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भ्रष्ट डॉक्टरों को सजा की मांग

३ जनवरी २०१३

जर्मनी में अंग प्रत्यारोपण में धांधलियों के सामने आने के बाद देश में डॉक्टरों के बीच भ्रष्टाचार की बहस गरमा रही है. अब तक फार्मेसी कंपनियों से उपहार लेना भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं आता.

तस्वीर: Fotolia/LUCKAS Kommunikation

जर्मनी की सार्वजनिक बीमा कंपनियां रिश्वत लेने वाले डॉक्टरों के लिए तीन साल की सजा की मांग कर रही हैं. पिछले साल संघीय अदालत ने फैसला किया है कि निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को उपहार या दूसरे लाभ लेने के लिए भ्रष्टाचार के आरोप में सजा नहीं दी जा सकती. जजों ने संसद को पत्र लिखकर कानून में इस कमी को दूर करने के लिए कहा है.

इस फैसले से पहले जांच अधिकारियों ने सालों तक जर्मन दवा कंपनी रासियोफार्म के कर्मचारियों और डॉक्टरों के संबंधों की जांच की थी. डॉक्टरों को नुस्खे पर रासियोफार्म की दवा लिखने के लिए पैसे दिए गए. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री डानियल बार ने अब तक इस मामले में कोई फैसला नहीं किया है. उनकी प्रवक्ता ने कहा कि फैसला लेने का कोई दबाव नहीं दिखता क्योंकि मामला बहुत जटिल है.

तस्वीर: Fotolia/Minerva Studio

दवाखाने और दवा कंपनियां

जर्मनी का मेडिकल सिस्टम बहुत जटिल है, जिसमें फायदा उठाने के बहुत मौके हैं. भ्रष्टाचार विरोधी संगठन प्रो होनोरे के प्रमुख माल्टे पासार्जे फार्मेसी और डॉक्टरों के बीच सहयोग की ओर ध्यान दिलाते हैं. यदि कोई डॉक्टर कैंसर के किसी मरीज को किसी खास दवा की दुकान में भेजता है तो उसका दवा का खर्च आसानी से 1000 यूरो से ज्यादा का होगा. बदले में दवा की दुकान मरीज भेजने के लिए डॉक्टर को मुनाफे का शेयर दे सकती है, या उसके प्रैक्टिस के खर्च का एक हिस्सा उठा सकती है.

दवा बनाने कंपनियों के साथ डॉक्टरों का सहयोग भी विवादों में है. पासार्जे कहते हैं, "हेल्थ केयर बहुत बड़ा बाजार है और यह इन मामलों के प्रति संवेदनशील है." लेकिन साथ ही वे चेतावनी देते हैं कि आंख मूंद कर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए.

गिने चुने मामले

यह साफ नहीं है कि डॉक्टरों में रिश्वतखोरी की समस्या कितनी है, क्योंकि इसके लिए सबूत जुटाना बहुत मुश्किल है. भ्रष्ट डॉक्टरों का पता संयोग से ही चलता है. मसलन टैक्स रिटर्न की जांच के समय. सत्ताधारी सीडीयू के सांसद येंस श्पान ने आशंका जताई कि भ्रष्टाचार के हजारों मामले भी हो सकते हैं. एसपीडी के पूर्व सांसद और अब ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल में काम करने वाले वोल्फगांग वोदार्ग मानते हैं कि मामले इक्का दुक्का नहीं हैं. अपराधशास्त्रियों के अनुसार समस्या निर्माण उद्योग से ज्यादा गंभीर हो गई है.

तस्वीर: Divulgacao Cinevideo/Farmanguinhos

इस समय सिर्फ पेशेवर संगठन ही डॉक्टरों को सजा दे सकते हैं और उनका लाइसेंस छीन सकते हैं. जर्मन मेडिकल काउंसिल के प्रमुख फ्रांक मोंटगोमरी का कहना है कि उनके संगठन के पास कोई सूचना नहीं है लेकिन एक स्थानीय शाखा के अनुसार, जिसमें कोलोन और डुसेलडॉर्फ शहर भी आते हैं, 2011 में सात डॉक्टरों पर 3,000 यूरो (लगभग दो लाख रुपये) तक का जुर्माना किया गया. किसी का लाइसेंस नहीं छीना गया. मोंटगोमरी स्वीकार करते हैं कि मेडिकल पेशे से संबंधित कानून में संशोधन की जरूरत है, "वे अच्छे हैं, लेकिन उन्हें और मजबूत बनाने की जरूरत है."

गहराती बहस

पासार्जे कहते हैं कि अस्पताल और हेल्थ केयर के क्षेत्र में काम करने वाली दूसरी कंपनियां पारदर्शिता का समर्थन करती हैं. पिछले कुछ साल में हेल्थ केयर में भ्रष्टाचार का मुद्दा महत्वपूर्ण हो गया है. उनका कहना है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में मेडिकल भ्रष्टाचार से संबंधित कानून काफी विकसित हैं. पासार्जे का मानना है कि डॉक्टरों को इस समस्या के प्रति सचेत होना होगा, "मुझे लगता है कि मेडिकल पेशे के लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचते."

भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल इस समय पारदर्शिता कानून की वजह से मिली जानकारियों का मूल्यांकन कर रही है. वोदार्ग कहते हैं कि दवा कंपनियां डॉक्टरों को नई दवाओं के साइड इफेक्ट पर नजर रखने के लिए पैसा देती है. हर मरीज पर 200 यूरो का भुगतान असामान्य नहीं है.

2010 में जर्मनी के डॉक्टरों के संघ ने इस तरह के 183 परीक्षण रजिस्टर किए. इनमें से कुछ में 1000 से ज्यादा मरीज शामिल थे. वोदार्ग का कहना है कि कई बार तो डॉक्टरों को कोई आंकड़ा भी इकट्ठा नहीं करना होता, बस मरीजों को खास दवा लिखने के लिए उन्हें पैसे दिए जाते हैं. इनमें से 90 फीसदी सर्वे सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं.

रिपोर्ट: यूलिया मानके/एमजे

संपादन: ए जमाल

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