भुखमरी के सामने बेबस गरीब दुनिया
८ जुलाई २०११वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र के सभी 192 सदस्य देशों ने आठ सहस्राब्दी विकास लक्ष्य निर्धारित किए थे जिन्हें 2015 तक हासिल किया जाना है. 2011 की प्रगति रिपोर्ट दिखाती हैं कि अत्यधिक गरीबी और भुखमरी को खत्म करने से पहले लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मिले जुले नतीजे मिले हैं. पहले विकास लक्ष्य के तहत उन लोगों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी लाई जानी है जो कुपोषण का शिकार हैं. लेकिन आंकड़े दिखाते हैं कि ऐसे लोगों का अनुपात 1990 में बीस प्रतिशत के मुकाबले घट कर सिर्फ 16 प्रतिशत ही हो पाया है.
रिपोर्ट कहती है, "विकासशील देशों में 2005-07 में भूखे रहने वाले लोगों की संख्या 16 प्रतिशत पर स्थिर है, हालांकि अत्यधिक गरीबी से निपटने में खासी सफलता मिली है. इस रुझान के आधार पर आर्थिक संकट और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए विकासशील दुनिया के बहुत से इलाकों में भुखमरी में कटौती के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल है."
भुखमरी से जूझती गरीब दुनिया से जुड़े ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब हॉर्न ऑफ अफ्रीका कहे जाने वाले अफ्रीकी महाद्वीप के सोमालिया, इथोपिया और इरीट्रिया जैसे देशों के कई हिस्सों में विकट सूखे की स्थिति है. संयुक्त राष्ट्र से इसे 60 साल का सबसे भयंकर सूखा बताया है जिससे एक करोड़ लोग प्रभावित हैं.
संयुक्त राष्ट्र की प्रगति रिपोर्ट में इस तथ्य को लेकर भी चिंता जताई गई है कि दुनिया भर में भूखे रहने वाले लोगों के अनुपात में बड़ी कमी नहीं आ रही है जबकि अत्यधिक गरीबी में कमी आई है. रिपोर्ट कहती है, "गरीबी में कमी और भुखमरी बने रहने के चलते विकासशील दुनिया में भोजन तक पहुंच को तय करने की वाली व्यवस्था की तरफ नए सिरे से ध्यान जाता है." संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी इस साल अपनी नीति की व्यापक समीक्षा करेगी.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विकासशील देशों और खासकर एशिया में कुछ देशों की तेज आर्थिक प्रगति के चलते भूखे रहने वालों की संख्या 50 फीसदी कम करने में मदद मिलेगी. इनमें से ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी एक डॉलर से भी कम पर बसर कर रहे हैं. आर्थिक और वित्तीय संकट के बावजूद मौजूदा रुझान से पता चलता है कि विकासशील दुनिया में वृद्धि की गति बराबर मजबूत बनी हुई है जिससे दुनिया भर में गरीबी को कम करने के लक्ष्य को काफी हद तक हासिल किया जा सकता है.
वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में 2015 तक गरीबी दर घट कर 15 प्रतिशत से कम हो जाएगी, जो 23 प्रतिशत के लक्ष्य से काफी कम है. रिपोर्ट के मुताबिक, "सबसे तेज वृद्धि और गरीबी में सबसे तेज कटौती पूर्वी एशिया और खास कर चीन में देखने को मिल रही है जहां गरीबी दर 2015 तक घट कर 5 प्रतिशत से कम हो जाएगी." भारत में गरीबी दर 1990 के 51 प्रतिशत के आंकड़े से घट कर 2015 तक 22 प्रतिशत हो जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में मिली कामयाबी की सराहना की है लेकिन कहा है कि अभी लंबा सफर तय करना है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह