भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगा फीफा
२० दिसम्बर २०१२फीफा नैतिक आयोग की न्यायिक समिति के प्रमुख योआखिम एकर्ट ने कहा, "सवाल सिर्फ दो या तीन नामों का नहीं है. हम इनके आस पास बहुत से मामले देख रहे हैं. हम साफ करना चाहते हैं कि नैतिक आयोग फैसले के लिए तैयार है ताकि भविष्य में फीफा पर भ्रष्टाचार के कम आरोप लगें."
हम्माम के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के सिलसिले में लगे आरोपों के बाद फीफा ने एक नैतिक आयोग बनाया है, जिसकी दो समितियां है. एक जांच के लिए और दूसरा न्यायिक फैसले के लिए जिम्मेदार है. जांच समिति के प्रमुख माइकल गार्सिया हैं जबकि न्यायिक समिति के प्रमुख जर्मनी के योआखिम एकर्ट हैं.
बिन हम्माम के इस्तीफे के बावजूद नैतिकता आयोग ने जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम्माम पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया. एकर्ट ने कहा, "सबूतों की स्थिति ऐसी थी कि जनवरी में उनपर मुकदमा चलाना पड़ता."
पिछले साल हुए अध्यक्ष चुनावों में बिन हम्माम फीफा के अध्यक्ष सेप ब्लाटर को चुनौती दे रहे थे. लेकिन चुनाव से पहले ही उन पर वोट खरीदने के लिए कैरिबियाई अधिकारियों को 40,000 डॉलर का घूस देने के आरोप लगे. बिन हम्माम ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और जुलाई 2011 में एशियाई फुटबॉल फेडरेशन के पूर्व प्रमुख पर फीफा ने प्रतिबंध लगा दिया. ब्लाटर को निर्विरोध चुन लिया गया.
इस साल जुलाई में खेल की सर्वोच्च अदालत सीएएस ने फीफा की सजा को रद्द कर दिया लेकिन फीफा ने बिन हम्माम पर नया प्रतिबंध लगा दिया और कहा कि वे संगठित फुटबॉल में फिर कभी सक्रिय नहीं हो पाएंगे. नया प्रतिबंध भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण नहीं बल्कि एशियाई फुटबॉल संघ के अध्यक्ष के रूप में हितों के टकराव के कारण लगाया गया है.
बिन हम्माम को जनवरी 2011 में तीसरी बार चार साल के लिए एशियाई फुटबॉल संघ का अध्यक्ष चुना गया था. वे अपने को निर्दोष बताते रहे हैं. उनका कहना है कि ब्लाटर को चुनौती देने के कारण उन्हें सजा दी जा रही है.
एमजे/एमजी (डीपीए, रॉयटर्स)