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भोपाल पीड़ितों के लिए दुगुना मुआवजे की मांग

३ दिसम्बर २०१०

भारत सरकार ने अमेरिकी कंपनी से 26 साल पहले हुए भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के लिए दुगुना मुआवजे की मांग की है. भारत सरकार के वकील ने समाचार एजेंसी एएफपी को ये जानकारी दी.

तस्वीर: AP

भारत सरकार ने इस भयावह गैस कांड के पीड़ितों के लिए मुआवजे की रकम बढ़ाकर 50 अरब रुपये कर दी है. नाम न बताने की शर्त पर भारत के अटॉर्नी जनरल के दफ्तर में काम करने वाले एक वकील ने बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर मुआवजे की रकम बढ़ाने की मांग की है.

भारत सरकार ने अमेरिकी रसायन कंपनी से ये रकम चुकाने को कहा है. पिछले साल सरकार ने कहा था कि वो इस बात की पड़ताल करेगी कि किस तरह से मुआवजे की रकम बढ़ाई जाए. 1989 में इस हादसे के लिए मुआवजे के रूप में 25 अरब रुपये देने की बात तय हुई थी.

पीड़ित बच्चे को ले जाते राहतकर्मीतस्वीर: AP

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दो अमेरिकी कंपनियों का नाम लिया है. इनमें से एक है यूनियन कार्बाइड, भोपाल का गैस प्लांट इसी कंपनी का था. दूसरी कंपनी है डाऊ केमिकल्स जिसने 1999 में यूनियन कार्बाइड कंपनी को खरीद लिया. सरकार की याचिका में उस भारतीय कंपनी का भी नाम है जिसने 1994 में कंपनी की भारतीय हिस्सेदारी खरीदी थी.

अब से ठीक 26 साल पहले 2 और 3 दिसंबर की रात हुए इस हादसे ने हजारों लोगों का जीवन हमेशा के लिए बदल दिया. तीन दिन तक हुए रिसाव के बाद सरकार ने 3500 लोगों के मरने की पुष्टि की. जबकि एक और सरकारी एजेंसी काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिकल रिसर्च के मुताबिक मरने वालों की संख्या 8000 से 10,000 के बीच थी.

आज भी वहीं मौजूद है प्लांटतस्वीर: AP

हादसे के 10 साल बाद 1994 में आईसीएमआर ने कहा कि गैस रिसाव के हादसे के बाद के सालों में 25000 लोग मारे गए. बहुत सारे पीड़ितों का कहना है कि गैस रिसाव से पैदा हुई तकलीफें वो अब भी झेल रहे हैं. बंद गैस फैक्ट्री आज भी वहीं मौजूद है और वहां की मिट्टी और पानी में उसका जहर अब भी फैल रहा है.

पीड़ित बच्चेतस्वीर: AP

जानकारी देने वाले वकील का कहना है कि मुआवजे की रकम इसलिए बढ़ाई गई है क्योंकि 1989 में मरने वालों की सही संख्या का पता नहीं चल सका था. इसके अलावा सफाई का काम भी अभी तक नहीं पूरा हुआ. सरकार का कहना है कि वो टैक्स देने वाले लोगों का पैसा एक निजी कंपनी की गलती से हुए हादसे की भरपाई के लिए खर्च नहीं करेगी.

उधर डाऊ केमिकल्स का कहना है कि यूनियन कार्बाइड की सारी देनदारियों के बारे में आखिरी फैसला 1989 में ही कर लिया गया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मुआवजे की रकम की समीक्षा करने के लिये 1991 में याचिका दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. अब एक बार फिर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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