किसी भी देश के जैविक संसार में पुराने जीव जंतुओं का लौटना पर्यावरण के स्वास्थ्य का सबूत माना जाएगा. मछलियों और भेड़ियों के बाद जर्मन जंगलों में अब भालू और रीछ भी लौटेंगे.
विज्ञापन
औद्योगिकीकरण के दौर में जंगल कटते जा रहे थे, जंगलों में रहने वाले जानवर भी नई रिहाइश की तलाश में भटक कर कहीं और चले गए थे. जब से जर्मनी ने प्राकृतिक जंगल के हिस्से को बढ़ाना शुरू किया है, भेडिये जर्मनी के जंगलों में वापस लौट आए हैं. जर्मनी के पर्यावरण सुरक्षा कार्यालय का अनुमान है कि भविष्य में रीछ और भालू भी जर्मन जंगलों में लौट आएंगे. जर्मनी के पर्यावरण सुरक्षा कार्यालय की प्रमुख बेयाटे येसेल का कहना है, "उत्तरी इटली और स्लोवेनिया में भालुओं की आबादी को देखते हुए बहुत संभावना है कि भूरे भालू कभी न कभी जर्मनी में भी रहने लगेंगे."
यूरोप और अमेरिका के कई देशों में इस बीच भेडिये और भालू इंसानों के साथ रहने लगे हैं. यह दिखाता है कि यह संभव भी है. येसेल कहती हैं, "जंगली जानवरों के मामले में थोड़ा जोखिम तो रहता ही है," लेकिन भालूओं और भेडियों के आमने सामने होने की संभावना अत्यंत कम होती है. जिन इलाकों में ये जानवर रहते हैं वहां रहने वाले लोगों को बताना जरूरी होता है कि इन जानवरों के सामने आने पर वे कैसा व्यवहार करें. इसके अलावा चरागाहों में चरने वाले पशुओं की सुरक्षा का इंतजाम भी जरूरी है, वरना इंसान और जंगली जानवरों के बीच टकराव की संभावना बढ़ा जाएगी.
बात साहित्य की हो या फिल्मों की,भालुओं को दुनिया भर में पसंद किया जाता है. एक नजर दुनिया के मशहूर भालुओं पर..
तस्वीर: dpa - Bildarchiv
पोलर बियर फ्रिट्ज
बर्लिन के चिड़ियाघर में जन्मा फ्रिट्ज अभी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या फ्रिट्ज अपने साथियों की तरह लोगों के दिल में जगह बना पाएगा?
तस्वीर: picture alliance/dpa/Tierpark Berlin
विनी द पूह
साल 1920 में अलन एलेक्सजेंडर ने विनी पूह नाम के इस कार्टून को बनाया था. बाद में डिज्नी ने इसका कॉपीराइट ले लिया और कार्टून सीरीज तैयार की. बाल साहित्य में लोकप्रिय पूह साल 2006 में आई हॉलीवुड की फिल्म "वॉक ऑफ फेम" का अहम किरदार था.
तस्वीर: dpa - Bildarchiv
दक्षिण अमेरिका का पैडिंगटन
पेरू के पैडिंगटन भालुओं को लंदन के ट्रेन स्टेशन पर पड़ा देखकर एक परिवार उन्हें अपने साथ ले गया था. इसके बाद 1958 में माइकल बॉन्ड ने इस पर कहानी लिखी, जिसके बाद इस पर लगातार कार्टून बनाए जाते रहे और साल 2014 में पैडिंगटन को फिल्मों में लॉन्च किया गया.
तस्वीर: picture alliance/United Archives/IFTN
फॉरेस्ट प्रिंस
डिज्नी की सीरीज “प्रिंस ऑफ द फॉरेस्ट” के अहम किरदार बालू से तो सभी वाकिफ हैं. यह किरदार रुडयार्ड किलपिंग की साल 1967 में आई किताब “जंगलबुक” से प्रेरित था.
नन्हा पोलर बियर लार्स
जर्मन लेखक हांस द बियर की कहानियों का हीरो लार्स अपने माता-पिता के साथ आर्कटिक की बर्फ में रहता था. लार्स पर लिखी गई सीरीज सबसे पहले साल 1987 में छपी और साल 1992 में इस का ऐनीमेटिड संस्करण आया. साल 2001 में इस पर फिल्म भी बनी.
तस्वीर: picture alliance/United Archives/IFTN
बियर लीजैंड
अमेरिका की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म बियर लीजैंड दो भालुओं के बीच पनपी दोस्ती, प्रेम और विश्वास की कहानी है. इस फिल्म को डिज्नी ने बनाया था और साल 2004 में फिल्म ने कॉर्टून श्रेणी में ऑस्कर भी जीता था.
तस्वीर: picture-alliance/KPA
नन्ही माशा और रिटायर भालू
रूसी एनिमेटेड सीरीज “माशा ऐंड द बियर“ सर्कस से रिटायर एक भालू और नन्ही माशा की की कहानी है. इस सीरीज का 25 भाषाओं में अनुवाद किया गया है और अब तक इस कहानी का प्रसारण 100 से भी अधिक देशों में किया जा चुका है. इसे इंटरनेट की सफलतम सीरीज में से एक माना जाता है.
तस्वीर: Masha and the Bear Ltd
फ्रेंच फिल्म बियर
साल 1988 में आई फ्रेंच फिल्म बियर में भालू का किरदार अब तक के सबसे सफल किरदारों में से एक है. यह फिल्म जेम्स ऑलिवर की नॉवेल द ग्रीजली किंग पर आधारित है.
तस्वीर: PA/dpa
8 तस्वीरें1 | 8
जर्मनी के पर्यावरण सुरक्षा कार्यालय की प्रमुख बेयाटे येसेल का कहना है कि गड़रियों और किसानों को सरकार से पर्याप्त वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए ताकि वे भेड़ों और अपने जानवरों की जंगली भालुओं और भेड़ियों से रक्षा कर सकें. इंसानों को जंगली भेड़ियों और भालुओं से पहुंचने वाले खतरों को परिपेक्ष्य में देखने की मांग करते हुए येसेन ने कहा, "इसे भी देखना चाहिए कि कितने लोग जंगली सूअर और पालतू कुत्ते के हमले में घायल होते हैं या जान खोते हैं."
यूरोपीय हैबिटाट नियमों के अनुसार भालू अत्यंत संरक्षित प्रजाति है. जर्मनी में भी वह पर्यावरण सुरक्षा कानून के तहत संरक्षित है. पिछले दशकों में वह एक बार जर्मनी में दिखा है, वह भी 12 साल पहले. उस समय एक भूरा भालू उत्तरी इटली से भटककर आल्प्स पहाड़ी इलाके से होता हुआ जर्मनी में पहुंच गया था. वह पहला भालू था जो जर्मनी में खत्म होने के 171 साल बाद दिखा. लेकिन 2006 में उसे मारना पड़ा क्योंकि वह खाने की तलाश में चीजों को बर्बाद कर रहा था और उसे इंसान से कोई डर नहीं था. उसे खतरनाक माना जा रहा था.
जर्मनी में भेडियों के बसने के बाद भी इंसानों के साथ मुठभेड़ के मामले सामने आए हैं. किसान और शिकारी संगठन सरकार के हस्तक्षेप की मांग करते रहे हैं. इस समय करीब 150 वयस्क भेड़िये जर्मनी में रहते हैं. आंकड़ों में 60 बच्चों, 13 जोड़ों और 3 एकल भेडियों के होने की बात कही गई है. हार्त्स और बवेरियाई जंगलों में करीब 77 बनबिलाव भी रहते हैं.
दुनिया में भालुओं की बस 8 प्रजातियां हैं जिनमें से 6 लुप्त होने की कगार पर हैं. पोलर बीयर से लेकर पांडा तक, डीडब्ल्यू ने भालूओं के कुनबे पर नजर डाली है जो कई बातों में इंसान के बड़े करीबी हैं. आप देख कर हैरान रह जाएंगे.
तस्वीर: imago/Mint Images
भालू
यह सीधे खड़े हो कर हाथ भांजते चल सकते हैं जो आमतौर पर दूसरे स्तनपायी के लिए दुर्लभ है और यह इंसानों की तरह ही सर्वाहारी हैं. वैज्ञानिक मानते हैं कि करीब 10 करोड़ साल पहले चूहे जैसे एक जीव से आधुनिक मानव और भालू दोनों का विकास हुआ था तो वो हमारे रिश्तेदार भी हैं. काला भालू अमेरिका में रहता है और यह पेड़ पर चढ़ने में माहिर है. यह कई बार प्लैटिनम या फिर दालचीनी जैसे रंग का भी होता है.
तस्वीर: picture alliance/Bildagentur-online
भूरा भालू
भूरे भालू सबसे आम भालू हैं जो यूरेशिया से उत्तरी अमेरिका तक पूरी दुनिया में फैले हैं. यह भालू थोड़ा अकेले में रहना पसंद करता है लेकिन कई बार मछली पकड़ने के लिए समूह में भी निकलता है. शीतनिद्रा में जाने से पहले भूरे भालू अपने गले तक खाना भर लेते हैं ताकि सर्दियों की तैयारी कर सकें.
तस्वीर: picture-alliance/OKAPIA KG/E. Kuchling
जल्दी जागने लगे
भूरे भालुओं के शिकार की वजह से वे अपने मूल आवास में लुप्त होने की कगार पर हैं लेकिन यूरोप के कुछ अलग थलग हिस्सों में वे अब भी मौजूद हैं. तस्वीर में दिख रही मादा अपने बच्चे को देख रही है जो फिनलैंड की मोटी बर्फ से जूझ रहा है. भालू गर्मियों में खूब खाना खा कर शरीर में वसा जमा कर लेते हैं जो सर्दियों में शीत निद्रा के दौरान उनके काम आती है. सम का बदलाव उनकी शीतनिद्रा पर भी असर दिखा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
इंसानों जैसे पंजे
खड़े हो कर चलने के अलावा भूरे भालू अपने चारों पैरों पर बड़ी तेजी से भाग सकते हैं करीब 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से. इस गति के कारण वे भोजने के लिए जानवरों का आसानी से शिकार कर सकते हैं. भालुओं के पंजे इंसानों के हाथ से बहुत मिलते जुलते हैं इसके अलावा उनकी अस्थियां और पैरों के निशान भी आपस में मिलते हैं. फोटो में, जर्मनी में एक भूरे भालू के दांत का ऑपरेशन हो रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Hirschberger
एंडियन बीयर
दक्षिण अमेरिका के पास अपना भालू है जिसे एंडियन भालू कहते हैं. नाम के मुताबिक ही इस भालू की आंख के आसपास हल्के रंग के बाल होते हैं. आईयूसीएन इस जीव को "असुरक्षित" मानता है. इस भालू का मूल आवास एंडीज के ढलानों पर बसे जंगल थे जो अब खत्म हो गए हैं.
तस्वीर: Rob Williams / ZGF
सूरज
सन बीयर या मलय सन बीयर की छाती पर यह खास सुनाहरी आकृति होती है, कई संस्कृतियों में इस आकृति को उगता सूरज माना जाता है. वास्तव में सन बीयर सुदूर पूर्व के देशों में रहते है और दक्षिण एशिया के उष्णकटिबंधीय वनों को अपना आवास बनाते हैं. आईयूसीएन सन बीयर को असुरक्षित बताता है. आवासों के खत्म होने के कारण यह दुर्लभ भालू लुप्त हो रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/Wildlife/D.J. Cox
चांद
मून बीयर को एशियाटिक ब्लैक बीयर भी कहा जाता है और जाहिर है कि यह भी शिकार की वजह से खतरे में पड़ गए हैं. भालू के गॉल ब्लॉडर से मिलने वाले पित्त की भारी मांग के कारण बड़े पैमाने पर इन्हें पकड़ा, बेचा, कैद और मारा जा रहा है. ऐसी धारणा है कि भालू के पित्त से इंसान की सेहत में सुधार होता है, हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं लेकिन भालू मारे जा रहे हैं.
तस्वीर: DW/A. Wick
स्लॉथ बीयर
स्लॉथ बीयर भी "असुरक्षित" हैं. भारतीय प्रायद्वीप के निचले इलाकों के वनों से यह पहले ही गायब हो चुके हैं. स्लॉथ बीयर कीड़ों पर जिंदा रहते हैं और उनकी रोएंदार खाल थोड़ी अलग होती है. शिकारी इनकी भी ताक में रहते हैं और बहुत से लोग इन्हें पालतू बनाना चाहते हैं. ऊपर दिख रहा बुड्डु एक स्लॉथ बीयर है जिसे भारत के परिवार ने बकरियों के एक झुंड में भटकते देख पाल लिया. बाद में अधिकारियों ने उसे आजाद कराया.
तस्वीर: dapd
पांडा
पांडा कितने प्यारे होते हैं, यह हम सब जानते हैं खासतौर से पांडा बच्चे तो बहुत ही लुभावने होते हैं. बड़े पांडा को लुप्तप्राय से अब असुरक्षित जीवों की श्रेणी में डाला गाय है और यह सब चीन सरकार की इस जीव को बचाने की कोशिशों के कारण मुमकिन हुआ है. चीन की सरकार ने इनके लिए खास ब्रीडिंग कार्यक्रम चलाया है और उन्हें 2017 में 42 पांडा पैदा करने में कामयाबी मिली जो एक रिकॉर्ड है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Zhang
प्यारे भालू
दूसरे भालुओं की तुलना में पांडा के आवास को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. बुनियादी ढांचे के निर्माण की परियोजनाओं के लिए ठंडे इलाकों से बांस के जंगल गायब हो रहे हैं. पश्चिम चीन के पहाड़ों में पांडा के लिए आवास बचा है. बांस में पोषण कम होता है इसलिए इन्हें हर दिन करीब 38 किलो बांस की जरूरत होती है. बड़े पांडा तो ज्यादातर चलते वक्त भी खाते रहते हैं.
तस्वीर: B. Li
पोलर बीयर
भालुओं की प्रजाति का यह एक और आइकन है. तकनीकी रूप से इसे जलीय स्तनपायी कहा जाता है और यह मांसाहारी होते हैं. सील और दूसरे समुद्री जीवों के शिकार के लिए पोलर बीयर समुद्री बर्फ पर निर्भर हैं जो लगातार घटती जा रही है. आर्कटिक की बर्फ ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघल रही है. पोलर बीयर का संकट इस वक्त वास्तव में धरती का संकट है.