS

क्लेरमोंट का यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च मलबे के ढेर में बदल गया है. यहां एक दीवार गिरने से एक स्थानीय परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई. पहाड़ी इलाकों में बने घरों का भी बुरा हाल है. कुछ घर जो रहस्यमय तरीके से बच गए हैं, उनके नीचे की जमीन भूस्खलन में बह गई है. राष्ट्रपति सिरील रामफोसा ने पीड़ितों से मुलाकात के बाद कहा, "हम ऐसी आपदाएं मोजाम्बिक और जिम्मबाब्वे में देखते थे, लेकिन अब हम भी उनकी चपेट में आ गए हैं."

किसी के घर की छत टूटी है तो किसी के घर के नीचे की जमीन ही बह गईतस्वीर: ROGAN WARD/REUTERS

पड़ोसी देशों में आती रही हैं ऐसी आपदाएं

दक्षिण अफ्रीका के पड़ोसी देश इस तरह की आपदाओं का सामना हर साल करते हैं. उष्णकटिबंधीय तूफानों के कारण हर साल पड़ोसी देशों में बर्बादी होती है. हिंद महासागर से उठने वाले तूफानों से अब तक दक्षिण अफ्रीका बचता आया है. हालांकि इस बार की बारिश उष्णकटिबंधीय नहीं बल्कि मौसम के कारण है. यह मौसम देश के ज्यादातर हिस्सों में भारी बारिश और ठंड ले कर आया है.

बीच मलबे का ढेर बन गया हैतस्वीर: ROGAN WARD/REUTERS

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जब आंधी गर्म और ज्यादा नमी वाले क्वाजुलु-नताल (केजेडएन) राज्य में पहुंची, तो वहां और ज्यादा बारिश हुई. डरबन इसी राज्य में है. राष्ट्रीय मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "बीते 48 घंटे में केजेडएन के कुछ हिस्सों में 450 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई है." डरबन में पूरे साल में औसतन 1,009 मिलीमीटर बारिश होती है. इससे समझा जा सकता है कि तबाही कितनी ज्यादा है. मौसम विभाग का कहना है कि राज्य के कुछ हिस्सों में अभी भी बारिश हो रही है, लेकिन शाम तक वह भी रुक जाएगी.

शहरी ढांचे को बहुत नुकसान पहुंचा है

डरबन बीते साल दंगों की चपेट में था. इन दंगों में 350 से ज्यादा लोगों की जान गई. अब बारिश ने यहां की हालत बिगाड़ दी है. बारिश के बाद जो स्कूल बाढ़ की चपेट में नहीं आए, वे बुधवार को खुले तो जरूर, लेकिन कम ही छात्र पढ़ने आए. नेशनल पुलिस ने इलाके में 300 अतिरिक्त अधिकारियों को तैनात किया है. राहत के काम में एयरफोर्स के कई विमान लगाए गए हैं. कई दिनों की बारिश के कारण बहुत से इलाकों में पानी भर गया है, मकान गिर गए हैं और पूरे शहर का बुनियादी ढांचा हिल गया है.

जहां तहां शिपिंग कंटेनर बिखरे पड़े हैंतस्वीर: ROGAN WARD/REUTERS

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भूस्खलन के कारण पूरे प्रांत में रेल सेवा निलंबित हो गई है. हाई-वे पर तो इतना पानी जमा हो गया है कि सिर्फ ट्रैफिक लाइट का ऊपरी हिस्सा ही नजर आ रहा है. दूर से देखने पर वे किसी पनडुब्बी के पेरिस्कोप की तरह लग रहे हैं. लगातार बारिश के चलते कई पुल टूट गए हैं, कारें डूबी पड़ी हैं. एक फ्यूल टैंकर सड़क से बह कर समंदर में गिर गया है. 2,000 से ज्यादा घर और 4,000 से ज्यादा झुग्गियां ध्वस्त हो गई हैं. इससे पहले यहां 2019 में बाढ़ आई थी, जिसमें 70 लोगों की मौत हुई थी. दक्षिण अफ्रिका का दक्षिणी हिस्सा जो औद्योगिक रूप से विकसित है, वहां बीते सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण कई मुश्किलें आई हैं और उनका रूप लगातार विकराल होता जा रहा है.

एनआर/एसएम(एएफपी)

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