"भ्रष्ट हजारे को लोकपाल समिति से हटाओ"
२१ अप्रैल २०११अन्ना हजारे के आमरण अनशन के आगे झुकते हुए सरकार ने हाल ही में एक समिति गठित की है जो लोकपाल बिल का मसौदा तैयार कर रही है. हजारे इस समिति के सदस्य हैं. लेकिन जनहित याचिका में कहा गया है कि अन्ना हजारे खुद भ्रष्टाचार के दोषी पाए जा चुके हैं, लिहाजा उन्हें इस समिति में नहीं होना चाहिए.
क्या है आरोप
नेशनल एंटी करप्शन पब्लिक पावर नाम की एक स्वयंसेवी संस्था ने यह याचिका दायर की है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पीबी सावंत की अध्यक्षता में हुई एक जांच का हवाला दिया गया है. याचिका के मुताबिक इस जांच में अन्ना हजारे को उनके हिंद स्वराज ट्रस्ट से दो लाख रुपये के हेरफेर का जिम्मेदार पाया गया.
जनहित याचिका में कहा गया है कि पैसे के हेरफेर की यह घटना अन्ना हजारे के गांव में उनके जन्मदिन के उत्सव के मौके पर हुई. जस्टिस सावंत ने अपनी रिपोर्ट में नतीजा निकाला था कि "हिंद स्वराज ट्रस्ट में दो लाख रुपये का हेरफेर हुआ है जो भ्रष्टाचार के तहत आता है. अन्ना के गांव रालेगांव सिद्धि में उनके जन्मदिन के दौरान यह सब हुआ."
कब का मामला
स्वयंसेवी संस्था के मुताबिक 2003 में जांच शुरू हुई और 2005 में जस्टिस सावंत ने अपनी रिपोर्ट जमा कराई. इसमें हजारे को साफ शब्दों में भ्रष्टाचार का दोषी माना गया.
याचिका में कहा गया है, "कमिशन की रिपोर्ट कहती है कि हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन ट्रस्ट के कुछ कर्मचारी इस ट्रस्ट को उगाही और ब्लैकमेलिंग जैसे असामाजिक कामों के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. वे लोग आरटीआई के जरिए जानकारी निकलवाने के नाम पर लोगों को ब्लैकमेल करते थे."
याचिका में दावा किया गया है कि अन्ना हजारे को एक मंत्री की मानहानि के मामले में एक दिन के लिए जेल भेजा जा चुका है. हालांकि इस मामले की पूरी जानकारी नहीं दी गई है.
रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार
संपादनः ईशा भाटिया