सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए कांग्रेस ने भी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया. बीजेपी ने इसे कांग्रेस का दोहरा चेहरा बताया. सरकार ने सुझावों का स्वागत भी किया.
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दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना हजारे के दो दिन के प्रदर्शन के बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध करने वहां जुटी. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के नेता राज बब्बर ने कहा, "यह विधेयक किसान विरोधी है. हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. सरकार को किसानों के हितों की सुरक्षा करनी होगी." इस दौरान जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और सुबोध कांत सहाय जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी मौजूद थे.
2013 में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था. मोदी सरकार इसमें पांच बड़े बदलाव करना चाह रही है. कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा कानून में संशोधन करने के लिए लाया गया विधेयक किसान विरोधी है. भूमि अधिग्रहण विधेयक को मंगलवार को लोक सभा में पेश किया गया. इस दौरान सदन में खासा हंगामा हुआ. पूरा विपक्ष वॉक आउट कर गया.
बिल का विरोध गांधीवादी समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी कर रहे हैं. अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अन्ना ने दिल्ली आकर दो दिन तक प्रदर्शन भी किया. मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अन्ना के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.
एनडीए सरकार में शामिल शिव सेना ने भी मौजूदा विधेयक का विरोध किया है. शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "शिव सेना ऐसे किसी भी कानून का समर्थन नहीं करेगी जो किसानों के हित के खिलाफ जाता हो." एनडीए में शामिल लोक जन शक्ति पार्टी ने भी बिल का विरोध किया है.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर शंका जताई है. एमनेस्टी इंटरनेशल की वार्षिक रिपोर्ट 2015 में आशंका जताई गई है कि नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश हजारों भारतीयों के सामने बल पूर्वक हटाये जाने का जोखिम पैदा कर सकता है.
घटक दलों और विपक्षी दलों के विरोध के बीच बुधवार को सरकार ने अपने रुख में नरमी का संकेत दिया. सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "हम दूसरी पार्टियों के अच्छे सुझावों को अपनाने के लिए तैयार है." उन्होंने एक बार फिर कहा कि विधेयक किसानों और गरीबों के हित में है.
बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल बिल को बेवजह गरीब और किसान विरोधी करार दे रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री एम वैंकया नायडू ने लोक सभा में कहा कि यह अध्यादेश आपातकालीन जरूरत जैसा है. नायडू ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीते 10 साल में अर्थव्यवस्था में "विकास की छुट्टी" कर दी गई थी, इसे अब पटरी पर लौटाना जरूरी है.
एक मोटे अनुमान के तौर पर भारत को हर महीने 10 लाख रोजगार पैदा करने की जरूरत है. लेकिन सुधारों के अभाव और अति लालफीताशाही की वजह से कई योजनाएं प्लानिंग से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. निर्माण क्षेत्र और आभारभूत ढांचे के मामले में देश आगे नहीं बढ़ पा रहा है.
ओएसजे/आरआर (पीटीआई)
खुद को खोजता भारत
सड़कों पर गायों के साथ बीएमडब्ल्यू की शानदार कारें घूमती हैं. कहीं गरीबी से जूझ रहे लोग, तो कहीं अपने घरों पर हेलीपैड बनाते रईस हैं. भारत अव्यवस्थित है विरोधाभासों से भरे भारत का भविष्य कैसा रहेगा.
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शून्य से शुरुआत
शून्य का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट ने चौथी सदी में ही बता दिया था कि दिन और रात की लंबाई पृथ्वी के घूमने से तय होती है. अब 2014 में तकनीकी तौर पर सक्षम भारत चांद पर अपना पहला अंतरिक्ष यान पहुंचा देगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
माला फेरत जुग गया...
...फिरा न मन का फेर. आधुनिक तकनीक और सुपरपावर बनने का ख्वाब देखता भारत आज भी अंधविश्वास, जातिवाद और सांप्रदायिकता के विवादों में फंसा हुआ है.
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कदम कदम बढ़ाए जा
1990 की दशक में भारत में विकास की रफ्तार आसमान छूने लगी. मल्टीनेशनल कंपनियों ने भारत में पढ़े लिखे युवा का फायदा उठाया और सस्ते दामों में कॉल सेंटर खुलने लगे. विकास दर 8-9 प्रतिशत तक पहुंच गई.
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पलटी जनता
सरकार के खिलाफ लोग सड़कों पर आखिर उतर ही आए. 2012 दिसंबर में 23 साल की एक महिला के बलात्कार ने जनता को हिला दिया. महिलाओं का अपमान और उनकी सुरक्षा में कमी, इसके खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हुए. नई दिल्ली में पिछले साल बलात्कार के 585 मामले दर्ज किए गए.
तस्वीर: Reuters
कोई नहीं करोड़पति
भारत में विकास ने नौकरियां पैदा की हैं, पढ़े लिखे पेशेवरों की किस्मत खुली है और जीवन स्तर बेहतर हो गया है. लेकिन अब भी 25 प्रतिशत लोग पढ़ लिख नहीं सकते. करीब 35 प्रतिशत महिलाएं अनपढ़ हैं और गरीबी अनौपचारिक आंकड़ों के मुताबिक 30 प्रतिशत है.
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सोने की चिड़िया
ऐश्वर्य और समृद्धता की राह पर चलते भारत में आज भी बच्चों को पूरा खाना नहीं मिलता. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक तीन साल से कम उम्र के बच्चों में से 46 प्रतिशत अपनी उम्र के हिसाब से छोटे दिखते हैं.
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कैसे जाएगा मुसाफिर
भारत में अच्छी सड़कें ज्यादातर राजधानी दिल्ली या राज्यों की राजधानी में मिलेंगीं. सरकार का कहना है कि विदेशी निवेश को बढ़ाने से मूलभूत संरचना की कमी को खत्म किया जा सकेगा.
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दुश्मन अपने देश में
देश के भीतर महिलाओं को सुरक्षा न दे पाने वाली सरकार देश की बाहरी सुरक्षा के लिए बजट बढ़ा रही है. कुछ ही सालों में भारत ग्रेट ब्रिटेन से ज्यादा पैसे हथियारों में लगाएगा. लेकिन भारत के रक्षक खुद झुंझला रहे हैं- एक पायलट का कहना है कि मिग 21 उड़ाना संविधान में जीवन के अधिकार के खिलाफ है.
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दिया जले जान जले
संरचना में कमी, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था ने आम जनता की जिंदगी को आजाब बना दिया है. बढ़ते विकास ने भारत की ऊर्जा जरूरतों को तो बढ़ाया है, लेकिन गैर जिम्मेदाराना व्यवहार ने भी जरूरी सेवाओं में अडंगा डाला है.
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भोगी से लड़े योगी
सड़कें हों, सरकारी दफ्तर हों या राशन- भारत में भ्रष्टाचार आम जिंदगी का हिस्सा बन गया है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे का आंदोलन और लोकपाल की मांग लेकिन कुछ ही हद तक सफल हो पाया है.
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खोटा पैसा
अर्थशास्त्री 1990 से पहले भारत के विकास दर को अकसर „हिंदू विकास दर“ कहते थे, यानी जब विकास 3.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होता था और अर्थव्यवस्था भी किस्मत की मारी लगती थी. अब हालत कुछ अलग नहीं, विकास दर 6 प्रतिशत से कम है और चंद्रयान की तरह महंगाई भी चांद पहुंचती दिख रही है.
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मुंह फेरते भगवान
उत्तराखंड में बाढ़ के बारे में भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का कहना है कि यह पहाड़ी इलाकों में अंधाधुंध निर्माण की वजह से हुआ है. हिमालय पर तीर्थ करने पहुंचे हजारों यात्रियों में से इस आपदा में करीब पांच हजार लोग मारे गए.
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आओ सपनों में खो जाएं
भारत का भविष्य कैसा होगा, कहना मुश्किल है. लेकिन सुंदर सपने बुनने में कम से कम बॉलीवुड पीछे नहीं. आल्प्स की पहाड़ियों में नाचते फिल्मी सितारे रोजमर्रां की जानलेवा सच्चाई को भूलने में मदद करते हैं.