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भुखमरी रोकने की एक और योजना

१८ अक्टूबर २०११

खाने की कमी से कंकाल हो गए सोमाली बच्चों की तस्वीरें दुनिया भर की आंखों में तैर रही हैं. भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या अभी भी बढ़ती जा रही है. संयुक्त राष्ट्र भुखमरी और खाने की चीजों की कीमतों पर विचार कर रहा है.

तस्वीर: dpa

फ्रांस के कृषि मंत्री ब्रूनो ले मायर ने रोम में कहा, "वह मॉडल जिसके आधार पर उत्तर के धनी देश दक्षिण के गरीबों को खिलाने के लिए उत्पादन बढ़ा रहे हैं, अब वह चलने लायक नहीं है."इस समय जी-20 की अध्यक्षता कर रहे फ्रांस के कृषि मंत्री का मानना है कि अब नई खोजों के जरिए दक्षिण को खुद अपना पोषण करने की संभावना देनी होगी. कीमतों को स्थायी रखने की दिशा में यह जरूरी कदम होगा. जी-20 के कृषि मंत्री फ्रांसीसी शहर कान में होने वाली शिखर भेंट में इसके लिए नई कार्य योजना पेश करेंगे.

इटली की राजधानी रोम में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) का मुख्यालय है और हर साल यहां इस मुद्दे पर शिखर बैठक होती है.

तस्वीर: DW

गरीब बनाती महंगाई

एफएओ के अनुसार 2005 से 2008 के बीच खाद्य पदार्थों की कीमतें चढ़कर पिछले 30 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. इसका नतीजा न सिर्फ भुखमरी, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता के रूप में भी सामने आया है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2010 और 2011 के बीच खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण 7 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए.

जर्मन कृषि मंत्री इल्जे आइगनर प्रभावित देशों में कृषि संसाधनों की सुरक्षा की बात कह रहे हैं. उनका कहना है, "आबादी के गरीब तबके के लोगों के लिए खासकर खेतों तक पहुंच की सुरक्षा करनी होगी." वे खाद्य सुरक्षा के लिए सरकारी और गैर सरकारी निवेश को जरूरी मानती हैं. "लेकिन वे तभी फायदेमंद साबित होंगे जब उनकी स्थायी सुरक्षा होगी और स्थानीय आबादी को इसका नुकसान न हो."आइगनर का कहना है कि जर्मनी और यूरोपीय देश अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्य नियमों की वकालत कर रहे हैं जिसके आधार पर निवेशक और सरकारें कदम उठा सकें.

गरीबों के अधिकार की रक्षा

इन नियमों की मदद से इस बात को रोका जा सकेगा कि जमीन की खरीद या लीजिंग करते समय निवेशक गरीब लोगों के अधिकारों और जरूरतों की अवहेलना करें, जो पहले उस जमीन पर काम करते थे, या उसके सहारे आजीविका चलाते थे.

तस्वीर: DW

इन नियमों का उद्देश्य देहाती इलाके के गरीब लोगों के अधिकारों की रक्षा है. इनके अमल से निवेशक गरीबों की जमीन खरीद कर उनकी रोजी रोटी नहीं छीन सकेंगे. एक अनुमान के अनुसार पिछले सालों में विकासशील देशों के देहाती इलाकों में 5 से 8 करोड़ हेक्टर जमीन विदेशी निवेशकों ने खरीदी है.

खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार विश्व भर में लगभग 92 करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी के शिकार हैं. सिर्फ हॉर्न ऑफ अफ्रीका में ही नहीं बल्कि कम से कम 26 देशों में स्थिति को अत्यंत गंभीर बताया गया है.

रोम की बैठक में अंतरराष्ट्रीय समुदाय जमीन की खरीद के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों पर सहमत नहीं हो पाए. अगले साल की शुरुआत में इस पर दोबारा विचार किया जाएगा.

रिपोर्टः डीपीए/रॉयटर्स/महेश झा

संपादन:ए जमाल

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