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भूकंप में मुस्कुराता टोरे मायो टावर

१ फ़रवरी २०१३

अगर आपको पता चले कि जिस जमीन पर आप खड़े हैं वह भूकंप के लिहाज से दुनिया का सबसे संवेदनशील इलाका है, तो क्या आप गगनचुंबी इमारत बनाने की सोचेंगे, शायद नहीं. मंथन के नए अंक में निपटेंगे भूकंप की ऐसी चुनौतियों से.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

मेक्सिको की राजधानी मेक्सिको सिटी भूकंप के लिहाज से ये बेहद संवेदनशील इलाका है. वैज्ञानिकों के मुताबिक कई सौ साल पहले शहर की जगह एक झील हुआ करती थी. झील धीरे धीरे सूख गई और शहर बसना शुरू हो गया. लेकिन आए दिन जब भूकंप आने लगे तो लोगों को एहसास हुआ कि न्यू मेक्सिको सिटी की जमीन में कुछ दिक्कत है. जांच में पता चला कि झील की वजह से शहर के नीचे की जमीन दलदली और परतदार है. भूकंप आने पर यह सामान्य जमीन से अलग व्यवहार करती है और भूकंप की तीव्रता को बढ़ा देती है.

लेकिन मेक्सिको सिटी में वैज्ञानिकों ने इस मुश्किल का इलाज खोज निकाला. वहां खास शॉक एब्जॉर्वर तकनीक की मदद से टोरे मायो टावर खड़ा कर दिया गया. यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है. पिछले दस साल में इस इमारत ने भूकंप के कई झटके झेले हैं और इस पर कोई असर नहीं पड़ा है. 2003 में जब मेक्सिको में 6.7 तीव्रता का भूकंप आया तो टोरे मायो के अंदर लोगों को एहसास तक नहीं हुआ. असल में इमारत का भीतर और बाहरी ढांचा दर्जनों को शॉकरों से कसा हुआ है. शॉक एब्जॉर्वर भूकंप के झटकों को सोख लेते हैं.

कार्यक्रम में टोरे मायो और शॉक एब्जॉर्वर तकनीक पर बातचीत की गई है. एक मॉडल के जरिए यह समझाने की कोशिश की गई है कि भूकंप में इमारतें कैसे अलग अलग व्यवहार करती हैं.

टोरे मायो टावर से शहर का नजारातस्वीर: picture-alliance/dpa

इस बार मंथन में खास रिपोर्टें मधुमक्खियों पर भी हैं. हाल के सालों में मधुमक्खियों के झुंड के झुंड खत्म होते जा रहे हैं. वैज्ञानिक पंद्रह साल से इस गुत्थी को सुलझाने में लगे रहे कि ऐसा क्यों हो रहा है. अब समझ आया है कि बीमारी की वजह से ऐसा हो रहा है. खेतों में इस्तेमाल होने वाले कुछ कीटनाशक मधुमक्खियों के लिए घातक साबित हो रहे हैं. मधुमक्खियां दूसरी बीमारियों की तरह यूं ही नहीं मर जातीं, बल्कि पूरा का पूरा झुंड कमजोर होने लगता है. इसे कॉलोनी कोलेप्स डिसऑर्डर या सीसीडी कहते हैं. इसकी संभावित वजह बारोवा कीटाणु हैं, जो मधुमक्खियों के लारवा तक पहुंच जाते हैं. नतीजतन ऐसी मधुमक्खियां पैदा होती हैं, जो उड़ नहीं सकतीं और अकसर बीमार रहती हैं. सीसीडी के लक्षण के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है. लेकिन उसकी वजह का अभी भी पता नहीं लग पाया है.

मधुमक्खियां या दूसरी जंगली मक्खियां परागण में बड़ी भूमिका निभाती हैं. अगर ये उजड़ गईं तो इंसान के लिए अन्न और फल उगाने मुश्किल हो जाएंगे. यही वजह है कि सीसीडी पर काबू पाने की कोशिश अमेरिका के साथ साथ यूरोप के कई देशों में भी चल रही है.

वैसे जर्मनी में तो अब लोग शौकिया तौर पर भी मधुमक्खियां पाल रहे हैं. यहां करीब 500 तरह की मधुमक्खियां हैं. वैसे तो गांव देहात में इन्हें लम्बे समय से पाला जाता रहा है, लेकिन अब शहरों में भी इसका चलन बढ़ रहा है.  माना जाता है कि अच्छे रसदार फूल, बाग बगीचे और ढेर सारा पानी हो तो मधुमक्खियां भी बड़े शहरों में रहना पंसद करती हैं.

मधुमक्खियों की आबादी कम होने की एक बड़ी वजह मोबाइल फोन के इस्तेमाल को माना जाता है. मोबाइल से निकलने वाले सिग्नल इनके लिए घातक साबित होते हैं. लेकिन आज की आधुनिक दुनिया में बिना मोबाइल के जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती. हर रोज नए मोबाइल ऐप बाजार में आ रहे हैं. ऐसा ऐप भी आ गया है, जो स्कीइंग के रास्ते बताता है और रफ्तार भी.

इन रिपोर्टों के साथ मंथन का नया अंक शनिवार सुबह साढ़े दस बजे दूर्शदर्शन नेशनल (डीडी 1) पर प्रसारित होगा. रिपोर्टों और कार्यक्रम से जुड़े सवाल, शिकायतें और सुझाव आप डॉयचे वेले हिंदी फेसबुक पेज के जरिए या hindi@dw.de पर ईमेल कर हम तक पहुंचा सकते हैं.

आईबी/ओएसजे

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