भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘ब्राइब हैकर्स’ का कानूनी हथौड़ा
एम. अंसारी
९ फ़रवरी २०१८
विकासशील देश भारत में भ्रष्टाचार किसी दीमक से कम नहीं है जो सरकारी खजाने के साथ-साथ आम नागरिक के अधिकारों को खोखला कर रहा है. लेकिन कुछ लोग इसके खिलाफ अभियान छेड़े हुए हैं.
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पेशे से वकील श्रीरूपा चौधरी ने ब्राइब हैकर्स नाम से ऑनलाइन अभियान शुरू किया है. उनका मकसद ऐसे लोगों की मदद करना है जो घूस के शिकार होते हैं और कानूनी मदद चाहते हैं. घूसखोरी के पीड़ित उन्हें ई-मेल, फोन और सीधे मिलकर शिकायत करते हैं.
विकास और पारदर्शी सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता में सबसे बड़ी बाधा भ्रष्टाचार है. भारत में कई बार सरकारी कर्मचारियों को सेवा के बदले रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है. जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए जब आपसे रिश्वत मांगी जाती है तो आप क्या करते हैं? क्या आप रिश्वत दे देते हैं या फिर इनकार कर देते हैं?
कैसे हुई शुरुआत
जब 26 साल की श्रीरूपा चौधरी से पासपोर्ट वेरिफिकेशन के बदले घूस मांगी गई तो उन्होंने घूस देने से इनकार कर दिया और मामले को कानूनी रूप से अंजाम तक पहुंचाया. हालांकि शुरुआत में कानून की छात्रा होने के बावजूद श्रीरूपा को यह नहीं पता था कि उनके कानूनी अधिकार क्या हैं.
श्रीरूपा बताती हैं, "साल 2012 में मुझे ब्राजील में भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन के लिए जाना था. उस वक्त मेरे पासपोर्ट का वेरिफिकेशन नहीं हो पा रहा था. मुझे यह अहसास हो गया कि पासपोर्ट की तस्दीक की प्रक्रिया को घूस के लिए लटकाया जा रहा है. कानून की छात्रा होने के बावजूद मुझे नहीं समझ आ रहा था कि मैं क्या करूं.”
भारत के महाघोटाले
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
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कोलगेट स्कैम
यूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
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टूजी स्कैम
कंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
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व्यापमं घोटाला
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
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बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
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कफन घोटाला
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
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हवाला कांड
एलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
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शारदा चिट फंड
200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
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ऑगस्टा वेस्टलैंड डील
इटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
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चारा घोटाला
करीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
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कॉमनवेल्थ
2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.
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श्रीरूपा बताती हैं, "इस घटना के बाद मेरे दिमाग में विचार आया कि क्यों ना एक ऐसा मंच तैयार किया जाए जिससे लोगों को तेज गति से कानूनी मदद मिल सके और उनकी समस्या का समाधान हो पाए.”
भारत में भ्रष्टाचार एक विकराल समस्या है. जो भ्रष्टाचार के बड़े मामले हैं उनमें आम नागरिक का जीवन उतना प्रभावित नहीं होता, हालांकि देश के खजाने को चूना जरूर लगता है, लेकिन जो छोटे भ्रष्टाचार हैं जैसे कोई सेवा या फिर सरकारी विभाग से प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जब रिश्वत देनी पड़ती है तो आम नागरिक का जीवन सीधे तौर पर प्रभावित होता है. रिश्वत मांगना ही नहीं बल्कि देना भी भारत में अपराध है लेकिन मजबूरन लोग घूस दे देते हैं.
इन सब समस्याओं को देखते हुए श्रीरूपा ने समाधान के बारे में सोचा. वह कहती हैं, "मैंने वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट (अमेरिका) में अपने इस विचार के साथ अनुदान के लिए निवेदन किया. मेरे आइडिया को वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट ने मंजूर करते हुए मुझे अनुदान दिया." और इस तरह ब्राइब हैकर्स की शुरुआत हुई.
कैसे काम करता है ब्राइब हैकर्स
अगर किसी को शिकायत करनी है तो उसे ब्राइब हैकर्स को अपना नाम, पता और शिकायत का विवरण देना होता है. गुमनाम शिकायतों पर ब्राइब हैकर्स ध्यान नहीं देता. श्रीरूपा कहती हैं, "शिकायत मिलने के बाद हम एक मसौदा तैयार कर उस विभाग के प्रमुख को सौंपते हैं जिस विभाग के अधिकारी के खिलाफ शिकायत होती है. या फिर हम उस विभाग के सतर्कता विभाग के पास मसौदा लेकर जाते हैं. अधिकतर मामलों में शिकायत का निवारण होता है और भ्रष्ट अधिकारी पर कार्रवाई भी होती.”
दुनिया के सबसे भ्रष्ट देश
भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरंसी इंटरनैशनल ने 2016 का करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स जारी किया है. इसके मुताबिक 176 देशों में सबसे खराब रैंकिंग इन देशों की रही...
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नंबर 10. वेनेजुएला
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नंबर 9. गिनी-बसाऊ
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नंबर 8. अफगानिस्तान
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नंबर 7. लीबिया
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नंबर 6. सूडान
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नंबर 5. यमन
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नंबर 4. सीरिया
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नंबर 3. नॉर्थ कोरिया
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नंबर 2. साउथ सूडान
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नंबर 1. सोमालिया
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2015 से अबतक ब्राइब हैकर्स को लगभग 200 पूछताछ और शिकायतें मिली है. करीब 40 मसौदों को विभागीय प्रमुखों या लोकायुक्तों तक पहुंचाया जा चुका है. इनमें चार मामलों में निलंबन तक हो पाया है. सूचना के अधिकार का भी इस्तेमाल कर ब्राइब हैकर्स कई अहम मामलों में पीड़ितों की मदद कर पाया है.
छोटे काम के लिए रिश्वत आम !
दुनियाभर में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (भारत) के मुताबिक दिल्ली समेत नौ राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो पाई. ऐसे में, भ्रष्टाचार पर सख्ती की कमी बनी रहती है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्किल के एक ऑनलाइन सर्वे के मुताबिक 45 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने पिछले एक साल में अपना काम कराने के बदले में रिश्वत दी. ये सर्वे भारत के 11 राज्यों के 34,696 लोगों की राय लेकर तैयार किया गया था. इसी सर्वे में अधिकतर लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार के स्थानीय मामलों की कोई सुनवाई नहीं है.
कहां दी जाती है सबसे ज्यादा रिश्वत
वर्ल्ड बैंक एंटरप्राइज के सर्वेक्षणों के मुताबिक दुनिया को रिश्वत के हिसाब से इस तरह विभाजित किया जा सकता है. ये आंकड़े बता रहे हैं कि किस इलाके में टैक्स अधिकारियों को कितनी कंपनियों को रिश्वत देनी पड़ती है.
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सबसे भ्रष्ट
पूर्वी एशिया और पैसिफिक, जहां 29.8 फीसदी कंपनियों को रिश्वत देनी पड़ी.
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दो नंबरी
दक्षिण एशिया इस मामले में दूसरे नंबर पर है. वहां 19.6 फीसदी ने रिश्वत का दवाब माना.
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नंबर 3
सब-सहारन अफ्रीका में 18.1 फीसदी कंपनियों को रिश्वत देने की जरूरत पड़ी.
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नंबर 4
मध्य-पूर्व में 17.3 फीसदी कंपनियां रिश्वत देकर आगे बढ़ पाईं.
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नंबर 5
मध्य एशिया में रिश्वत देने वाली कंपनियां 9.7 फीसदी रहीं.
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नंबर 6
कैरिबियाई दुनिया में रिश्वत देने की जरूरत 5.9 फीसदी कंपनियों को पड़ी.
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नंबर 7
दक्षिण अमेरिका में 5.8 फीसदी कंपनियां रिश्वत देने की बात मानती हैं.
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नंबर 8
मध्य यूरोप और बाल्टिक देशों में 2.7 फीसदी कंपनियों ने रिश्वत देने का दर्द झेला.
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नंबर 9
पश्चिमी यूरोप में 2.5 फीसदी कंपनियों ने रिश्वत का दबाव महसूस किया.
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श्रीरूपा के मुताबिक ब्राइब हैकर्स में फिलहाल 10-12 वालिंटयर्स हैं जिसमें कुछ कानून के छात्र भी हैं और मसौदा तैयार करने के बाद 5-6 वकीलों की मदद से विभाग तक उसे कानूनी कार्रवाई के लिए भेजा जाता है. देश के अन्य भागों से भी कई पीड़ित ब्राइब हैकर्स से मदद लेते हैं. ब्राइब हैकर्स की टीम मामले को समझने के बाद कानूनी ड्राफ्ट तैयार कर उसे स्थानीय वकील को देती है और कार्रवाई सुनिश्चित करवाती है.
भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरुकता की कमी
श्रीरूपा के मुताबिक भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून तो है लेकिन जागरूकता की कमी है, साथ ही लोग पुलिस और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाने से बचते हैं. श्रीरूपा कहती हैं, "पुलिस विभाग से जुड़े मामलों में लोग सामने नहीं आना चाहते, उनके मन में खौफ होता है, डर के ऐसे माहौल को विभाग ही खत्म कर सकता है.”
श्रीरूपा को उम्मीद है कि आने वाले सालों में भारत भी भ्रष्टाचार मुक्त होगा और इस लक्ष्य को पाने के लिए डिजिटाइजेशन अहम भूमिका निभाने वाला है. उनका मानना है कि सेवा और सुविधा को पाने की प्रक्रिया में जब डिजिटल साधनों का इस्तेमाल होगा तब भ्रष्टाचार वाकई में खत्म हो सकता है.