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सुझावों का स्वागत

२५ फ़रवरी २०१५

सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए कांग्रेस ने भी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया. बीजेपी ने इसे कांग्रेस का दोहरा चेहरा बताया. सरकार ने सुझावों का स्वागत भी किया.

तस्वीर: UNI

दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना हजारे के दो दिन के प्रदर्शन के बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध करने वहां जुटी. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के नेता राज बब्बर ने कहा, "यह विधेयक किसान विरोधी है. हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. सरकार को किसानों के हितों की सुरक्षा करनी होगी." इस दौरान जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और सुबोध कांत सहाय जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी मौजूद थे.

2013 में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था. मोदी सरकार इसमें पांच बड़े बदलाव करना चाह रही है. कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा कानून में संशोधन करने के लिए लाया गया विधेयक किसान विरोधी है. भूमि अधिग्रहण विधेयक को मंगलवार को लोक सभा में पेश किया गया. इस दौरान सदन में खासा हंगामा हुआ. पूरा विपक्ष वॉक आउट कर गया.

बिल का विरोध गांधीवादी समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी कर रहे हैं. अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अन्ना ने दिल्ली आकर दो दिन तक प्रदर्शन भी किया. मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अन्ना के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.

बिल को कैसे मिलेगी हरी झंडीतस्वीर: picture-alliance/dpa

एनडीए सरकार में शामिल शिव सेना ने भी मौजूदा विधेयक का विरोध किया है. शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "शिव सेना ऐसे किसी भी कानून का समर्थन नहीं करेगी जो किसानों के हित के खिलाफ जाता हो." एनडीए में शामिल लोक जन शक्ति पार्टी ने भी बिल का विरोध किया है.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर शंका जताई है. एमनेस्टी इंटरनेशल की वार्षिक रिपोर्ट 2015 में आशंका जताई गई है कि नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश हजारों भारतीयों के सामने बल पूर्वक हटाये जाने का जोखिम पैदा कर सकता है.

घटक दलों और विपक्षी दलों के विरोध के बीच बुधवार को सरकार ने अपने रुख में नरमी का संकेत दिया. सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "हम दूसरी पार्टियों के अच्छे सुझावों को अपनाने के लिए तैयार है." उन्होंने एक बार फिर कहा कि विधेयक किसानों और गरीबों के हित में है.

बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल बिल को बेवजह गरीब और किसान विरोधी करार दे रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री एम वैंकया नायडू ने लोक सभा में कहा कि यह अध्यादेश आपातकालीन जरूरत जैसा है. नायडू ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीते 10 साल में अर्थव्यवस्था में "विकास की छुट्टी" कर दी गई थी, इसे अब पटरी पर लौटाना जरूरी है.

एक मोटे अनुमान के तौर पर भारत को हर महीने 10 लाख रोजगार पैदा करने की जरूरत है. लेकिन सुधारों के अभाव और अति लालफीताशाही की वजह से कई योजनाएं प्लानिंग से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. निर्माण क्षेत्र और आभारभूत ढांचे के मामले में देश आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

ओएसजे/आरआर (पीटीआई)

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